CM योगी की बायोपिक पर ग्रहण, फिल्म रिलीज पर रोक, HC पहुंचा मामला
CM योगी के जीवन पर आधारित फिल्म 'अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी' की रिलीज पर ग्रहण... बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचा मामला...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित बताई जा रही फिल्म ‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी’ की रिलीज पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं……. योगी के जीवन पर आधारित फिल्म ‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी’ की रिलीज की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है…… वैसे-वैसे इस फिल्म को लेकर विवाद भी गहराता जा रहा है……. यह फिल्म लेखक शांतनु गुप्ता की किताब ‘द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर’ से प्रेरित है…… बता दें कि एक अगस्त को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली थी….. लेकिन केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा सर्टिफिकेशन प्रक्रिया में कथित देरी के कारण इसकी रिलीज पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं…… फिल्म के निर्माता सम्राट सिनेमैटिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने इस देरी को ‘मनमाना’ और ‘अनुचित’ बताते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है……. कोर्ट ने इस मामले में सीबीएफसी को नोटिस जारी किया है…… और अगली सुनवाई 17 जुलाई को तय की है…..
‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी’ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित एक जीवनी फिल्म है…… यह फिल्म शांतनु गुप्ता की किताब ‘द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर’ से प्रेरित है…… जो 2017 में प्रकाशित हुई थी और 12 भाषाओं में उपलब्ध है……. किताब योगी आदित्यनाथ के जीवन की प्रेरणादायक यात्रा को दर्शाती है…… उनके उत्तराखंड के एक साधारण परिवार से निकलकर गोरखनाथ मठ के प्रमुख और फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने तक के सफर को बताती है……
फिल्म में योगी आदित्यनाथ के बचपन, उनके संन्यासी जीवन और राजनीति में प्रवेश को दिखाया गया है…… यह उनके संघर्षों, साहस और उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनके सुधारवादी दृष्टिकोण को उजागर करती है……. फिल्म में ड्रामा, भावनाओं, एक्शन और त्याग की मिलावट है…… जो इसे एक पारंपरिक राजनीतिक बायोपिक से अलग बनाता है…..
आपको बता दें कि फिल्म का निर्देशन रवींद्र गौतम ने किया है……. और इसे सम्राट सिनेमैटिक्स के बैनर तले निर्माता ऋतु मेंगी ने प्रोड्यूस किया है…… फिल्म में मुख्य भूमिका में अभिनेता अनंत वी. जोशी हैं……. जो योगी आदित्यनाथ का किरदार निभा रहे हैं…… उनके अभिनय को टीजर में संयम और जोश का मिश्रण बताया गया है…… जो दर्शकों को प्रभावित करता है…… इसके अलावा फिल्म में परेश रावल, दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’, अजय मेंगी, राजेश खट्टर, पवन मल्होत्रा…….. और गरिमा विक्रांत सिंह जैसे कलाकार भी अहम भूमिकाओं में हैं…….
फिल्म का टीजर 2 जुलाई को रिलीज किया गया था…… जिसे दर्शकों और सोशल मीडिया पर काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला……. टीजर में योगी आदित्यनाथ के संन्यासी बनने से लेकर राजनीति में प्रवेश…… और उत्तर प्रदेश में माफिया राज के खिलाफ उनकी लड़ाई को दमदार अंदाज में दिखाया गया है……. टीजर में ‘जनता दरबार’ जैसे दृश्य शामिल हैं……. जो सत्ता और जनता के बीच टूटे रिश्तों को जोड़ने का प्रतीक हैं…… इसकी सिनेमैटोग्राफी, प्रभावशाली डायलॉग्स और उच्च प्रोडक्शन वैल्यू ने इसे पारंपरिक बायोपिक्स से अलग बनाया है……. जिसको लेकर निर्माता ऋतु मेंगी का कहबना है कि यह टीजर उस साहसी कहानी की झलक है…… जो पुरानी व्यवस्था को चुनौती देती है……. योगी सिर्फ एक आध्यात्मिक गुरु नहीं……. बल्कि एक सुधारक भी हैं……. जो भ्रष्ट तंत्र को बदलने की ताकत रखते हैं……..
फिल्म को हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और मलयालम सहित कई भाषाओं में 1 अगस्त को रिलीज करने की योजना है……. निर्माताओं ने मार्केटिंग, डिस्ट्रीब्यूशन और प्रचार के लिए करीब 30 करोड़ रुपये खर्च किए हैं……. और रिलीज तक 10 करोड़ रुपये और खर्च होने की संभावना है……. फिल्म के निर्माताओं ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड पर फिल्म, इसके टीजर, ट्रेलर और एक प्रमोशनल गाने के सर्टिफिकेशन में ‘मनमानी’ और ‘अस्पष्ट’ देरी करने का आरोप लगाया है……… सम्राट सिनेमैटिक्स का कहना है कि उन्होंने 5 जून को सर्टिफिकेशन के लिए आवेदन जमा किया था…….. और सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 के तहत सीबीएफसी को 7 दिनों के भीतर आवेदन की जांच कर स्क्रीनिंग के लिए भेजना होता है……. हालांकि, सीबीएफसी ने इस समय-सीमा का पालन नहीं किया…….
