दिल्ली अध्यादेश को लेकर भिड़े आप व भाजपा नेता, जारी है बयानबाजी का दौर

नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र जो 20 जुलाई को मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर शुरू होने के बाद से गतिरोध में है, आज एक और हंगामेदार सत्र देखने की संभावना है। आज सरकार दिल्ली में सेवाओं और अधिकारियों की पोस्टिंग पर नियंत्रण के लिए संसद में एक विधेयक पेश करने के लिए तैयार है। सत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी दलों के बीच टकराव देखने को मिल सकता है क्योंकि दिल्ली सेवा विधेयक आज लोकसभा में पेश किया जाएगा। दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार इसका लगातार विरोध कर रही है। उसे इंडिया गठबंधन का भी समर्थन हासिल है।
आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि यह दिल्ली में लोकतंत्र को बाबूशाही में बदल देगा। दिल्ली सरकार की सभी शक्तियां छीनकर भाजपा द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल को देने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये बिल देश के लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है… ये इसलिए किया क्योंकि भाजपा से आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की सफलता देखी नहीं जा रही। शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि हम सभी इसका विरोध करेंगे क्योंकि आज यह दिल्ली में हो रहा है, कल यह आंध्र प्रदेश, तेलंगाना या ओडिशा में हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह असंवैधानिक, अनैतिक, अलोकतांत्रिक अध्यादेश है। इसका सभी को विरोध करना चाहिए।
भाजपा का तर्क
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि ्र्रक्क के लोग ऐसे बयान देते रहते हैं। हम संविधान के दायरे का पालन करते हुए काम करते हैं। गृह मंत्रालय ने इस बिल को अच्छे तरीके से तैयार किया है। उन्होंने कहा कि पिछले 2 चुनाव से पूरे देश ने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा का समर्थन किया है और लोग आने वाले चुनाव में भी भाजपा का समर्थन करने वाले हैं। भाजपा नेता ने कहा कि अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम को समझना चाहिए कि यह भी एक चुनी हुई सरकार है। भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि हम पहले ही कह चुके हैं कि दिल्ली अध्यादेश बिल लोकसभा में पेश किया जाएगा और हम इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

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