पौधे रोपने मात्र से ही धरा हरी भरी नहीं हो सकती !
4PM न्यूज नेटवर्क: धरती पर जब पेड़-पौधे नहीं होंगे तो जीवन भी खतरे में पड़ जाएगा। प्राकृतिक आपदाएं बढ़ने का एक कारण पेड़ों का अंधाधुंध कटान है। सरकारी स्तर पर धरा के श्रृंगार के लिए हर साल वन महोत्सव मनाया जाता है व लाखों पौधे रोपे जाते हैं लेकिन इनमें से कितने बच पाते हैं, यह मंथन का विषय है। ऐसे में पौधे रोपने मात्र से ही धरा हरी-भरी नहीं हो सकती है। जब तक पौधा पेड़ नहीं बन जाता, तब तक उसका संरक्षण किया जाना बहुत जरूरी है।
हिमाचल में राजमार्गो के किनारे असंख्य पौधे लगाए गए थे, जो पेड़ बन चुके थे। माना कि विकास जरूरी है और उसके लिए कुछ तो कीमत चुकानी ही होगी। विकास के लिए बताएंगे सैकड़ों, लेकिन हज़ारों पेड़ काटे जाएंगे। पेड़ कलम करने के लिए बाज़ार में बढ़िया, तेज़, सस्ती और बिना आवाज़ आरियां मिलती हैं। ऐसे में पता नहीं चलता कब गिर गया मोटे तने वाला, खूब ऑक्सीजन देने वाला पेड़ और साथ ही गिर पड़ता है कुव्यवस्था के चरणों में सख्त क़ानून। पेड़ काटेंगे तो सख्त जांच होगी।
पेड़ काटेंगे तो सख्त होगी जांच
बताया जा रहा है कि प्रारंभिक जांच में पेड़ गिराने की पुष्टि हुई यानी जांच ठीक, पारम्परिक और लोकतांत्रिक तरीके से नहीं हुई। जांच करने वालों को ठीक तरीके से हैंडल नहीं किया गया। मुख्यालय व्यापक स्तर पर जांच बिठाने की तैयारी कर सकता है। जांच गहन होनी है तभी समय भी डरा बैठा है, पता नहीं जांच में क्या निकल आए? कुछ ठोस निकला तो कार्रवाई करना मुश्किल हो जाएगा। कुछ नहीं निकला तो जांच जारी रखनी पड़ेगी।
ऐसे में माना जा रहा है जांच सही दिशा में जा रही है। बड़ी कुर्सी ने कम बड़ी कुर्सी से रिपोर्ट मांगी। विभाग ने अन्य क्षेत्रों में भी जांच शुरू कर दी। पेड़ काटने की पुष्टि की मरम्मत करने का राजनीतिक सुझाव आया है, ताकि आरोपों की परवाह न करते हुए जांच में स्पष्ट किया जाए कि एक भी वृक्ष किसी भी आरी या औजार से काटा नहीं गया। सभी वृक्ष प्राकृतिक आपदा यानी तेज बारिश आने के कारण, खुद उखड़ कर, पानी में गिर कर बह गए लेकिन पकड़े नहीं जा सके।
उन्होंने आरोप दोहराए कि कम्पनियां पेड़ काट रही हैं। यह सब देखते हुए कई वीडियो भी वायरल हुए लेकिन कम्पनियां ज्यादा शातिर होती हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ आम लोग मौके का फायदा उठाकर पेड़ काट रहे हैं ताकि कम्पनियों को लीज़ पर जमीन दे सकें। बात सही लगती है, दाम अच्छे मिल जाएं, वृक्षों ने उन्हें क्या पेड़े देने हैं? ऐसे में यह बात प्रशंसा मांगती है कि राजस्व विभाग को भी जांच में शामिल किया जाता है।