पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के खिलाफ CBI ने दाखिल किया आरोप पत्र, अस्पताल में भर्ती

पूर्व राज्यपाल ने कहा कि उन्हें कई शुभचिंतकों के फोन आ रहे हैं, लेकिन वह बात करने में असमर्थ हैं.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी CBI ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और पांच अन्य के खिलाफ किरू पनबिजली परियोजना में कथित रिश्वतखोरी के मामले में आरोप पत्र दायर कर दिया है। यह आरोप पत्र गुरूवार को दायर किया गया।

CBI की तरफ से बताया गया कि यह मामला 2019 में किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर यानी हेप परियोजना के सिविल कार्यों के लगभग 2,200 करोड़ रूपये के ठेके को एक निजी कंपनी को देने में गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार से जुड़ा है। इस मामले में CBI ने 2022 में प्राथमिकी दर्ज की थी। इस बीच सत्यपाल मलिक ने गुरुवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि वह अस्पताल में भर्ती हैं और किसी से बात करने की स्थिति में नहीं हैं. पूर्व राज्यपाल ने कहा कि उन्हें कई शुभचिंतकों के फोन आ रहे हैं, लेकिन वह बात करने में असमर्थ हैं.

इस पर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा, “अस्पताल में भर्ती सत्यपाल मलिक जी की अति गंभीर हालत को देखते हुए, सरकार से आग्रह है कि उन्हें सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर सर्वश्रेष्ठ उपचार तत्काल उपलब्ध कराया जाए.”

सत्यपाल मलिक ने खुद उठाई थी रिश्वतखोरी की बात

बता दें कि इस ठेके के आवंटन में रिश्वतखोरी की बात खुद मलिक ने उठाई थी, जब वह 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे. सत्यपाल मलिक ने तब आरोप लगाया था कि उन्हें दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी, जिनमें से एक किरू जलविद्युत परियोजना से संबंधित थी, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया था.

1949 में स्थापित प्रमुख बुनियादी ढांचा और निर्माण कंपनी पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को सिविल कार्यों का ठेका दिए जाने पर सवाल उठाया गया है. सीबीआई ने पटेल इंजीनियरिंग के साथ-साथ चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (CVPPPL) के अध्यक्ष, एमडी और निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया.

एफआईआर में क्या कहा गया है?

प्राथमिकी में कहा गया कि जम्मू-कश्मीर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और बिजली विभाग द्वारा जांच की गई थी और पाया गया कि परियोजना में सिविल कार्यों के आवंटन में ई-टेंडरिंग के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया था. इसके अलावा, जलविद्युत परियोजना के खिलाफ घटिया काम और स्थानीय युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने में विफलता के आरोप भी लगाए गए.

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