किस दिशा में जा रहा है देश ! क्या चाहते हैं नेता
एक बात कभी मत भूल डिवाइड एंड रूल, डिवाइड एंड रूल
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। राजनीति में नारो का अहम रोल है। हिट नारे सियासी दलों की जीत की गारंटी होते है। देश में रोटी, कपड़ा और मकान से शुरू हुए नारे तिलक, तराजू और तलवार से होते हुए बंटेगे तो कटेंगे तक पहुंच चुके हैं। आगे का सफर कितना बाकी है या फिर भविष्य में नारों की क्या संज्ञा होगी इसका अनुमान लगाया जा सकता है।
सीएम योगी द्वारा ‘बंटेगे तो कटेंगे’ दिया गया नारे पर चर्चा उस समय से तेज हो गयी जब इस नारे पर आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले की मोहर लग गयी। बीजेपी के इस नारे का जवाब यूपी में समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव और पार्टी की तरफ से दिया गया। शिवपाल ने कहा कि जो इस तरह की बात करेगा, वह बाद में पिटेगा वही सपा ने इसे हिंदू—मुस्लिम एकता से जोड़ दिया। इन सियासी नारों के कर्कश में बर्तानिया हुकूमत के वह नारे भी याद आने लगे है जिसमें कहा जाता था कि एक बात कभी मत भूल, डिवाइड एंड रूल, डिवाइड एंड रूल।
धमका रहे हैं शिवपाल
बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि धमकी देना समाजवादी पार्टी का मूल चरित्र है। चुनाव से पहले मुख्तार अंसारी के पुत्र ने भी इसी तरह की बात कही थी। आज शिवपाल यादव कह रहे हैं। जनता सबक सिखा देगी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र धमकियों से नहीं चलता। सपा का चरित्र ही यही है कि वह पहले डराते हैं, फिर धमकी देते हैं। जनता समझ चुकी है और सपा को नकार चुकी है।
क्या बंटा हुआ है हिंदू
इस सवाल पर समाजशास्त्रियों के मत सामने आये हैं। सब्जवारी कहतें हैं कि सीएम योगी आदित्यनाथ जिन बयानों को लेकर जाने जाते हैं यह बयान भी उन्हीं बयानों के परिपेक्ष में दिया गया बयान है जो समाजिक सौहार्द के लिए उचित नहीं है। डीके त्रिपाठी के मुताबिक इस बयान की जरूरत नहीं थी। हिंदू न तो बंटा है और न ही उसकी ऐसी सोच है।
हिंदुओं में एकता जरूरी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक जनसभा में कहा था, कि बटेंगे तो कटेंगे। योगी के इस बयान के बाद विपक्षी दलों ने इसकी आलोचना शुरू कर दी थी, लेकिन आरएसएस ने इसका समर्थन कर दिया। आरएसएएस ने कहा कि इस बयान का मतलब है कि हिंदुओं में एकता लाना जरूरी है। आरएसएस के इस बयान के बाद ही मामले ने तूल पकड़ा। नारे पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी। बागेश्वेेेेर बाबा भी कहां चुप रहने वाले थे। उन्होंने नारे का समर्थन किया और कर दिया कि मौजूदा समय में हिंदू एकजुट नहीं है। दुनिया में किसी भी देश के धर्म पर किसी भी मजहब के लोगों पर यदि कोई संकट आता है तो वह अपने देश चले जाते हैं। लेकिन हिंदुओ के लिए कोई देश नहीं है। इसलिए हिंदुओं को एकजुट होना जरूरी है।
वह नारे जिन्होंने समां बदल दिया
जय श्री राम
जय श्री राम एक अभिव्यक्ति है जिसका अर्थ है, भगवान राम की महिमा या भगवान राम की जीत। इसका इस्तेमाल हिंदू धर्म के लोग अनौपचारिक अभिवादन के तौर पर, हिंदू आस्था के प्रतीक के तौर पर, या अलग-अलग आस्था से जुड़ी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए करते हैं।
सायमन गो बैक
यह नारा, महाराष्ट्र के मुंबई जिले से ताल्लुक रखने वाले यूसुफ मेहरअली ने गढ़ा था। यह नारा भारतीय वैधानिक आयोग यानी साइमन कमीशन के खिलाफ था। उस समय आयोग में कोई भारतीय सदस्य नहीं था, जिससे राष्ट्रवादियों को लगा था कि भारतीय अपने देश के लिए संवैधानिक दृष्टिकोण रखने में सक्षम नहीं हैं।
रोटी, कपड़ा और मकान
चाहे फिल्म हो या फिर राजनीति। इस नारे को खूब भुनाया गया है। पहले समाजिक जिंदगी रोटी, कपड़ा और मकान के इर्द—गिर्द ही घूमती थी। इसीलिए इस मुददे पर फिल्मे भी बनती थी और राजनीतिक भाषण भी खूब दिये जाते थे।
इंदिरा तेरा यह बलिदान याद करेगा हिंदुस्तान
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मौत के बाद यह नारा चलन में आया था। इस नारे का इस्तेमाल कांग्रेस ने लंबे समय तक किया।
तिलक तराजू और तलवार
बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम द्वारा इस नारे को कहा गया था। यह नारा दलितों में अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने के लिए दिया गया था। इस नारे ने बहुजन समाज पार्टी को सत्ता के करीब लाकर खड़ा कर दिया और मायावती यूपी की तीन बार मुख्यमंत्री बनीं।
‘यह तो भविष्य की बात है’
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि हिंदू समाज एक संगठित समाज है। उन्होंने कहा कि बंटेंगे तो कटेंगे नारे में पहली बात तो ये है कि इस नारे में जो क्रिया है वह भविष्यकाल की है। यानी अभी हम अभी बंटे नहीं है। अभी हम एक हैं। यह भविष्य की बात है कि हम बटेंगे या नहीं। स्वामी अविमक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि नेताओं को यह बताना होगा कि वह कौन-सा कारण होगा जिसकी वजह से हम बटेंगे।
उपचुनाव से पहले नारा : ‘बंटेगे तो कटेंगे’
समाजशास्त्री प्रोफेसर डीके त्रिपाठी कहते हैं कि बंटेगे तो कटेंगे नारा यूपी में होने जा रहे उप—चुनाव से ठीक पहले आया है और इसके सियासी मायने हैं। वह कहते हैं कि बीजेपी हमेशा से पोलोराइजेशन की राजनीति करती है। यूपी में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। सभी को पता है कि पिछड़ा वोट इंडिया गठबंधन के साथ लामबंद हो गया था जिस कारण से बीजेपी को 35 सीटें खोनी पड़ी। इसबार किसी भी कीमत पर बीजेपी इन सीटों पर जीत दर्ज करना चाहती है। उन्होने आगे कहा कि हम सांस्कृतिक रूप से बंटे नहीं है। हमारा देश संविधान से चलता है। जिस देश में लोकतंत्र होता है वहां कोई धर्म नहीं होता। धर्म हमारा निजी मामला है हमे ?संविधान को लेकर जाना है। संविधान ने सभी को बराबर का अधिकार दिया है तो फिर हम बंटेगे क्यों?