यूपी सरकार को ‘सुप्रीमÓ फटकार मगर शर्म नहीं आती अफसरों को
- चीफ जस्टिस ने पूछा हत्या के मामले में क्यों अपनाया जा रहा दोहरा रवैया
- सरकार की स्टेटस रिपोर्ट से संतुष्टï नहीं है सुप्रीम कोर्ट, पुलिस कार्रवाई पर भी सवाल
- डीजीपी को सभी सबूतों को सुरक्षित रखने का दिया आदेश, अगली सुनवाई 20 को
- लखीमपुर हिंसा में मारे गए थे चार किसानों समेत आठ लोग
- विपक्ष ने कहा, सुप्रीम कोर्ट नहीं संतुष्टï तो इस्तीफा दे प्रदेश सरकार
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क. नई दिल्ली। लखीमपुर हिंसा मामले में अफसरों ने एक बार फिर योगी सरकार की किरकिरी करा दी। इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को जमकर फटकार लगायी। कोर्ट ने पूछा कि हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस दोहरा रवैया क्यों अपना रही है? अदालत सरकार की स्टेटस रिपोर्ट से भी संतुष्टï नहीं है। इस मामले में अगली सुनवाई बीस अक्टूबर को होगी। कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद विपक्ष ने सरकार पर जमकर हमला बोला। विपक्ष ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट संतुष्टï नहीं है तो अब यूपी की भाजपा सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए। कोर्ट में हरीश साल्वे ने उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष रखा। साल्वे ने कहा कि राज्य सरकार ने जांच की स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल की है। सीजेआई ने कहा कि मुख्य आरोपी के खिलाफ बेहद गंभीर मामला है। इस पर साल्वे के कहा कि मुख्य आरोपी को ्रनोटिस दिया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कोई भी बुलेट की इंजरी नहीं है इसलिए आरोपी को सिर्फ नोटिस दिया गया। इस पर सीजेआई ने पूछा, अगर कोई बुलेट इंजरी नहीं है तो क्या यह गंभीर अपराध नहीं है। सीजेआई ने पूछा कि हत्या के मामले में आरोपी से अलग व्यवहार क्यों हो रहा है? अब तक हत्यारोपी को हिरासत में किस आधार पर नहीं लिया गया? हम जिम्मेदार सरकार और जिम्मेदार पुलिस देखना चाहते हैं। सीजेआई ने अपने आदेश में कहा है कि कोर्ट यूपी सरकार की स्टेट्स रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है। यही नहीं राज्य सरकार ने इस मामले में जो एक्शन लिया है उससे भी संतृष्ट नहीं है। इस मामले की अगली सुनवाई बीस अक्टूबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि इस मामले की जांच एक वैकल्पिक एजेंसी से कराई जाय और जब तक यह एजेंसी जांच शुरू नहीं कर देती तब तक डीजीपी की यह जिम्मेदारी होगी कि वे घटना से जुड़े सबूतों को सुरक्षित रखें। गौरतलब है कि लखीमपुर हिंसा मामले की सुनवाई सीजेआई एनवी रमन, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच कर रही है।
अखिलेश बोले, सुप्रीम कोर्ट से मिलेगा पीड़ितों को न्याय
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद न्याय की उम्मीद जगी है। अब न्याय मिलेगा। सच्चाई यह है कि कोर्ट की नोटिस के बाद ही सरकार जागी है। कोई पुलिस अधिकारी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री से पूछताछ कैसे करेगा? वह तो मंत्री को पहले सैल्यूट करेगा।
सपा ने किया विरोध प्रदर्शन
सपा प्रमुख अखिलेश यादव आज बहराइच में किसानों से मिलने पहुंचे और उन्हें ढांढस बंधाया। उन्होंने कहा कि सपा उनके साथ खड़ी है। वहीं दूसरी ओर लखीमपुर हिंसा और महंगाई समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर सपा कार्यकर्ताओं ने राजधानी में प्रदर्शन किया।
