आखिर युवक ने सिर में क्यों घुसाई कील, जानें विस्तार से

डॉक्टरों का कहना है कि यह मामला नशे के अत्यधिक सेवन और न्यूरोकेमिकल्स की गड़बड़ी से जुड़ा हुआ है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: उत्तर प्रदेश के कानपुर में फतेहपुर निवासी 21 वर्षीय युवक विजयने अपने सिर में चार
इंच लंबी कील ठाक ली।

घटना के बाद उसे हैलेट पीजीआई के न्यरो विभाग में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने सफलतापूर्वक सर्जरी कर उसकी जान बचाई। विजय ने बताया कि उसे बार-बार किसी की आवाजें सुनाई देती तीं, जो उसे कील ठोकनें के लिए कहती थीं। “कोई मेरे कान में कुछ न कुछ बोलता रहता था। पहले धीरे-धीरे कहता था, फिर जोर-जोर से,” वह बड़बड़ाते हुए कहता है।

मानसिक दबाव केचलते उसने यह कदम उठाया। डॉक्टरों का कहना है कि यह मामला नशे के अत्यधिक सेवन और न्यूरोकेमिकल्स की गड़बड़ी से जुड़ा हुआ है। ऐसे मरीज अक्सर गांवों में भूत-प्रेत, जादू-टोने का शिकार मान लिए जाते हैं,जिससे सही इलाज में देरी हो जाती है।

डॉक्टरों ने मरीज को उचित इलाज और मनोवैज्ञानिक देखरेख के तहत रखा है। विजय की स्थिति अब स्थिर बताई जा रही है। डॉक्टरों के मुताबिक, अब उसकी हालत में सुधार है. त्वचा, हड्डी और तीन सुरक्षा लेयर को भेदते हुए घुसीन्यूरो विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष सिंह की देखरेख में विजय का ऑपरेशन हुआ है. चार इंच की कील उसके सिर के बीचो-बीच धंसी थी. सिर की त्वचा, हड्डी और दिमाग की तीन सुरक्षा लेयर यानी ड्यूरा, अराकनॉइड और पिया मेटर को भेदते हुए कील नसों तक पहुंच गई थी.

ड्यूरा सबसे बाहरी लेयर है जो ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड को सुरक्षा प्रदान करती है. इंसान दर्द का अनुभव ड्यूरा लेयर तक ही कर पाता है. अराकनॉइड और पिया मेटर पर चोट से दर्द महसूस नहीं होता है. ड्रिल मशीन से सिर के ऊपरी हिस्से को काटा. यह मुश्किल सर्जरी थी. डॉ. मनीष ने बताया- कील निकालने के लिए सिर पर ड्रिल मशीन चलानी पड़ी. एक हिस्सा काटना पड़ा. आसपास नसों का गुच्छा होने के कारण बेहद सावधानी से सर्जरी की. कील की वजह से नसों के फैलाव में अंतर आ गया है.

साइकोसिस से सुनाई देतीं आवाजें

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभागाध्यक्ष डॉ. धनजंय चौधरी ने कहा- अधिक शराब या नशा करने से व्यक्ति पागलपन का शिकार होकर साइकोसिस की चपेट में आ जाता है. साइकोसिस पीड़ित की धारणा विकृत हो जाती है. इसमें रोगी यथार्थ और कल्पना के बीच अंतर नहीं कर पाता. वह भ्रमित, विक्षिप्त विचार और असामान्य व्यवहार करने लगता है. उसके कानों में आवाजें आने लगती हैं. अत्यधिक तनाव और नींद की कमी साइकोसिस को बढ़ावा दे सकती है.

मिर्गी के दौरे आने लगे थे, तब बताया

सिर में कील ठोकने के बाद विजय ने किसी को नहीं बताया था. उसे मिर्गी के दौरे आने शुरू हुए तो परिजन डॉक्टर के पास गए. वहां सारा मामला सामने आया. उसे 17 जुलाई को हैलट लेकर आए. विजय के पिता घूरे ने बताया कि वह दिल्ली में मजदूरी करता था. नशे की लत लग गई. ढाई माह पहले ही वह फतेहपुर स्थित घर आ गया. घूरे और उसका छोटा बेटा अजय बेंगलुरु में मजदूरी करते हैं.

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