एमएसपी किसानों का है और रहेगा: प्रधानमंत्री

  • राज्यसभा में विपक्ष ने किया किसान आंदोलन पर जमकर हंगामा
  • सरकार से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को दोहराया
4पीएम न्यूज नेटवर्क. नईर् दिल्ली। किसान आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राज्यसभा में राष्टï्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर जवाब दिया। संसद के बजट सत्र के दौरान विपक्ष ने किसान आंदोलनों पर जमकर हंगामा किया और सरकार से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को फिर दोहराया। इसको लेकर प्रधानमंत्री ने विपक्ष को निशाने पर लेते हुए किसानों को भरोसा दिया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) था, है और आगे भी रहेगा। राज्यसभा में कृषि सुधारों पर बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब लाल बहादुर शास्त्री को जब कृषि सुधारों को करना पड़ा, तब भी उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा था लेकिन वे पीछे नहीं हटे थे। उन्होंने कहा कि तब लेफ्ट वाले कांग्रेस को अमेरिका का एजेंट बताते थे, आज मुझे ही वो गाली दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी कानून आया हो, कुछ वक्त के बाद सुधार होते ही हैं। मोदी ने कहा कि जिन 80 करोड़ लोगों को सस्ते में राशन दिया जाता है वो भी जारी रहेगा। उधर राष्टï्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ 73 दिनों से किसानों का विरोध प्रदर्शन व आंदोलन जारी है।
भारत के प्रमुख संत भी आए किसान आंदोलन के समर्थन में
श्रीकल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम के नेतृत्व और काशी सुमेरु पीठ के जगत गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती के पावन सानिध्य में भारत के प्रमुख संतो का 11 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल भारतीय किसान यूनियन और संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में आज किसान आंदोलन को अपना समर्थन देंगे। किसान नेता चौधरी राकेश टिकैत से धरना स्थल पर भेंट कर उन्हें अपना समर्थन देकर घोषणा करेंगे कि हम किसानों के साथ है।

फिर चूकी यूपी सरकार, नहीं मिली मुख्तार को यूपी लाने की अनुमति
  • मुख्तार को यूपी लाने की पुलिस की हर तरकीब फेल
  • 24 फरवरी को होगी इस मामले में अगली सुनवाई
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को पंजाब से यूपी लाना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। एक बार फिर योगी सरकार को तगड़ा झटका लगा है। यूपी के विधायक मुख्तार अंसारी को पंजाब के रोपड़ जेल से यूपी की जेल में ट्रांसफर किए जाने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के हलफनामे पर यूपी सरकार से रिप्लाई फाइल करने को कहा। जस्टिस अशोक भूषण और आर सुभाष रेड्ïडी की बेंच ने कहा कि अब मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी। यूपी सरकार की तरफ से तुषार मेहता ने कहा कि मुख्तार अंसारी पर उत्तर प्रदेश में 15 केस दर्ज हैं। गैंगस्टर की श्रेणी में आते हैं। बावजूद पंजाब की जेल में इन्ज्वाय कर रहा है, पता नहीं क्यों पंजाब सरकार उसका पक्ष ले रही है। यूपी सरकार की तरफ से अदालत को बताया गया कि मुख्तार के न आने से यूपी की अदालतों में गंभीर मामलों मे ट्रायल रुका हुआ है। इस पर मुख्तार अंसारी के वकील ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेसिंग से ट्रायल कराया जा सकता है। इतने पुराने मामलों में यूपी सरकार को इतनी जल्दी क्यों है। यूपी की तरफ से पेश हुए एसजी तुषार मेहता ने कहा कि पंजाब सरकार यूपी भेजने का विरोध कर रही है। पंजाब सरकार का कहना है कि अंसारी डिप्रेशन का शिकार है और वो कहता है कि वो स्वतंत्रता सैनानी के परिवार से है। तुषार मेहता ने कहा हकीकत में वो गैंगस्टर है और उसने पंजाब में केस के लिए जमानत इसलिए नहीं लगाई क्योंकि वो वहां की जेल में खुश है। गौरतलब है कि पंजाब सरकार ने मुख्तार अंसारी के खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दाखिल किया था कि वह ऐसे कठिन समय में मुख्तार को यूपी पुलिस के हवाले नहीं कर सकते हैं।

यूपी में नहीं लगेगा राष्टï्रपति शासन

  • योगी सरकार को भंग कर आपातकाल लगाने वाली याचिका खारिज
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य में योगी सरकार को भंग कर आपातकाल लगाने के निर्देश देने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने आज खारिज कर दी है। सुनवाई के दौरान सीजेआई बोबड़े ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या आपने अन्य राज्यों के अपराध रिकॉर्ड का अध्ययन किया है? मौलिक अधिकार किस तरह प्रभावित हो रहा है। सीजेआई ने याचिकाकर्ता से कहा कि यदि आप आगे बहस करेंगे तो हम भारी जुर्माना लगाएंगे। यह कहकर उन्होंने याचिका खारिज कर दी। दरअसल राज्य में एक वर्ष की अवधि में हुई विभिन्न घटनाओं की पृष्ठभूमि में यह याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता जया सुकिन के अनुसार यूपी में लगातार हो रहे अपराधों के मामलों को देखते हुए संविधान के प्रावधानों के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य की सरकार को आगे चलने नहीं दिया जा सकता है। संविधान का अनुच्छेद 356 एक राज्य में संवैधानिक मशीनरी की विफलता को संदर्भित करता है जिस स्थिति में भारत के राष्टï्रपति, राज्य के राज्यपाल से रिपोर्ट प्राप्त करने पर या अन्यथा राष्टï्रपति शासन लगा सकते हैं। बता दें कि भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने सीआर जया सुकिन नामक वकील द्वारा दायर याचिका को खारिज किया, जिसमें अनुच्छेद 356 के तहत राज्य में आपातकाल लगाने के लिए केंद्र सरकार से निर्देश मांगा था।
दलितों के खिलाफ अपराध बढ़ने का भी दिया था हवाला
याचिकाकर्ता ने सुप्रीमकोर्ट को बताया कि यूपी में दलितों के खिलाफ अपराध बढ़े हैं। राष्टï्रीय नेताओं पर पुलिस का हमला जारी है। मॉब लिंचिंग, ऑनर किलिंग, लव जिहाद के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इन पर यूपी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। बेरोजगारी में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। नौजवान दर-दर भटक रहे हैं। इसलिए तत्काल प्रभाव से राज्य में आपातकाल लगाया जाना चाहिए। इसके अलावा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस पर प्रतिबंध, हिंसा सहित, हिंसा की धमकी या पत्रकारों की अनुचित गिरफ्तारियां या अभियोग जैसी बहुत सी ऐसी वजहें हैं। जिनसे साफ है कि यूपी में राष्टï्रपति शासन लगाना जरूरी है।
यह लगाया था आरोप
याचिकाकर्ता ने अदालत में कहा कि यूपी में जघन्य हाथरस गैंगरेप केस, उन्नाव रेप केस, एएमयू हिंसा के दौरान पुलिस की ज्यादती के अलावा सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ शर्म बैनर बनाने सहित कई ऐसे बड़े मामले हैं, जिनसे ये महसूस होता है कि यूपी सरकार फेल है। महिलाओं के मामले में भी यूपी असुरक्षित हो गया है। इसलिए प्रदेश में राष्टï्रपति शासन लगाया जाए।

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