SC में फिर गूंजा आवारा कुत्तों का मुद्दा, शेल्टर होम में भेजने के फैसले पर मचा बवाल

एसजी ने इस मामले में कहा कि दो तरह के लोग हैं, एक जो इस बारे में बोलते हैं और दूसरे जो आवारा कुत्तों से परेशान हैं.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: सुप्रीम कोर्ट में आवारा कुत्तों को लेकर दिए गए फैसले पर फिर से विचार किया जा रहा है. इस बीच एसजी ने कहा कि किसी को कुत्तों से नफरत नहीं है. लेकिन, सब को घर पर नहीं रखा जा सकता. साथ ही आवारा कुत्तों के काटने के आंकड़े सामने आ रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाने और शेल्टर होम्स में रखने का फैसला सुनाया था. इसी को लेकर बहस छिड़ गई. कई लोग इसके पक्ष में तो की विरोध में खड़े हो गए हैं. इसी के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में इस पर फिर से विचार हो रहा है.आवारा कुत्तों के मामले पर सुनवाई शुरू हो रही है. एसजी ने इस मामले में कहा कि दो तरह के लोग हैं, एक जो इस बारे में बोलते हैं और दूसरे जो आवारा कुत्तों से परेशान हैं. एसजी ने कहा कि बच्चे मर रहे हैं. दूसरा विकल्प बाध्यकारी है. मैं एनिमल लवर हूं वो ठीक है, लेकिन आंकड़ा देखिए.

एसजी ने कहा कि रेबीज और कुत्तों के काटने का डेटा देखिए. एसजी ने कहा कि कोई जानवरों से नफरत नहीं करता. लेकिन, सभी घरों में नहीं रखे जा सकते. बाहर बच्चे खेलते हैं और कुत्ते उन्हें अपना शिकार बना लेते हैं. वीडियो इसका प्रमाण है. एसजी ने कहा कि बहुमत उनका है जो पीड़ित हैं या परेशान हैं. इस पर वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह मैंने पहली बार सुना है नियमों के बारे में, आखिर क्यों सरकार नेलागू नहीं किए. साथ ही कपिल सिब्बल ने कहा, पहले आदेश पर रोक लगाइए.

SG ने सामने रखे डॉग बाइट के आंकड़े
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बच्चे मर रहे हैं. नसबंदी से रेबीज नहीं रुकता, भले ही आप उन्हें टीका लगा दें. सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट के सामने एक आंकड़ा पेश किया जिसमें कहा गया कि 2024 में देश में कुत्तों के काटने के 37 लाख मामले दर्ज किए गए. उसी वर्ष रेबीज से 305 मौतें हुईं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मॉडल के अनुसार यह संख्या कहीं ज़्यादा है. कोई भी जानवरों से नफरत नहीं करता. सॉलिसिटर जनरल का कहना है कि बच्चे खुले में खेलने नहीं जा पा रहे हैं. अदालत को इसका समाधान ढूंढ़ना होगा.

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