यूपी व असम सरकार के विवादित फैसलों पर सियासी भूचाल

  • राजद-सपा व कांग्रेस ने बीजेपी को बताया विभाजनकारी
  • कांवड़ यात्रा मार्ग की दुकानों पर नेमप्लेट लगाने के आदेश पर सवाल
  • विपक्ष के निशाने पर आए सीएम योगी व हिमंता
  • उत्तराखंड व जयपुर नगर निगम पर भी विफरे लोग
  • आस्था की सुरक्षा पर सांप्रदायिक सियासत नहीं होनी चाहिए : भाजपा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। यूपी, उत्तराचंल, असम और राजस्थान सरकारों के विवादित फैसलों के बाद पूरे देश में सियासी कोहराम मचा हुआ। जहां बीजेपी ने इन फैसलों को जायज ठहराया है वहीं विपक्ष ने इसे विभाजनकारी बताया है। हालांकि बीजेपी क ी सहयोगी पार्टी जदयू व रालेद ने भी फैसले पर आपत्ति की है। दरअसल, यूपी में मुज्जफरनगर प्रशासन ने कावंडमार्ग के दुकानदारों को नेमप्लेट लगाने के निर्देश दिए थे बाद में सपा के हमले के बाद प्रशासन बैकफुट पर था। पर दूसरे दिन इस फैसले को आगे बढ़ाने हुए यूपी के सीएम योगी ने पूरे राज्य में कावड़ मार्गो पर स्थित दुकानदारों को नाम लिखने के आदेश दे दिए।
उधर असम में बाल विवाह से संबंधित कानून (मुस्लिम विवाह व तलाक कानून 1935) में बदलाव से भी वहां पर बवाल मचा है। योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रियों के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब पूरे उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्गों पर खाद्य पदार्थों की दुकानों पर नेमप्लेट लगानी होगी। कांवड़ यात्रियों की आस्था की पवित्रता बनाए रखने के लिए यह फैसला लिया गया है। सीएम कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि हलाल सर्टिफिकेशन वाले उत्पाद बेचने वालों पर भी कार्रवाई होगी। वहीं जयपुर नगर नए नियम के मुताबिक अब मीट की दुकानों के बाहर झटका या हलाल लिखना अनिवार्य है।

योगी सरकार पवित्र यात्रा को सांप्रदायिक रंग देना चाह रही है : रोहिणी आचार्य

योगी सरकार के इस फैसले के आलोचकों में अब लालू यादव की छोटी बेटी रोहिणी आचार्य भी शामिल हो गईं हैं। उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा के रूट में दुकानदारों को नेमप्लेट लगाने का आदेश मुसलमानों के खिलाफ है। रोहिणी आचार्य ने शुक्रवार को अपने एक्स हैंडल पर योगी सरकार के नए आदेश के खिलाफ लंबा-चौड़ा पोस्ट लिख डाला। उन्होंने लिखा, लोकसभा चुनाव में अयोध्या की सीट हारने की खीज और अपनी खिसकती जमीन की हताशा में नफरती- विखंडनकारियों की जमात भाजपा की उत्तर प्रदेश सरकार ने मुसलमान भाइयों के इकोनॉमिक (आर्थिक) – बॉयकॉट के घृणित उद्देश्य से कांवड़-पथ पर नाम की तख्ती लगाकर सामान बेचने का फरमान जारी किया है। सारण लोकसभा सीट से राजद प्रत्याशी रहीं रोहिणी आचार्य ने आगे लिखा, वन श्रावण (सावन) मास में भगवान शिव के पूजन के लिए की जाने वाली पवित्र धार्मिक-यात्रा को भाजपा सरकार अपने गंदे राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के उद्देश्य से सांप्रदायिक रंग में रंगना चाह रही है।

पूरे तरीके से अव्यवहारिक कार्य : अजय

कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय राय ने कहा है कि यह पूरी तरीके से अव्यवहारिक कार्य है। उन्होंने कहा कि वे समाज में भाईचारे की भावना को खराब करने का कार्य कर रहे हैं…इसको तत्काल निरस्त करना चाहिए।

