नगर निकाय चुनाव में उतरने की तैयारी में सपा
लखनऊ। समाजवादी पार्टी अपने संगठनात्मक सुधार के साथ ही नगर निकाय चुनाव में उतरने की तैयारी में जुट गई है। इसके लिए सभी जिला एवं महानगर अध्यक्षों को नए सिरे से होने वाले परिसीमन पर निगाह रखने और मतदाताओं के बीच पैठ बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। पार्टी के थिंक टैंक का मानना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में भले उसे मात खानी पड़ी, लेकिन बड़ी संख्या में सपा समर्थक जिला पंचायत सदस्य, बीडीसी व ग्राम प्रधान विजयी हुए। नगर निगम, नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद के चेयरमैन से लेकर वार्ड सदस्य तक का चुनाव सीधे जनता करती है। इसे ध्यान में रखते हुए सभी जिला एवं महानगर अध्यक्षों को अपने-अपने संगठनात्मक ढांचें को सक्रिय करने को कहा गया है। साथ ही नगर पालिका व नगर पंचायतों की वार्डवार कमेटी से निष्क्रिय लोगों की जगह सक्रिय लोगों को जिम्मेदारी देकर तैयारी शुरू करें। प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने पदाधिकारियों से कहा है कि 56 जिलों के 151 निकायों में नए सिरे से परिसीमन हो रहा है। यहां 2011 की जनगणना के अनुसार वार्ड का निर्धारण पांच मई तक पूरा होना है। जिला और नगर प्रशासन से बात कर निर्धारित सीमा के बारे में जानकारी करें। कोई समस्या हो तो प्रदेश कार्यालय को बताएं। ध्यान रखें परिसीमन में किसी क्षेत्र विशेष को छोड़ा जाता है या बिना नियम के जोड़ा जाता है तो अपनी आपत्ति दर्ज कराएं।
रिटायर जेई पर भृष्टाचार का आरोप, सीएम से जांच की मांग
- एडवोकेट चेतन गुप्ता ने जनसुनवाई पोर्टल में भी दर्ज कराई शिकायत
- सीबीआई और कैंट बोर्ड की जांच में भी मिली थी धांधली
- सीबीआई के आदेश पर ही जेई को किया गया था जबरन रिटायर
लखनऊ। कानपुर निवासी एडवोकेट चेतन गुप्ता ने पूर्व जेई पर अपने पद का दुरुपयोग कर करोड़ों रुपए के भ्रष्टïाचार का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है। यह शिकायत मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल में दर्ज की गई है, शिकायत संख्या 40016422019235 है। एडवोकेट चेतन गुप्ता ने दर्ज शिकायत में आरोप लगाया है कि कानपुर निवासी अखिलेश चंद पोरवाल कैंटोंमेंट बोर्ड कानपुर में वर्ष 1994-2015 के बीच जेई के पद पर तैनात रहते हुए अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग किया और भ्रष्टाचार के जरिए जमकर कमाई की। 12 फरवरी, 2012 को सीईओ कैंट बोर्ड कानपुर पर छापेमारी के दौरान सीबीआई को कमीशन की हाथ से लिखी पर्ची मिली थी, जिसमें अखिलेश चंद पोरवाल द्वारा तीन ठेकेदारों बीके एसोसिएट्स, जेसी ओबेरॉय और एक अन्य के माध्यम से प्राप्त रिश्वत और कमीशन के विवरण का उल्लेख किया गया था, जिसमें जांच की गई थी और उन्हें 2014-2015 में सीबीआई के आदेश से जबरन सेवानिवृत्त कर दिया गया था। उसके खिलाफ सीबीआई जांच भी शुरू की गई थी। जेई कैंट बोर्ड के रूप में पोरवाल ने 2006 में बाबूलाल बाजपेयी के स्वामित्व वाली कैंट कानपुर में बंगला संख्या 68 अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग कर बेचने की साजिश रची और प्लाटिंग कर कई लोगों को धोखा देकर पैसा लेकर प्लॉट बेच दिया, जो कि नियम विरुद्ध था, जिसे बाद में कैंट बोर्ड द्वारा जांच के बाद बंगले को अपने कब्जे में ले लिया गया।
इससे भूखंड मालिकों को भारी वित्तीय नुकसान हुआ। पोरवाल ने ऐसी तमाम बोगस कंपनियां बनाईं, जिनमें उनकी पत्नी प्रभा पोरवाल निदेशक हैं और अपने प्रभाव का उपयोग करके उन्होंने बहुत सारी सरकारी व गैर सरकारी जमीनें हासिल कर ली हैं, जिस पर वे वर्तमान में एक बिल्डर के रूप में काम कर रहे हैं। एसीपी हाउसिंग डेवलपमेंट एलएलपी वर्तमान में उनकी पत्नी और पवन गुप्ता के निर्देशन में है, जो इस भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग कृत्यों का हिस्सा हैं। पवन गुप्ता कैंट बोर्ड (डीएन गुप्ता एंड कंपनी) के ठेकेदार हैं। पवन गुप्ता एसीपी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड में प्रभा पोरवाल के साथ निदेशक थे। उन्होंने मुख्यमंत्री से इन तमाम तथ्यों का हवाला देते हुए पूर्व जेई के खिलाफ जांच कर कार्रवाई कराने की मांग की है।