रिज़र्व बैंक ने खोली यूपी की सरकार पोल!
सुष्मिता मिश्रा
भारतीय रिजर्व बैंक ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नींद उड़ाने वाली रिपोर्ट प्रकाशित की है। यह रिपोर्ट भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि योगी के सरकार में आने के बाद प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय काफी घट गई है। यह रफ्तार न सिर्फ राष्ट्रीय औसत से नीचे है, बल्कि पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल की दर से भी आधी है। दरअसल, इंडियन रिजर्व बैंक ने बीते हफ्ते ‘हैंडबुक ऑफ स्टैटिस्टिक्स ऑन द इंडियन इकोनॉमी, 2020-21’ नाम से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। हर साल प्रकाशित होने वाले इस हैंडबुक से न सिर्फ देश की बल्कि सभी राज्यों की अर्थव्यवस्था की स्थिति पर प्रकाश डाला गया है।
केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2017-18 से वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान यूपी का प्रति व्यक्ति शुद्ध घरेलू उत्पाद (NSDP) महज 2.99 प्रतिशत की दर से बढ़ा। प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय के बढ़ने की दर वित्त वर्ष 2012-13 से वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान पांच प्रतिशत थी।
अत: यह बात स्पष्ट हो जाती है कि सपा सरकार के पांच साल की तुलना में भाजपा के पहले तीन साल में लोगों की आय बढ़ने की दर करीब आधी रह गई है। यह बात भी गौर करने लायक है कि उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन समान अवधि के 4.6 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत से काफी कम है।अगर कोरोना महामारी से प्रभावित समय को जोड़कर भी देखें तो तस्वीर और अधिक खराब हो जाती है। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के पहले चार साल में लोगों की आय बढ़ने की दर मात्र 0.1 प्रतिशत रह जाती है।
रिजर्व बैंक ने कोविड के चलते वित्त वर्ष 2020-21 में हुए नुकसान की पूरी भरपाई अगले वित्त वर्ष में हो जाने के अनुमान के हिसाब से भी गणना की है। इस तरह से देखने पर भी तस्वीर में कोई सुधार नजर नहीं आता है। ऐसा मान लेने के बाद योगी सरकार के पूरे पांच साल में आय बढ़ने की दर महज 1.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह समान अवधि के अनुमानित राष्ट्रीय औसत 2.7 प्रतिशत से बहुत कम है। ऐसे में जब रिपोर्ट सामने आई तो विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया. जहाँ एक तरफ पूर्व सीएम मायावती ने कहा, यूपी के लोगों की प्रति व्यक्ति आय नहीं बढ़ी है। यहां के करोड़ों लोगों के गरीब व पिछड़े बने रहने संबंधी रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़े इसे साबित कर रहे हैं। भाजपा के विकास के दावे हवा हवाई और जुमलेबाजी हैं।
तो वहीं, सपा ने तीखा वार किया व सोशल मीडिया पर लिखा, झूठ का डबल इंजन दौड़ाने वाले मुख्यमंत्री के मुंह पर RBI का जोरदार तमाचा है। अब मुख्यमंत्री कहां मुंह छिपाएंगे?
अगर मुख्यमंत्री योगी के हालिया दावों के संबंध में वास्तविक आंकड़ों को रखकर देखें तो असंभव-सी स्थिति दिखाई पड़ती है। वहीँ मामले पर सियासत इसलिए शुरू हुई है क्योंकि, मुख्यमंत्री ने अगले पांच साल में उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय के राष्ट्रीय औसत से अधिक हो जाने का दावा किया था। जबकि ऐसा सिर्फ तब हो सकता है जब प्रदेश में आय सालाना 22 प्रतिशत की दर से बढ़े और राष्ट्रीय आय बढ़ने की दर पांच प्रतिशत बनी रहे।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में आने वाले 2021 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। यूपी के अलावा जिन अन्य राज्यों में चुनाव होने वाले हैं उसमें गोवा, उत्तराखंड, मणिपुर और पंजाब का नाम शामिल है। क्योंकि इस रिपोर्ट के मुताबिक, सभी चुनावी पांचों राज्यों में गोवा की प्रति व्यक्ति आय सर्वाधिक 3.04 लाख रुपये है। वहीं, उत्तराखंड और पंजाब क्रमश: 1.59 लाख और 1.19 लाख रुपये के प्रति व्यक्ति आय के साथ राष्ट्रीय औसत से ऊपर है। जबकि, मणिपुर और उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा क्रमश: 54 हजार और 44,600 रुपये है जो कि 95 हजार रुपये के राष्ट्रीय स्तर की तुलना में कम है। ऐसे में माना जा रहा है कि, अन्य राजनीतिक दल इस रिपोर्ट के आंकड़ों को जनता के सामने पेश कर चुनावी मुद्दा बनाने की भरसक कोशिश कर सकते हैं। लेकिन देखना यह होगा कि विपक्षी दलों को इसका कहाँ तक फायदा मिलता है।