बैकफुट पर फडणवीस सरकार

- उद्धव—राज की जोड़ी से डरा महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन
- वापस लिया फैसला, अब नहीं लागू होंगे हिंदी के अनिवार्य क्लास
- भाषा विवाद में विपक्ष की पहली जीत
- सरकार का बैकफुट पर आना पहली हार
- तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल में अभी भी सुलग रही है आग
- भाईयों केतेवर से घबराई भाजपा सरकार
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर गर्म है। इस बार मुद्दा है हिंदी भाषा को अनिवार्य करने का विवाद जिस पर फडणवीस-शिंदे की महायुति सरकार को पीछे हटना पड़ा है। जिस फैसले को कुछ दिन पहले तक राष्ट्रीय एकता और संघीय सौहाद्र्र के नाम पर सही ठहराया जा रहा था आज उसे अब जनभावनाओं का सम्मान बताते हुए चुपचाप वापस ले लिया गया है।
महाराष्ट्र में विभिन्न मुददों पर पिटने के बाद विपक्ष की यह पहली बड़ी जीत है। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने स्मार्ट तरीके से इस मुददे को सीधे महाराष्ट्र की अस्मिता से जोड़ कर जनता के सामने पेश किया। वहीं जनता का गुस्सा, सोशल मीडिया पर विरोध, छात्र संगठनों का धरना और विपक्ष का आक्रोश- इन सबने सरकार को बैकफुट पर ला खड़ा किया। सीएम फडणवीस को खुद सामने आकर कहना पड़ा कि हिंदी को अनिवार्य नहीं किया जाएगा। राज्य की भाषाई अस्मिता का सम्मान किया जाएगा। यह एक तरह से सरकार की हार है। इसे सिर्फ नीतिगत बदलाव कहकर नहीं टाला जा सकता। यह राजनीतिक दबाव और जनभावना के आगे घुटने टेकने का मामला है।
सरकार की बेचैनी बढ़ऩी तय थी
राज ठाकरे लंबे समय से महाराष्ट्र में हिंदी के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ बोलते रहे हैं वहीं उद्धव ठाकरे ने भी इस बार खुलकर मोर्चा लिया। उद्धव ने कहा कि मराठी राज्य में मराठी को ही किनारे किया जा रहा है। ये भाषा का नहीं पहचान का सवाल है। वहीं राज ठाकरे ने एक कदम और आगे बढ़ते हुए चेतावनी दी कि यदि हिंदी थोपने की कोशिश की गई तो एमएनएस स्टाइल में जवाब दिया जाएगा। इन दोनों नेताओं की भाषा और तेवर ने माहौल को इतना गरमा दिया कि एनसीपी शरद पवार धड़ा भी खुलकर सरकार पर बरस पड़ा।
विपक्ष की जीत
यह पहला मौका है जब विपक्ष को भाषा जैसे भावनात्मक मुद्दे पर सीधी बढ़त मिली है। उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे और शरद पवार की तिकड़ी ने महायुति के अंदर भी तनाव पैदा कर दिया है। शिंदे गुट की मराठी प्रतिबद्धता पर भी सवाल उठे हैं जो कि उनकी राजनीतिक वैधता का आधार रही है। इसके अलावा कांग्रेस ने भी इस मामले में केंद्र सरकार और संघ को घेरते हुए इसे संघीय ढांचे पर हमला करार दिया है।
‘सरकार ने महाराष्ट्र की जनता की भावनाओं को समझा’
केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने पत्रकारों से बात करते हुए हिंदी विवाद पर कहा है कि हिंदी को लेकर महाराष्ट्र के लोगों ने विरोध का रास्ता लिया। सरकार ने आंदोलन से पहले ही सिक्सर मारा है। हिंदी भाषा को लेकर जो विरोध होने वाला था उसे खत्म करने का काम किया। आठवले ने कहा हिंदी भाषा को अनिवार्य किया जाना चाहिए, लेकिन प्राइमरी स्तर पर नहीं क्योंकि वहां 6 साल के छोटे बच्चे होते हैं। सरकार ने महाराष्ट्र की जनता की भावनाओं को देखते हुए यह निर्णय लिया है।
