एसआईआर को लेकर थम नहीं रहा रार

- सड़क व संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक संग्राम
- बुधवार को भी जारी रही सुनवाई
- कांग्रेस ने चुनाव आयोग के खिलाफ बोला फिर हल्ला
- कांग्रेस ने ‘वोट चोरी’ पर वीडियो जारी किया
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट रिवीजन यानी एसआईआर को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। यह सियासी खींचतान सड़क, संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है। इन सब रस्साकसी के बीच देश के शीर्ष कोर्ट में इसे लेकर बुधवार को भी सुनवाई चल रही है।
वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलीलों में सुप्रीम कोर्ट के लाल बाबू फैसले का जिक्र किया, जिसमें पिछले चुनावों में मतदान कर चुके मतदाताओं को सूची से बाहर करने के संबंध में दिशानिर्देश दिए गए हैं। जिन मामलों में नागरिकता को लेकर संदेह है, वहां ईआरओ फैसला लेने से पहले गृह मंत्रालय सहित संबंधित प्राधिकारियों से परामर्श कर सकता है।
आधार नागरिकता के निर्णायक प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं
कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग सही कह रहा है कि आधार को नागरिकता के निर्णायक प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। ज्यादा से ज्यादा यह किसी की पहचान का प्रमाण हो सकता है। आधार ऐक्ट की धारा 9 ऐसा कहती है। वहीं, चुनाव आयोग ने सुनवाई के दौरान कोर्ट से कहा कि नियमों के अनुसार चुनाव आयोग को शामिल न किए गए लोगों की अलग सूची तैयार करने की आवश्यकता नहीं है।
संवैधानिक संस्थानों को भाजपा के चंगुल से छुड़ाइए : खरगे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक वीडियो साझा करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”मत छीनने दीजिए अपना वोट का अधिकार, सवाल कीजिए, जवाब मांगिए, इस बार। ‘वोट चोरी’ के खिलाफ आवाज़ उठाइए, संवैधानिक संस्थानों को भाजपा के चंगुल से छुड़ाइए।
दस्तावेजों की संख्या का मुद्दा मतदाताओं के अनुकूल : जस्टिस बागची
जस्टिस बागची ने सिंघवी से कहा कि हमें आधार को बाहर करने को लेकर आपका तर्क समझ आ गया है। लेकिन दस्तावेज़ों की संख्या का मुद्दा वास्तव में मतदाताओं के अनुकूल है, उनके खिलाफ नहीं. उन दस्तावेज़ों की संख्या पर गौर करें जिनसे आप नागरिकता साबित कर सकते हैं। जब सिंघवी आधार, राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र स्वीकार न किए जाने की शिकायत करते रहे, तो जस्टिस जयमाल्या बागची ने कहा कि हम आधार के बारे में आपके बहिष्करण संबंधी तर्कों को समझते हैं। लेकिन देखिए, चुनाव आयोग पहचान के लिए दस्तावेज़ों की संख्या बढ़ा रहा है, जबकि संक्षिप्त संशोधन के दौरान पहचान साबित करने के लिए केवल 7 दस्तावेज़ों की अनुमति थी, अब इसे बढ़ाकर 11 कर दिया गया है। यह मतदाता हितैषी है, बहिष्करणकारी नहीं, उन दस्तावेज़ों की संख्या पर गौर कीजिए जिनके आधार पर आप नागरिकता साबित कर सकते हैं। जस्टिस कांत ने कहा कि अगर उन्होंने 11 दस्तावेज़ों पर ज़ोर दिया गया होता तो यह मतदाता विरोधी होता। लेकिन अगर कोई एक दस्तावेज़ मांगा जाता है तो यह मतदाता हितैषी है।
कांग्रेस के अभियान के साथ जुड़े लोग : प्रियंका
पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने भी यह वीडियो साझा कर लोगों से कांग्रेस के अभियान के साथ जुडऩे की अपील की। पिछले बृहस्पतिवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया था कि कर्नाटक में बेंगलुरु मध्य लोकसभा सीट के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में एक लाख से अधिक मतों की ‘चोरी’ की गई, जबकि इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार को 32 हजार वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता के दावे को आधारहीन बताया था और कहा था कि वह या तो शपथ पत्र दें या फिर माफी मांगें।
लाल बाबू मामले में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का संदर्भ ले आयोग : सिंघवी
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अगर ईआरओ अभी भी निर्णय लेने की स्थिति में नहीं है, तो उसे पहले सुप्रीम कोर्ट के लाल बाबू मामले में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का संदर्भ लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि असम में, नागरिकता से संबंधित विवादित मामलों पर निर्णय लेने के लिए विदेशी ट्रिब्यूनल है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सिविल कोर्ट को इस मामले में अधिकार नहीं है।
कांग्रेस ने चुनाव आयोग को ‘इलेक्शन चोरी आयोग’ करार दिया
कांग्रेस ने मतदाता सूचियों में कथित ‘धांधली’ के खिलाफ अपने अभियान को तेज करते हुए बुधवार को एक वीडियो जारी कर लोगों से इससे जुडऩे की अपील की और चुनाव आयोग को ‘इलेक्शन चोरी आयोग’ करार दिया। मुख्य विपक्षी दल ने अपने विभिन्न सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से जो एक मिनट का वीडियो जारी है उसमें दिखाया गया कि दो लोग एक मतदान केंद्र से बाहर निकलते हैं और वहां पहुंचे एक बुजुर्ग पुरुष और एक महिला से कहते हैं वे वापस चले जाएं क्योंकि वो उनका वोट पहले ही डाल चुके हैं। इस वीडियो में चुनाव आयोग के लिए ‘इलेक्शन चोरी’ आयोग लिखा गया है।




