भारतीय वायुसेना मना रही 93वां स्थापना दिवस, ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाई देश की वायुशक्ति

भारतीय वायुसेना आज अपना 93वां स्थापना दिवस मना रही है. 8 अक्टूबर 1932 को वायुसेना की स्थापना हुई थी और तब से हर साल यह दिन देशभर में गर्व और सम्मान के साथ मनाया जाता है.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः भारतीय वायुसेना आज अपना 93वां स्थापना दिवस मना रही है. 8 अक्टूबर 1932 को वायुसेना की स्थापना हुई थी और तब से हर साल यह दिन देशभर में गर्व और सम्मान के साथ मनाया जाता है. लेकिन इस साल का वायुसेना दिवस इसलिए भी खास है क्योंकि मई 2025 में हुए ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया को दिखा दिया कि भारत की वायुशक्ति अब पहले से कहीं अधिक सटीक, आधुनिक और निर्णायक हो चुकी है.

7 मई से 10 मई तक चली इस जंग में भारतीय थलसेना और वायुसेना की संयुक्त कार्रवाई ने पाकिस्तान की कमर तोड़कर रख दी. भारतीय फाइटर जेट्स के सटीक हवाई हमलों ने पाकिस्तान में मौजूद कई आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया. भारतीय सेना की इस आकाशीय रणनीति से घबराकर पाकिस्तान ने युद्धविराम की मांग की. इस पूरे अभियान ने यह साफ कर दिया कि अब युद्ध का स्वरूप बदल चुका है. आने वाले समय में पारंपरिक लड़ाइयों की जगह तकनीकी और हवाई युद्धों का युग होगा, जिसमें वायुसेना, ड्रोन और एयर डिफेंस सिस्टम निर्णायक भूमिका निभाएंगे.

ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, यह दुनिया को एक संदेश था कि भारत अब किसी भी चुनौती का जवाब तेज, सटीक और तकनीकी रूप से देने में सक्षम है. इस अभियान में वायुसेना के ड्रोन, मिसाइल और स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम ने अहम भूमिका निभाई. भारत के ‘आकाशतीर’ सिस्टम ने दुश्मन की मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया. इससे यह साबित हो गया कि भारत अब अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह आत्मनिर्भर और तैयार है. यह ऑपरेशन इस बात का भी प्रतीक था कि आधुनिक युद्ध केवल बंदूकों से नहीं, बल्कि डेटा, सैटेलाइट, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों से लड़े जाएंगे. वायुसेना अब इन्हीं दिशाओं में अपने सिस्टम को मजबूत बना रही है ताकि किसी भी खतरे से पहले ही निपटने की क्षमता हासिल की जा सके.

भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना, तीनों ही तेजी से आधुनिकीकरण के दौर से गुजर रही हैं. अब इनकी रणनीतियां एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं ताकि किसी भी परिस्थिति में सामूहिक और प्रभावी जवाब दिया जा सके. इसी उद्देश्य से थिएटर कमांड की स्थापना की जा रही है. इससे तीनों सेनाओं के बीच तालमेल और भी बेहतर होगा. वायुसेना इस दिशा में सबसे आगे है. कमांड और कंट्रोल के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग बढ़ाया जा रहा है. साथ ही, मानव रहित विमान यानी ड्रोन अब वायुसेना की नई ताकत बन चुके हैं. भविष्य में इन ड्रोन का इस्तेमाल युद्ध, निगरानी, और राहत कार्यों के रूप से किया जाएगा.

वायुसेना का भविष्य अब मेक इन इंडिया के साथ जुड़ा है. आने वाले वर्षों में भारत लड़ाकू विमानों के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम कर रहा है. कई स्वदेशी प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम चल रहा है, जिनमें तेजस Mk-1A, AMCAऔर भारत का पहला स्टेल्थ फाइटर जेट प्रमुख हैं. इन प्रोजेक्ट्स के पूरा होने पर भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जो खुद के अत्याधुनिक फाइटर जेट्स और एयर डिफेंस सिस्टम बनाते हैं. रक्षा मंत्रालय और वायुसेना की ओर से मिल रहे सहयोग ने इन योजनाओं को नई गति दी है.

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