दोनों सदनों में पास हुआ यह विधेयक, अब राज्य सरकारों को मिलेगा यह अधिकार
नई दिल्ली। लोकसभा से पारित होने के बाद आज राज्यसभा ने ओबीसी आरक्षण संशोधन विधेयक भी पारित कर दिया। राज्यसभा में मानसून सत्र का यह पहला दिन है जब किसी विधेयक पर इतनी लंबी चर्चा हुई है। इस विधेयक पर चर्चा के दौरान लगभग सभी दलों ने एकमत होकर विधेयक का समर्थन किया।
राज्यसभा में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार के प्रस्ताव के साथ ओबीसी विधेयक पर चर्चा शुरू हुई। इसके तुरंत बाद कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने विधेयक का समर्थन करते हुए विधेयक को अर्थहीन करार दिया। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सरकार ओबीसी बिल के जरिए राज्यों को एक कागजी दस्तावेज सौंप रही है। यह अर्थहीन है क्योंकि देश के 80 प्रतिशत राज्यों में आरक्षण की सीमा पहले ही 50 प्रतिशत को पार कर चुकी है। अब ओबीसी की नई सूची बनाकर राज्य क्या करेगा? यह एक खाली बर्तन है। नागालैंड, मिजोरम में 80 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 65 प्रतिशत आरक्षण है, इसी तरह अन्य राज्यों में भी आरक्षण है।
बिहार से बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि मैं संविधान संशोधन विधेयक के समर्थन में खड़ा हूं। पिछड़ों को सम्मान केवल उन्हीं सरकारों से मिला जिनमें जनसंघ और भाजपा शामिल थे। मंडल आयोग को लागू करने वाली वीपी सिंह की सरकार में जनसंघ के लोग शामिल थे। प्रोफेसरों और सहायक प्रोफेसरों के मामले में, मोदी सरकार ने विश्वविद्यालय को एक विभाग के बजाय एक इकाई के रूप में माना। हम संसद के सेंट्रल हॉल में अंबेडकर की तस्वीर लगाते हैं। अम्बेडकर को उनकी मृत्यु के 34 साल बाद हमारे सहयोग से भारत रत्न दिया गया था। सुशील मोदी ने सदन में आरएसएस के दत्ता त्रेया होसबोले के बयान का हवाला दिया कि जब तक समाज में इसकी जरूरत है, तब तक आरक्षण रहेगा। सुशील मोदी ने कहा कि 2024 में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनेंगे क्योंकि वह सबका साथ सबका विकास करेंगे और कोई नहीं करेगा।
आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि मैं बिल का समर्थन करता हूं। ये वही बीजेपी है जिसके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन ने पिछड़ों की 18,000 नौकरियां खा लीं। उन्होंने सदन में मंडल पर कितना बड़ा झूठ बोला? मंडल के समय वे कमंडल के साथ निकले थे। वे मंदिर में चंदा चुराते हैं। यूपी में दलितों की हालत को देखते हुए योगी सरकार ने यूपी में हाथरस की घटना को अंजाम दिया, बलिया में एसडीएम के सामने जय प्रकाश पाल की हत्या कर दी गई। उनके शासन में, दलितों को मूंछ रखने के लिए मार दिया जाता है। साथ ही 50 फीसदी आरक्षण की सीमा बढ़ाने का बिल भी लाएं, नहीं तो यह ओबीसी बिल महज दिखावा है। जब मैंने चंदा चोरी का मामला उठाया तो मेरे खिलाफ 15 मुकदमे दर्ज किए गए। मुझे गैंगस्टर बनाना चाहते हैं। किसानों की आवाज नहीं सुनी जा रही है।
केरल से भाकपा सांसद बिनॉय विश्वम ने कहा कि मैं इस बिल का समर्थन करता हूं। यह एक जरूरी बिल है। वीपी सिंह की सरकार गिराने का काम इसी बीजेपी की जनता ने किया और आज यहां सुशील मोदी वीपी सिंह का हवाला देकर मंडल में श्रेय लेना चाहते हैं। बीजेपी सिर्फ झूठ बोलना जानती है। वे मंडल के खिलाफ कमंडल लेकर आए थे। उन्होंने हिंदू समाज को बांटने का काम किया है। और अब जनता को धोखा दे रहे हैं। दलितों की हत्या कर रही है मोदी सरकार मैं बिल का समर्थन करता हूं और सरकार की राजनीति का विरोध करता हूं।
कांग्रेस सांसद राजमणि पटेल ने कहा कि मध्य प्रदेश के इस बिल के बारे में हम सिर्फ इतना कह सकते हैं कि लाशें वही हैं लेकिन कफन बदल गया है। यह बिल सरकार की गलती का सुधार मात्र है। इस देश में 52 प्रतिशत ओबीसी हैं। ओबीसी के प्रति सरकार की मंशा ठीक नहीं है। वे मंडल के करों का विरोध कर रहे थे। मध्य प्रदेश में कहीं भी ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण का पालन नहीं हो रहा है। मध्य प्रदेश में कुल 74 प्रतिशत आरक्षण है। लेकिन 50 फीसदी की सीमा सुप्रीम कोर्ट से होने के कारण इसका पालन नहीं हो रहा है। इसलिए इस सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए। जातिगत जनगणना होनी चाहिए। तभी ओबीसी को सरकार की नीतियों का लाभ मिल सकता है। क्रीमी लेयर को हटा देना चाहिए।
बीजेपी सांसद हरनाथ सिंह यादव ने कहा कि मैं बिल के समर्थन में खड़ा हूं। कांग्रेस ने हमेशा वंचितों को नुकसान पहुंचाया लेकिन मुलायम सिंह यादव ने पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की कभी कोशिश नहीं की। कांग्रेस ने किसान के बेटे पटेल को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया। जगजीवन ने राम का अपमान किया। वहीं मल्लिकार्जुन खडग़े समेत कांग्रेस सांसदों ने बीजेपी को मंडल के खिलाफ कमंडल लाने का इतिहास याद दिलाया।
सामाजिक न्याय मंत्री वीरेंद्र कुमार ने ओबीसी विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा बढ़ाने पर चर्चा होनी चाहिए क्योंकि यह नियम 30 साल पहले लागू किया गया था और अब परिस्थितियां बदल गई हैं। ऐसा कहकर सरकार ने असल में विपक्ष की ही मांग का समर्थन करने की ओर इशारा किया। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा था कि आरक्षण की सीमा बढ़ाए बिना।