कांग्रेस की चुनावी घोषणा पत्र की दोबारा समीक्षा, क्या है वजह
नई दिल्ली। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अजय माकन द्वारा प्रदेश विधायकों से विचार-विमर्श के बाद अब चुनावी घोषणा पत्र लागू करने को लेकर आज दूसरी समीक्षा बैठक होगी। इसी सप्ताह मुख्यमंत्री ने घोषणा पत्र के कार्यों की समीक्षा की है। अब एआईसीसी द्वारा गठित घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष ताम्रध्वज साहू जयपुर आकर घोषणा पत्र के वादों के संबंध में बैठक लेंगे।
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर विधायकों से सलाह-मशविरा करने के बाद प्रदेश प्रभारी दिल्ली लौट आए हैं। उन्होंने मंत्रियों के काम का विस्तार से फीडबैक लिया और संकेत दिया कि कई मंत्री सत्ता से संगठन के काम में आना चाहते हैं।
इससे साफ संकेत मिलता है कि आलाकमान मंत्रिमंडल में फेरबदल चाहता है, जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार के पक्ष में हैं। माकन द्वारा सोनिया गांधी को ओपिनियन पोल सौंपने के बाद ही कैबिनेट के बारे में अंतिम फैसला लिया जाएगा। हालांकि इस बीच चुनावी घोषणा पत्र के वादों को लेकर दूसरी समीक्षा का मामला सामने आ रहा है।
इसके लिए एआईएसीसी द्वारा गठित घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष ताम्रध्वज साहू आज विशेष विमान से जयपुर पहुंचेंगे। छत्तीसगढ़ सरकार में कैबिनेट मंत्री साहू दो बजे मुख्यमंत्री आवास पर बैठक लेंगे। ऐसे में कांग्रेस ने चुनावी घोषणा पत्र में जो वादे किए थे, उनकी समीक्षा की जाएगी। सरकार के आधे कार्यकाल के बाद घोषणा पत्र के कितने वादों पर अमल हुआ है। अभी कितने वादे लागू होने बाकी हैं और इसके पूरा न होने के पीछे क्या कारण थे।
यह देखने लायक है कि घोषणा पत्र के वादों के संबंध में एक सप्ताह में यह दूसरी बैठक होगी । इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायकों की राय के बीच में चुनावी घोषणा पत्र के वादों के संबंध में समीक्षा बैठक की थी। विभागवार घोषणा पत्र पर किए गए कार्यों की समीक्षा करते हुए सीएम ने सभी विभागों को समयबद्ध तरीके से काम करने को कहा था। सीएम ने घोषणा पत्र से संबंधित अपने ही विभाग के कार्यों की लगातार निगरानी का काम मंत्रियों को दिया। सरकार का आधा कार्यकाल बीत चुका है, ऐसी स्थिति में उन्होंने घोषणा पत्र के शेष वादों पर काम में तेजी लाकर लगातार पालन करने के निर्देश दिए।
दरअसल, सचिन पायलट गुट घोषणा पत्र में जनता से किए गए वादों को समय पर पूरा करने की मांग उठाता रहा है। समाधान समिति के समक्ष रखी गई मांगों में घोषणा पत्र पर भी काम प्रमुख मांग थी। यही कारण है कि जैसे ही हाईकमान ने राजस्थान पर फोकस किया, उसने घोषणा पत्र को लेकर निगरानी बढ़ा दी है और मंत्रियों की बैठक भी बुलाई है ताकि पायलट खेमे इसे मुद्दा न बना सके।