गुजरात की साबर डेयरी में पशुपालकों पर लाठी चार्ज, एक पशुपालक की मौत
गुजरात की साबर डेयरी में अपने हक़ की मांग कर रहे पशुपालकों पर भाजपा सरकार ने बर्बर लाठीचार्ज किया.... जिससे एक किसान की जान चली गई...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः गुजरात के साबरकांठा जिले में साबर डेयरी के बाहर हाल ही में हुए पशुपालकों के प्रदर्शन ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है…… यह प्रदर्शन दूध की खरीद कीमतों में बढ़ोतरी की मांग को लेकर शुरू हुआ था…….. जो जल्द ही हिंसक रूप ले लिया……… इस दौरान पुलिस द्वारा लाठीचार्ज और आंसू गैस के इस्तेमाल ने स्थिति को और गंभीर बना दिया……. इस घटना में एक पशुपालक की मौत की खबर ने न केवल स्थानीय स्तर पर……… बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है…… आम आदमी पार्टी ने इस घटना को लेकर भारतीय जनता पार्टी सरकार पर तीखा हमला बोला है…….. इसे तानाशाही और बर्बर कार्रवाई करार दिया है……..
साबर डेयरी को आधिकारिक तौर पर साबरकांठा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ के नाम से जाना जाता है……. जो उत्तर गुजरात की सबसे प्रमुख दुग्ध सहकारी संस्थाओं में से एक है…… यह डेयरी हजारों पशुपालकों के लिए आजीविका का मुख्य स्रोत है……. जो अपने दूध को इस सहकारी संस्था के माध्यम से बेचते हैं……. साबर डेयरी न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी दूध……. और दुग्ध उत्पादों की आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है…….
हालांकि, पिछले कुछ समय से पशुपालक इस बात से नाराज थे कि डेयरी द्वारा दी जाने वाली दूध की खरीद कीमत उनकी लागत…… और मेहनत के अनुरूप नहीं है……. पशुपालकों का कहना था कि चारे…….. पशु रखरखाव और अन्य खर्चों में बढ़ती महंगाई के कारण उनकी लागत लगातार बढ़ रही है…….. लेकिन डेयरी प्रबंधन ने दूध की कीमतों में केवल 9 से 10 प्रतिशत की मामूली वृद्धि की है…….. उनकी मांग थी कि दूध की कीमत में 20 से 25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की जाए……… ताकि उनकी मेहनत और खर्च का उचित मुआवजा मिल सके……… इसके अलावा पशुपालक डेयरी के मुनाफे में हिस्सेदारी की भी मांग कर रहे थे……..
वहीं प्रदर्शन शुरू होने के कुछ समय बाद ही स्थिति अनियंत्रित हो गई……. पुलिस के अनुसार प्रदर्शनकारियों ने हिंसक रवैया अपनाया……. पुलिसकर्मियों पर पथराव किया……. और साबर डेयरी के मुख्य द्वार को क्षतिग्रस्त कर दिया…….. इस हिंसा में तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए…….. और चार पुलिस वाहनों को नुकसान पहुंचा…….. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया……. हिम्मतनगर ‘ए’ डिवीजन पुलिस थाने में लगभग 1,000 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई……… जिनमें से 74 की पहचान हो चुकी है……. अब तक 47 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है……… जिनमें कांग्रेस के पूर्व विधायक और साबर डेयरी के निदेशक जशुभाई पटेल भी शामिल हैं…….
वहीं आम आदमी पार्टी ने इस घटना को लेकर बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोला है……. पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपने बयान में कहा कि गुजरात की साबर डेयरी के बाहर शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे पशुपालकों पर बीजेपी सरकार ने लाठीचार्ज…… और आंसू गैस चलवाकर बर्बरता की सारी हदें पार कर दीं…… डेयरी के मुनाफे में हिस्सेदारी की मांग करना कोई अपराध नहीं है…… एक डेयरी किसान की मौत बेहद दुखद है…… ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे……. गुजरात की जनता अब बीजेपी की इस तानाशाही का जवाब जरूर देगी……
आप के गुजरात प्रभारी गोपाल राय ने भी इस कार्रवाई को तानाशाही करार देते हुए कहा कि मुनाफे में हिस्सेदारी मांगना कोई जुर्म नहीं है……. लाठीचार्ज में किसान की मौत अत्यंत दुखद है……. गुजरात की जनता इस तानाशाही का जवाब देगी….. आप के गुजरात प्रदेश अध्यक्ष इशुदान गढ़वी ने मृतक पशुपालक के परिवार से मुलाकात की…… और उन्हें सांत्वना दी…… और उन्होंने कहा कि पशुपालकों को अपने अधिकार मांगने जाने पर इस अहंकारी सरकार ने पुलिस के माध्यम से लाठीचार्ज करवाया…… जिसमें एक पशुपालक की मृत्यु हो गई……. पशुपालक निराधार नहीं हैं…… हम एकजुट हैं…… और उन्होंने सरकार से मृतक के परिवार को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मांग भी की…….
