राज्य सभा : भाजपा की नजर आठ सीटों पर
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कोटे की 11 राज्यसभा सीटें चार जुलाई को रिक्त हो रही हैं। इनमें सात पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रत्याशियों की तो तीन पर समाजवादी पार्टी (एसपी) की जीत तय है। आठवीं सीट के लिए दोनों दलों में जोड़तोड़ से वोटों का जुगाड़ करना है। भाजपा की नजर आठ सीटों पर है। दावेदारों के नामों पर चर्चा करते हुए पार्टी की कोर कमेटी ने तय किया है कि बीस नामों का पैनल संसदीय बोर्ड को भेजा गया है। भाजपा कोर कमेटी की बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल शामिल हुए। सूत्रों ने बताया कि भाजपा कोर कमेटी की बैठक में राज्यसभा की आठ सीटों पर प्रत्याशी तय करने के लिए नामों पर चर्चा की गई। आगमी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जातीय-क्षेत्रीय समीकरण साधते हुए पार्टी प्रत्याशी तय करना चाहती है। दरअसल, राज्यसभा में उत्तर प्रदेश कोटे से कुल 31 सदस्य चुने जाते हैं। अगले माह जिन 11 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है, उनमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पांच, समाजवादी पार्टी (सपा) के तीन, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दो व कांग्रेस के एक सदस्य शामिल हैं।
सहारा ग्रुप को सुप्रीम कोर्ट से झटका
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय से गुरुवार को सहारा समूह को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने समूह से जुड़ी नौ कंपनियों के खिलाफ एसएफआईओ की जांच पर रोक लगाने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को गुरुवार को रद कर दिया है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एसएफआईओ द्वारा दायर अपील को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब समूह की कंपनियों के खिलाफ जांच की राह खुल गई है। शीर्ष अदालत ने पाया कि मामले में जांच पर रोक लगाने के लिए उच्च न्यायालय का फैसला उचित नहीं था। बता दें कि एसएफआईओ ने सहारा समूह के प्रमुख के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय के 13 दिसंबर, 2021 के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दायर की थी, जिसमें बाद की सभी कार्रवाइयों पर रोक लगा दी गई थी। इसमें दंडात्मक कार्रवाई और लुकआउट नोटिस शामिल है। शीर्ष कोर्ट 17 मई को एसएफआईओ की याचिका पर विचार करने को तैयार हो गया, जिसमें सहारा समूह की कंपनियों को राहत देने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने सहारा समूह से जुड़ी नौ कंपनियों की जांच के लिए एसएफआईओ के दो आदेशों के संचालन और क्रियान्वयन पर भी रोक लगा दी थी।