राज्य सरकार ने भ्रम को दूर किया : नकवी

दूसरी ओर, इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, एक सीमित प्रशासनिक दिशानिर्देश के कारण इस तरह का असमंजस हुआ था, मुझे खुशी है कि राज्य सरकार ने जो भी सांप्रदायिक भ्रम पैदा हुआ था उसे दूर किया है। उन्होंने कहा कि मेरा यही कहना है कि इस तरह के विषयों पर किसी को सांप्रदायिक भ्रम फैलाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। यह किसी मुल्क, मजहब, मानवता के लिए अच्छा नहीं है। आस्था का सम्मान और आस्था की सुरक्षा पर सांप्रदायिक सियासत नहीं होनी चाहिए। कुछ अति-उत्साही अधिकारियों के आदेश ”हड़बड़ी में गड़बड़ी वाली अस्पृश्यता की बीमारी” को बढ़ावा दे सकते हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा था, …जनम जात मत पूछिए, का जात अरु पात। रैदास पूत सब प्रभु के, कोए नहिं जात कुजात। इस पर जब कुछ लोगों ने उन्हें ‘ट्रोल’ करने का प्रयास किया तो उन्होंने एक और पोस्ट किया, ”अरे ट्रोलर टट्टुओं…कांवड यात्रा के सम्मान, श्रद्धा का सर्टिफिकेट कम से कम मुझे तो मत बाटो, मेरा हमेशा मानना है कि कोई भी आस्था असहिष्णुता, अस्पृश्यता की बन्धक नहीं होनी चाहिए।

बिलकिस बानो केस में दोषियों को ‘सुप्रीम’ झटका

  • अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई से इनकार

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। बिलकिस बानो मामले में दो दोषियों की अंतरिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि यह कैसे स्वीकार्य है? ये बिल्कुल गलत है। जनहित याचिका में हम अपील पर कैसे बैठ सकते हैं? याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि जब तक कि उनकी सजा में छूट पर नया फैसला नहीं आ जाता, तब तक अंतरिम जमानत दी जाए। एडवोकेट ऋ षि मल्होत्रा ने कहा कि इस मामले में अब दो कोर्ट के फैसले हैं। अगर मुझे अथॉरिटी से संपर्क करने की अनुमति दी जाए। लेकिन जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि दूसरा फैसला मान्य होगा। सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में दोनों दोषियों की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। इसमें शीर्ष अदालत के जनवरी के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें सभी 11 दोषियों को दी गई छूट को रद्द कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को गलत बताया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार पर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उनके सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने के फैसले को रद्द कर दिया था।

चुनावी बॉन्ड की एसआईटी जांच पर फैसले की सुनवाई 22 जुलाई को

चुनावी बॉन्ड योजना मामले में एसआईटी जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 22 जुलाई को चुनावी बॉन्ड योजना सुनवाई करेगा। प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की है। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ये याचिकाएं 22 जुलाई के लिए लिस्ट की गई हैं। चुनावी बॉन्ड चंदे के माध्यम से कॉरपोरेट्स और राजनीतिक दलों के बीच कथित क्विड प्रो क्यों यानी बदले में व्यवस्था की जांच के लिए एसआईटी के गठन की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि चुनावी बॉन्ड मामले में करोड़ों रुपये का घोटाला शामिल है, ?जिसे सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में स्वतंत्र जांच के जरिए ही उजागर किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली एसआइटी से जांच की मांग की गई है।

राज्यपालों को आपराधिक अभियोजन से छूट देने वाले प्रावधान की समीक्षा की मांग, सुप्रीम कोर्ट बहस को तैयार

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों को आपराधिक अभियोजन से छूट देने वाले संवैधानिक प्रावधान की समीक्षा करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जता दी है। संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपाल को आपराधिक अभियोजन से छूट मिली हुई है। कोर्ट ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर छेड़छाड़ का आरोप लगाने वाली महिला कर्मचारी की याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही कोर्ट मामले से निपटने में अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि से सहयोग करने को कहा। कोर्ट ने बंगाल राजभवन की महिला कर्मचारी से कहा कि वह अपनी याचिका में केंद्र को भी पक्षकार बनाए। दरअसल, महिला ने राज्यपाल पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है।

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