वहीं इस घटना ने गुजरात में राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है….. आम आदमी पार्टी ने इसे बीजेपी सरकार की तानाशाही और पशुपालकों के प्रति असंवेदनशीलता का प्रतीक बताया है……. वहीं, बयाड विधानसभा क्षेत्र के निर्दलीय विधायक धवलसिंह जाला ने भी प्रदर्शनकारियों का समर्थन करते हुए पुलिस कार्रवाई की निंदा की…… और इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की…… दूसरी ओर पुलिस ने इन आरोपों से इंकार किया है कि आंसू गैस या लाठीचार्ज के कारण पशुपालक की मौत हुई…… पुलिस उपाधीक्षक ए.के. पटेल के अनुसार, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ है कि…… अशोक पटेल की मौत किसी बाहरी चोट के कारण नहीं हुई……
आपको बता दें कि पशुपालकों की मांगें केवल आर्थिक नहीं…….. बल्कि सामाजिक और नैतिक भी हैं…… वे मानते हैं कि साबर डेयरी जैसे सहकारी संगठन……. जो उनके दूध पर निर्भर हैं……. उनके साथ उचित व्यवहार नहीं कर रहे……. उनकी मांग है कि डेयरी के मुनाफे में उनकी हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाए……. क्योंकि यह उनका मेहनत का फल है……. इसके अलावा, बढ़ती महंगाई……. और पशुपालन की लागत को देखते हुए…….. वे दूध की कीमतों में पर्याप्त वृद्धि की मांग कर रहे हैं…….
साबरकांठा और अरावली जिलों के कई गांवों जैसे इडर, वडाली, खेड़ब्रह्मा, प्रांतिज, पोशिना, विजयनगर…… और हिम्मतनगर में पशुपालक इस मुद्दे पर एकजुट होकर आंदोलन कर रहे हैं……. और उन्होंने सड़कों पर दूध बहाकर अपनी नाराजगी जाहिर की…….. जिसने उनकी पीड़ा को राष्ट्रीय स्तर पर उजागर किया……
साबर डेयरी प्रबंधन ने अभी तक पशुपालकों की मांगों पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है……. उनकी ओर से केवल इतना कहा गया है कि दूध की कीमतों में 9 से 10 प्रतिशत की वृद्धि की गई है……. जो पशुपालकों को अपर्याप्त लगती है……. सरकार की ओर से भी इस मामले में कोई ठोस बयान नहीं आया है…….. हालांकि यह घटना ऐसे समय में हुई है……. जब हाल ही में केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुजरात के आणंद में डेयरी किसानों……… विशेष रूप से महिलाओं से मुलाकात की थी……. इस मुलाकात में उन्होंने दुग्ध उत्पादन और सहकारी क्षेत्र को बढ़ावा देने की बात कही थी…….. लेकिन साबरकांठा की घटना ने इन दावों पर सवाल उठाए हैं…….
आपको बता दें कि यह प्रदर्शन केवल साबरकांठा तक सीमित नहीं है……. बल्कि इसका प्रभाव पूरे गुजरात में दुग्ध मूल्य नीति पर व्यापक बहस को जन्म दे सकता है…….. साबर डेयरी से जुड़े हजारों पशुपालक इस आंदोलन को एक बड़े बदलाव की शुरुआत के रूप में देख रहे हैं……. उनकी मांगें न केवल आर्थिक हैं…… बल्कि यह सहकारी व्यवस्था में पारदर्शिता और निष्पक्षता की भी मांग है……
वहीं इस घटना ने पशुपालकों के बीच एकता को भी दिखाया है…… जिसके चलते ग्रामीण इलाकों में यह आंदोलन तेजी से फैल रहा है…….. और पशुपालक महंगाई के खिलाफ एकजुट होकर अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं…….. यह आंदोलन सहकारी डेयरी प्रणाली में सुधार और पशुपालकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है……
साबरकांठा में साबर डेयरी के बाहर हुए प्रदर्शन ने पशुपालकों की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को उजागर किया है……. उनकी मांगें जायज हैं……. क्योंकि वे केवल अपने मेहनत का उचित मूल्य और डेयरी के मुनाफे में हिस्सेदारी चाहते हैं……. हालांकि, पुलिस कार्रवाई और एक पशुपालक की दुखद मृत्यु ने इस आंदोलन को और गंभीर बना दिया है……. आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देकर बीजेपी सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाया है……. जबकि पुलिस ने अपनी कार्रवाई को आत्मरक्षा…… और कानून व्यवस्था बनाए रखने का हिस्सा बताया है……