पीएम की चुप्पी पर सिब्बल का सवाल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने लखीमपुर खीरी हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी को लेकर आज सवाल किया और कहा कि उन्हें कम से कम सहानुभूति का एक शब्द तो बोलना चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया, लखीमपुर खीरी की भयावह घटना। मोदी जी, आप चुप क्यों हैं? आपकी ओर से सिर्फ सहानुभूति के एक शब्द की जरूरत है। यह मुश्किल नहीं होना चाहिए अगर आप विपक्ष में होते तो आप की प्रतिक्रिया कैसी होती? हमें बताएं।
नहीं सुन रही सरकार, अब मर रहे किसान: हरसिमरत कौर
शिरोमणि अकाली दल का प्रतिनिधिमंडल आज लखीमपुर खीरी जाएगा और पीड़ित परिवारों से मुलाकात करेगा। शिरोमणि अकाली दल का प्रतिनिधिमंडल लखीमपुर खीरी का दौरा करने लखनऊ हवाई अड्डे पहुंचा। हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही है और अब किसान मारे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम किसानों के साथ खड़े हैं।
क्राइम ब्रांच नहीं पहुंचा मंत्री का बेटा आशीष, नेपाल भागने की आशंका
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मंत्री अजय मिश्रा का बेटा आशीष क्राइम ब्रांच की टीम के सामने पेश नहीं हुआ है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि आशीष नेपाल भाग गया है। सूत्रों के मुताबिक आशीष मिश्रा मोनू की आखिरी लोकेशन नेपाल में मिली है। हालांकि उनका गांव भी नेपाल बॉर्डर पर है। बनवीरपुर से नेपाल बॉर्डर महज आठ किमी की दूरी पर है। नौ सदस्यीय पर्यवेक्षण समिति क्राइम ब्रांच के ऑफिस में ही मौजूद हैं। लखीमपुर हिंसा के बाद एफआईआर की विवेचना की निगरानी के लिए डीजीपी मुकुल गोयल ने नौ सदस्यीय निगरानी समिति का गठन किया था। इस समिति में डीजीपी मुख्यालय में तैनात डीआईजी उपेंद्र अग्रवाल को समिति का अध्यक्ष बनाया गया था जबकि 10वीं वाहिनी पीएसी बाराबंकी में तैनात सेनानायक सुनील कुमार सिंह को वरिष्ठ सदस्य बनाया गया था। वहीं आशीष मिश्रा के चचेरे भाई अमित मिश्रा ने कहा कि भागने की कोई बात नहीं है। आशीष एसआईटी के सामने पेश होंगे।
क्या है मामला
लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को किसान उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे के विरोध में जुलूस निकाल रहे थे। एक तेज रफ्तार वाहन ने चार किसानों को रौंद दिया। चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गयी। लखीमपुर खीरी के तिकुनियां कोतवाली क्षेत्र में हुई घटना में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा व अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है, लेकिन अभी तक आशीष की गिरफ्तारी नहीं हुई है। किसान नेताओं ने आशीष पर किसानों को कार से रौंदने का आरोप लगाया है।
खुद सुप्रीम कोर्ट यूपी सरकार से संतुष्टï नहीं है। पुलिस लापरवाह है। गृह राज्यमंत्री के बेटे की गिरफ्तारी न होने से स्पष्टï है कि उसे सरकार का संरक्षण प्राप्त है इसलिए अब भाजपा को सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है। सीएम योगी के साथ अजय मिश्रा टेनी को भी इस्तीफा देना चाहिए।
सुरेंद्र राजपूत, प्रवक्ता, कांग्रेस
सुप्रीम कोर्ट के संदेश को समझा जाए तो वह यह कह रहे हैं कि योगी-मोदी सरकार की मशीनरी हत्यारों के साथ खड़ी है। पुलिस को कोई कार्रवाई न करने और हत्यारों को बचाने के स्पष्ट निर्देश हैं। भारी जनदबाव में सरकार जांच का झूठा दिखावा कर रही है। ये घटना देश में आतंक फैलाने के लिए की गई है इसको आतंकी घटना मानते हुए इसके आतंकवादियों की तलाश की जाए।
वैभव माहेश्वरी, प्रवक्ता, आप
कोविड के समय में हाईकोर्ट ने कहा था कि यूपी में सब रामभरोसे है। आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार लापरवाह है। आम आदमी को सरकार घर से उठवा लेती, घर पर बुलडोजर चलवा देती लेकिन मंत्री का बेटा उनको खोजे नहीं मिल रहा है। भाजपा अपने लोगों को बचाने में जुटी हैं।
अनुपम मिश्रा, राष्टï्रीय संयोजक, टीम आरएलडी