कोरोना काल, मानसून और सरकारी सिस्टम
sanjay sharma
सवाल यह है कि क्या कोरोना के बढ़ते प्रकोप और मौसमी बीमारियों से निपटने के लिए सरकार तैयार है? क्या बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों के लिए किए जा रहे बंदोबस्त कोरोना से बचाव को देखते हुए किए जा रहे हैं? क्या बाढ़ वाले इलाकों में जरा सी लापरवाही कोरोना के सामुदायिक संक्रमण की वजह बन सकती है? क्या डेंगू और मलेरिया की रोकथाम के लिए सरकारी सिस्टम ने प्रभावी कदम उठाने शुरू किए हैं?
देश में कोरोना की बढ़ती रफ्तार के बीच मानसून ने दस्तक दे दी है। कोरोना संक्रमितों की संख्या के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंच चुका है। अब अमेरिका और ब्राजील ही भारत से आगे हैं। वहीं मानसून जनित बीमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ गया है। यह स्थिति पूरे सिस्टम के लिए चुनौती साबित होने वाली है। सवाल यह है कि क्या कोरोना के बढ़ते प्रकोप और मौसमी बीमारियों से निपटने के लिए सरकार तैयार है? क्या बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों के लिए किए जा रहे बंदोबस्त कोरोना से बचाव को देखते हुए किए जा रहे हैं? क्या बाढ़ वाले इलाकों में जरा सी लापरवाही कोरोना के सामुदायिक संक्रमण की वजह बन सकती है? क्या डेंगू और मलेरिया की रोकथाम के लिए सरकारी सिस्टम ने प्रभावी कदम उठाने शुरू किए हैं? क्या बीमारियों से निपटने में तमाम राज्य सरकारों की चिकित्सा व्यवस्था तैयार है? क्या हल्के लक्षण वाले कोरोना के मरीज सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रहे हैं? क्या संकट काल में जनता अपने कर्तव्यों का पालन कर रही है? बढ़ रहे केसों के बावजूद लोग बीमारी को लेकर लापरवाही क्यों बरत रहे हैं?
देश के अनलॉक होने के साथ की कोरोना की रफ्तार तेजी से बढ़ती जा रही है। आलम यह है कि हर दिन औसत बीस हजार से अधिक लोग संक्रमित हो रहे हैं। लिहाजा भारत में संक्रमितों की संख्या सात लाख को पार कर चुकी है जबकि मरने वालों का आंकड़ा 20 हजार को पार कर चुका है। ऐसे में मानसून की दस्तक समस्या को और बढ़ा सकती है। मानसून के आगमन के साथ मौसमी बीमारियां मसलन, डेंगू, मलेरिया और डायरिया का प्रकोप बढ़ जाता है। देश के तमाम राज्य फिलहाल कोरोना से ही जूझ रहे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में मौसमी बीमारियों के बढऩे से चिकित्सा व्यवस्था को एक नयी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। यही नहीं बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में बनाए गए कैंप को कोरोना से बचाव को ध्यान में रखकर बनाना होगा। यदि ऐसा नहीं हुआ तो स्थितियां विस्फोटक हो जाएंगी। यदि एक भी बाढ़ पीडि़त व्यक्ति कोरोना संक्रमित निकला तो वह पूरे कैंप में रह रहे लोगों को संक्रमित कर देगा। इससे कोरोना के सामुदायिक संक्रमण का खतरा बढ़ जाएगा। जाहिर है यदि सरकार कोरोना काल में मौसमी बीमारियों से लोगों को बचाना चाहती है तो उसे अभी से ही समुचित कदम उठाने होंगे। फॉगिंग के साथ दवा का छिडक़ाव शुरू कराना होगा। साथ ही कैंपों में सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों के मुताबिक व्यवस्था करनी होगी। वहीं जनता को भी अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना होगा और सरकार की गाइडलाइन का पालन करना होगा।