निर्माताओं का कहना है कि सीबीएफसी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय से अनापत्ति प्रमाणपत्र की मांग की है……. जो ‘निराधार’ और ‘गैरकानूनी’ है…… सिनेमैटोग्राफ अधिनियम और इसके नियमों में ऐसी कोई आवश्यकता नहीं है……. निर्माताओं ने दावा किया कि जिस किताब पर फिल्म आधारित है……. उसे सीएमओ ने आधिकारिक तौर पर समर्थन दिया है…… और यह जानकारी सीबीएफसी को दी गई थी…… फिर भी बोर्ड ने आवेदनों पर कार्रवाई नहीं की……. जिससे फिल्म के प्रचार अभियान और रिलीज की तैयारियों पर असर पड़ा है…….
निर्माताओं के अनुसार सेंसर बोर्ड की देरी के कारण उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है……. अब तक वे मार्केटिंग, डिस्ट्रीब्यूशन और प्रचार पर 30 करोड़ रुपये खर्च कर चुके हैं……. और रिलीज तक 10 करोड़ रुपये और खर्च होने की संभावना है…… देरी के कारण प्रचार अभियान रुक गया है…….. जिससे उनकी साख को भी नुकसान हुआ है……. याचिका में कहा गया है कि यह देरी न केवल आर्थिक नुकसान का कारण बनी है…… बल्कि उनके मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन करती है……
सीबीएफसी की ओर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय से एनओसी की मांग को निर्माताओं ने ‘अवैध’ और ‘निराधार’ बताया है……. उनके अनुसार, सिनेमैटोग्राफ अधिनियम में ऐसी कोई शर्त नहीं है कि किसी जीवनी फिल्म के लिए संबंधित व्यक्ति या संस्था से एनओसी लेना अनिवार्य है…….. निर्माताओं ने कोर्ट में तर्क दिया कि यह मांग अनुचित है……. और सेंसर बोर्ड की निष्क्रियता को दर्शाती है…….
सम्राट सिनेमैटिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सीबीएफसी की देरी और एनओसी की मांग को चुनौती दी है…… याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट सीबीएफसी को निर्देश दे कि वह 5 दिनों के भीतर फिल्म, टीजर, ट्रेलर……. और गाने को सर्टिफाई करे…….. और स्क्रीनिंग तुरंत शुरू की जाए…….. याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि सीबीएफसी की निष्क्रियता से उनकी रिलीज की समय-सीमा……. और प्रचार अभियान पर गंभीर असर पड़ रहा है…….
आपको बता दें कि 15 जुलाई को बॉम्बे हाई कोर्ट की जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे….. और जस्टिस नीला गोखले की खंडपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की…… कोर्ट ने सीबीएफसी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है……. कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि सीबीएफसी कानून के तहत निर्धारित समय-सीमा के भीतर सर्टिफिकेट जारी करने के लिए बाध्य है…… और वह इस जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकता…….
वहीं सुनवाई के दौरान सीबीएफसी के एक अधिकारी ने वकील नियुक्त करने के लिए समय मांगा…….. जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया…… कोर्ट ने सीबीएफसी को दो दिन के भीतर अपने वकील के माध्यम से जवाब देने का निर्देश दिया है…….. इस मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी……. जिसमें सीबीएफसी की शक्तियों की सीमा…… और सिनेमैटोग्राफ अधिनियम के तहत उसकी जिम्मेदारियों पर चर्चा हो सकती है……
‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी’ एक ऐसी फिल्म है……. जो राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से संवेदनशील मानी जा रही है…… योगी आदित्यनाथ एक प्रमुख राजनीतिक और धार्मिक नेता हैं…….. और उनकी बायोपिक स्वाभाविक रूप से लोगों के बीच उत्सुकता और विवाद का विषय बन गई है…… फिल्म में उनके भ्रष्टाचार और माफिया राज के खिलाफ संघर्ष को दर्शाया गया है…….. जो उत्तर प्रदेश की अस्थिर राजनीति को उजागर करता है……
वहीं इस विवाद का नतीजा न केवल इस फिल्म की रिलीज पर असर डालेगा……. बल्कि यह भविष्य में अन्य जीवनी फिल्मों के लिए भी एक मिसाल कायम कर सकता है……. अगर कोर्ट सीबीएफसी के खिलाफ फैसला देता है…….. तो यह सेंसर बोर्ड की प्रक्रियाओं और शक्तियों पर सवाल उठा सकता है…….. वहीं अगर सीबीएफसी अपनी मांग को सही ठहराता है…….. तो यह जीवनी फिल्मों के लिए नए नियमों को जन्म दे सकता है…….
सिनेमैटोग्राफ अधिनियम 1952 और इसके तहत बने नियम फिल्म सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं……. इस अधिनियम के अनुसार सीबीएफसी को सर्टिफिकेशन आवेदन प्राप्त होने के बाद 7 दिनों के भीतर उसकी जांच कर स्क्रीनिंग के लिए भेजना होता है……. इसके बाद एक निर्धारित समय-सीमा के भीतर सर्टिफिकेट जारी करना होता है…….. निर्माताओं का कहना है कि सीबीएफसी ने इस समय-सीमा का उल्लंघन किया है…… जो कानून के खिलाफ है…….
‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी’ एक ऐसी फिल्म है…….. जो न केवल योगी आदित्यनाथ के जीवन को दर्शाती है……. बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति और सामाजिक बदलावों को भी उजागर करती है……. हालांकि, सीबीएफसी द्वारा सर्टिफिकेशन में देरी और एनओसी की मांग ने इसकी रिलीज को खतरे में डाल दिया है…… बॉम्बे हाई कोर्ट में चल रही कानूनी लड़ाई इस मामले को और महत्वपूर्ण बना रही है……



