मिशन पंजाब के नाम से बढ़ी आंदोलन की जमीन पर हलचल
नई दिल्ली। भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने किसान संगठनों के बीच आगामी पंजाब विधानसभा चुनाव लडऩे का प्रस्ताव रखा है। चुनाव लडऩे का प्रस्ताव रखने के चार दिन बाद गुरनाम सिंह चढूनी पंजाब के गुरदासपुर में डेरा बाबा नानक से दिल्ली के सिंधू बॉर्डर तक सैकड़ों कारों के काफिले का नेतृत्व कर रहे हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि मिशन पंजाब एक आइडिया है, जिसे मैंने लोगों के बीच रखा है। बाकी लोगों पर निर्भर करता है। यह अच्छी बात है कि लोग इस विचार को स्वीकार कर रहे हैं और इसे सकारात्मक तरीके से ले रहे हैं। कई लोग ऐसे हैं जो चुनाव लडऩे के योग्य हैं। समय आ गया है कि राजनीतिक व्यवस्था को बदला जाए और लोगों द्वारा, लोगों के लिए जनता के शासन के विचार को साकार किया जाए, जो कई वर्षों से कारपोरेट द्वारा, कारपोरेट के लिए कारपोरेट का शसन बन गया है।
चढूनी ने बीते बुधवार को एक वीडियो बयान में मिशन पंजाब का प्रस्ताव रखा था, जिसे संयुक्त किसान मोर्चा ने खारिज कर दिया था। संयुक्त किसान मोर्चा किसान संगठनों का एक संयुक्त संगठन है, जिसके तहत किसान संगठन कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं । संयुक्त किसान मोर्चा ने भारतीय किसान यूनियन के नेता के बयान को व्यक्तिगत राय बताया है। चढूनी ने कहा, हम कहते हैं कि हम व्यवस्था में बदलाव लाएंगे, लेकिन हम यह नहीं सोचते कि इसे हकीकत बनाने के लिए क्या करने की जरूरत है। भाजपा और कांग्रेस व्यवस्था बदलने में नाकाम रहे हैं और हमें बदलाव की उम्मीद किससे करनी चाहिए? अगर हम बदलाव चाहते हैं तो हमें एक योजना बनानी होगी। और यह प्लान मिशन पंजाब का होना चाहिए।
किसान नेता चढूनी की रैली का बटाला, धारीवाल, गुरदासपुर, मुकेरियां व किशनगढ़ में स्थानीय लोगों ने जोरदार नारों के साथ स्वागत किया। इन शहरों के अन्य हिस्सों में भी लोगों ने बड़े उत्साह के साथ रैलियां और रोड शो कर स्वागत किया। लुधियाना में डाइंग एसोसिएशन, घुम्मण मंडी मार्केट एसोसिएशन, एसी मार्केट एसोसिएशन व अन्य उद्योग समूहों के लोगों ने बार्डर पर जाने वाले किसानों के काफिले को अपना समर्थन दिया।
डेरा बाबा नानक में सभा को संबोधित करते हुए चढूनी ने कहा, हम उन लोगों को वोट क्यों दें जो सिर्फ 3 फीसदी लोगों (पूंजीपतियों) के लिए काम करते हैं। इसीलिए मैं लोगों से कह रहा हूं कि आप ्र्रक्क के लोगों को वोट दे सकते हैं। मैं पंजाब के लोगों से इस अभियान से जुडऩे के लिए कह रहा हूं। हमारे बीच कई ऐसे लोग हैं जो चुनाव लड़ सकते हैं ।
दूसरी ओर संयुक्त किसान मोर्चा ने जोर देकर कहा है कि किसान आंदोलन और राजनीति साथ नहीं चल सकती। समालखा किसान मोर्चा के दर्शन पाल ने कहा, मिशन पंजाब की चर्चा के कारण मोर्चे में दरार पैदा हो रही है। यही कारण है कि हमें कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है । लोग हमसे मिशन पंजाब के बारे में पूछ रहे हैं। चुनाव लडऩा हमारा एजेंडा नहीं रहा है और ऐसा कभी नहीं होगा। चढूनी को पहले अपने विचार के बारे में हमसे बात करनी चाहिए थी, फिर जनता के बीच जाना चाहिए था। हालांकि किसान मोर्चा ने 13 और 14 जुलाई को दिल्ली में अपनी बैठक में इस पर चर्चा की थी।