अन्य राज्यों में धधक रही है आग
यह कोई अकेला मामला नहीं है। तमिलनाडु में तो हिंदी विरोध एक राजनीतिक अभियान बन चुका है। वहां की राज्य सरकार ने स्पष्ट रूप से केंद्र के हिंदी थोपने के किसी भी प्रयास को नकारा है। तेलंगाना में भी राज्य की भाषा नीति में किसी बाहरी हस्तक्षेप को अस्वीकार्य बताया जा रहा है। और केरल ने शिक्षा में मातृभाषा की भूमिका को प्राथमिकता देने की ठोस रणनीति अपनाई है। महाराष्ट्र ने इन राज्यों से संकेत लिया या डर खाया – ये तो अंदरखाने की बात है, लेकिन अब यह साफ है कि हिंदी थोपने की नीति पर राजनीतिक समर्थन दरक रहा है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मनाया 52वां जन्मदिन
- बधाई देने को उमड़ी समर्थकों की भीड़
- सभी पार्टी के नेताओं ने दी शुभकामनाएं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव आज यानी मंगलवार को अपना 52वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस मौके पर उन्हें बधाई देने वाले लोगों का तांता लगा हुआ है। सुबह से लोग उन्हें जन्मदिन की बधाई दे रहे हैं। अपने जन्मदिन के मौके पर सपा मुखिया अखिलेश यादव पार्टी मुख्यालय पहुंचे हैं। वहां पर बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता व समर्थक उन्हें बधाई देने के लिए मौजूद रहे। अखिलेश के आते ही कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया।
सीएम योगी ने दी शुभकामना
इस मौके पर सुबह-सुबह सीएम योगी ने भी अखिलेश को बधाई दी। इस पर सपा मुखिया ने उनका आभार व्यक्त किया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को जन्मदिन की हार्दिक बधाई। इस पर अखिलेश ने उन शुभकामनाओं के लिए उनको धन्यवाद कहा। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई!
अखिलेश को जन्मदिन पर हार्दिक बधाई : मायावती
सपा मुखिया को बधाई देने वालों में बसपा प्रमुख मायावती भी शामिल रहीं। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि, समाजवादी पार्टी के प्रमुख एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान सांसद अखिलेश यादव को जन्मदिन पर हार्दिक बधाई। उनके सुखी व दीर्घायु जीवन की भी ढेरों शुभकामनाएं। अखिलेश यादव ने पोस्ट पर रिप्लाई करते शुभकामनाओं के लिए बसपा प्रमुख का आभार व्यक्त किया।
सामाजिक न्याय की मशाल बढ़ा रहें हैं अखिलेश : स्टालिन
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सपा अध्यक्ष को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने मुलायम सिंह यादव का जिक्र करते हुए सपा अध्यक्ष को सामाजिक न्याय की मशाल बढ़ाने का संदेश दिया। स्टालिन ने अपने बधाई संदेश के जरिए सिंबल पॉलिटिक्स यानी प्रतीकों की राजनीति पर ज्यादा जोर देने की कोशिश की है। स्टालिन ने अखिलेश के जन्मदिन पर जो तस्वीर शेयर की है, उसके बैकग्राउंड में पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह का पोस्टर लगा हुआ है। आप प्रगतिशील राजनीति का मार्ग प्रशस्त करते हुए वीपी सिंह की भूमि पर सामाजिक न्याय की मशाल को आगे ले जाएं और अपने पिता मुलायम सिंह की गौरवशाली विरासत में प्रतिगामी विचारधाराओं के खिलाफ और अधिक मजबूती से खड़े हों।




