इन दो वैक्सीनों के मिक्स ट्रायल को मंजूरी, 300 वॉलंटियर्स को दी जाएगी दोनों टीकों की खुराक
नई दिल्ली। डीसीजीआई ने भारत में दो अलग-अलग टीकों के मिक्स ट्रायल की अनुमति दे दी है। यह ट्रायल सीएमसी, वेल्लोर में किया जाएगा, जिसमें भारत के कोरोना वैक्सीनेशन में इस्तेमाल होने वाले दो टीके, कोविशील्ड और कोवैक्सीन दिए जाएंगे। इसमें यह पता चलेगा कि क्या किसी व्यक्ति को वैक्सीन की दो अलग-अलग खुराक दी जा सकती है।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की विषय विशेषज्ञ समिति ने सीएमसी, वेल्लोर को भारत में कोरोना टीकाकरण में इस्तेमाल होने वाले दोनों टीकों का मिश्रित नैदानिक परीक्षण करने की अनुमति दे दी है। जानकारी के मुताबिक अब इस ट्रायल में 300 वॉलंटियर्स को शामिल किया जाएगा, जिन्हें ये दो अलग-अलग वैक्सीन की खुराक दी जाएगी।
आपको बता दें कि हाल ही में इस बारे में एक स्टडी भी आई थी। आईसीएमआर की स्टडी में पाया गया है कि भारत में कोरोना के खिलाफ दी जा रही दो वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन की मिली-जुली खुराक देने से न सिर्फ कोरोना के खिलाफ बेहतर इम्युनिटी बनती है, बल्कि यह कोरोना के वेरिएंट्स पर भी असरदार है।
आईसीएमआर स्टडी प्रिंट अध्ययन में 98 लोगों को शामिल किया गया था, जिनमें से 40 लोगों को कोवाशील्ड की दोनों खुराक और 40 लोगों को कोवासीन की दोनों खुराक दी गई थी। और 18 लोग ऐसे थे जिन्हें कोविशील्ड की पहली खुराक और कोवैसीन की दूसरी खुराक दी गई।
राष्ट्रीय कोरोना टीकाकरण के तहत उत्तर प्रदेश में अठारह व्यक्तियों को अनजाने में या गलती से कोविशील्ड वैक्सीन की पहली खुराक और कोवैक्सीन की दूसरी खुराक दी गई। ढ्ढष्टरूक्र ने उन लोगों की सुरक्षा और इम्युनोजेनेसिटी की तुलना की, जिन्हें गलती से ये अलग-अलग टीके लग गए थे, जिन्हें कोवाशील्ड या कोवैक्सीन की दोनों खुराक मिल गई थी। इस अवलोकन अध्ययन में 98 लोगों को शामिल किया गया था। जिसमें से 40 लोगों को कोविशील्ड की दोनों डोज और 40 लोगों को कोवैसीन की दोनों डोज दी गईं। और 18 लोग ऐसे थे जिन्हें कोविशील्ड की पहली खुराक और कोवैसीन की दूसरी खुराक दी गई, जिसमें 11 पुरुष और 7 महिलाएं थीं।
इस अवलोकन संबंधी अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि निष्क्रिय संपूर्ण वायरस वैक्सीन न केवल सुरक्षित था, बल्कि एडेनोवायरस वेक्टर प्लेटफॉर्म-आधारित वैक्सीन के टीकाकरण के बाद बेहतर इम्युनोजेनेसिटी भी प्रदान करता था। वहीं, जिन लोगों को दोनों अलग-अलग खुराक दी गई, उनमें कोरोना के अल्फा, बीटा और डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ इम्युनोजेनेसिटी प्रोफाइल काफी बेहतर दिखाई दिया। इसके अलावा एंटीबॉडीज और न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज भी काफी ज्यादा थीं।
जानकारों के मुताबिक इस तरह का अध्ययन फायदेमंद होता है। यह स्पष्ट होगा कि क्या ऐसा किया जा सकता है और इससे क्या लाभ होगा। उनके मुताबिक, कुछ देशों में इस तरह के क्लीनिकल ट्रायल पहले ही किए जा चुके हैं। साथ ही अगर यह अच्छा साबित होता है तो दो अलग-अलग टीकों का इस्तेमाल कर टीकाकरण भी तेजी से किया जा सकता है।
जल्द ही इस वैक्सीन का ट्रायल सीएमसी वेल्लोर में किया जाएगा। जिसमें यह देखा जाएगा कि क्या इसका कोई फायदा मिल रहा है, लंबे समय से उसे रोग प्रतिरोधक क्षमता मिल रही है या नहीं।