’आदिपुरुष‘ के निर्माता को हाईकोर्ट की फटकार
कड़ी टिप्पणी: धार्मिक ग्रंथों को तो बख्श दीजिए
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। फिल्म आदिपुरुष में श्रीराम कथा को बदलकर निम्नस्तरीय दिखाने के आरोपों के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सख्त रुख अपनाया है। सुनवाई के दौरान सोमवार को कोर्ट ने पूछा फिल्म सेंसर बोर्ड क्या दिखाना चाहता है? क्या वह अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझता है?
कोर्ट ने फिल्म निर्माताओं से कहा कि सिर्फ रामायण ही नहीं बल्कि पवित्र कुरान, गुरु ग्रंथ साहिब और गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों को तो कम से कम बख्श दीजिए। बाकी जो करते हैं, वो तो कर ही रहे हैं।कोर्ट ने फिल्म के निर्माता, निर्देशक सहित अन्य प्रतिवादियों की कोर्ट में अनुपस्थिति पर भी कड़ा रुख अपनाया और सेंसर बोर्ड से मंगलवार को मामले में जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह की ग्रीष्मावकाश खंडपीठ ने यह आदेश एक जनहित याचिका पर दिया। याची ने फिल्म में रावण द्वारा चमगादड़ को मांस खिलाने, काले रंग की लंका, चमगादड़ को रावण का वाहन बताने, सुषेन वैद्य की जगह विभीषण की पत्नी को लक्ष्मण को संजीवनी बूटी देने, आपत्तिजनक संवाद व अन्य तथ्यों को कोर्ट में रखा है।
मुंतशिर को पक्षकार बनाने पर सुनवाई
याची ने मामले में फिल्म के संवाद लेखक मनोज मुंतशिर को भी पक्षकार बनाने का आग्रह किया है। यह भी कहा कि आपत्तिजनक सामग्री और सनातन आस्था के साथ जानबूझकर किए गए प्रहार को रोकते हुए फिल्म पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए जाएं। कोर्ट ने मुंतशिर को पक्षकार बनाने की अर्जी पर सुनवाई के लिए 27 जून की तारीख तय की है।