आप विधायक अमानतुल्लाह खान गिरफ्तार, मची सियासी तकरा

  • आप नेता बोले- केंद्र्र सरकार खुलेआम कर रही गुंडागर्दी
  • विपक्ष ने भाजपा पर किया जोरदार हमला
  • आप से डर गई है एनडीए सरकार
  • सुबह-सुबह ईडी ने आवास पर मारा था छापा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के ओखला से विधायक अमानतुल्लाह खान को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है इस गिरफ्तारी के बाद से सियासी संग्राम भी शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी -आप ने भाजपा की एनडीए सरकार पर गुंडागर्दी और तानाशाही का आरोप लगाया है। वहीं विपक्ष के अन्य दलों ने भी इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना करते हुए इसे मोदी सरकार की मनमानी बताया है। इससे पहले आपे नेता के घर पर सोमवार सुबह ईडी की टीम पहुंची थी। विधायक ने खुद एक्स पर पोस्ट साझा कर यह जानकारी दी। जानकारी मिली है कि ईडी की टीम घंटों तलाशी के बाद अमानतुल्लाह को गिरफ्तार कर लिया है। तलाशी अभियान के बाद ईडी विधायक को अपने साथ लेकर गई। है। वहीं आप पार्टी का दावा है कि अमानतुल्लाह को हिरासत में लिया गया है।

ईडी का मकसद मुझे व पार्टी को तोडऩा : अमानतुल्लाह

गिरफ्तारी से पहले आप विधायक अमानतुल्लाह खान ने कहा कि ईडी के लोग मेरे आवास पर सर्च वॉरेंट के नाम पर मुझे अरेस्ट करने आए हैं। उन्होंने कहा कि मुझे ही नहीं मेरी पूरी पार्टी को तंग किया जा रहा है। उनका मकसद है केवल मुझे और मेरी पार्टी को तोडऩा है। आगे कहा कि मैं वादा करता हूं कि जो भी मेरे काम अधूरे हैं वो मेरी टीम, मेरी सरकार करवाएगी। मुझे पूरा यकीन है कि पहले जैसे हमें कोर्ट से इंसाफ मिला है वैसे ही फिर हमें इंसाफ मिलेगा। इसके बाद उन्होंने कहा कि 2016 से यह मुकदमा चल रहा है। जिसमें सीबीआई ने खुद कहा है कि किसी भी किस्म का कोई भी भ्रष्टाचार या लेन-देन नहीं हुआ है। मैं आप लोगों को यकीन दिलाता हूं कि मैंने ऐसा कुछ नहीं किया कि जिससे मैं शर्मिंदा रहूं।

जांच हो रही है या कॉमेडी : संजय सिंह

आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि जांच हो रही है या कॉमेडी। सीबीआई ने 2016 में वक्फबोर्ड के मामले में पर्चा दर्ज किया। अमानतुल्लाह को गिरफ्तार नहीं किया। छह साल के बाद फाइनल चार्जशीट दाखिल की गई। जिसमें कहा कि कोई आर्थिक अपराध नहीं हुआ। इसी मामले में 2020 में एसीबी और ईडी ने पर्चा दर्ज किया। एसीबी ने अमानतुल्लाह को गिरफ़्तार किया उनको जमानत मिली। उसमें भी कोर्ट ने कहा कि कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ। इसके बाद ईडी फिर भी नहीं मानी 2023 में आप विधायक के घर छापेमारी की। लेकिन यहां कुछ नहीं मिला। 2024 में 13 घंटे पूछताछ की फिर पूछताछ के लिए बुलाया तो विधायक ने सूचना दी कि मदर इन लॉ को कैंसर है। उनका ऑपरेशन हुआ है। मुझे कुछ समय दीजिए। लेकिन तानाशाह सरकार की निर्दयी ईडी छापेमारी के लिए पहुंच गई।

वक्फ बोर्ड नियुक्ति मामले में हुई कार्रवाई

बीते अप्रैल माह में प्रवर्तन निदेशालय ने वक्फ बोर्ड नियुक्ति मामले से जुड़े घोटाले के आरोप में आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान से 13 घंटे पूछताछ की थी। अमानतुल्लाह पर दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रहते 32 लोगों की अवैध रूप से नियुक्ति का आरोप है। वक्फ बोर्ड की संपत्तियां अवैध रूप से किराये पर देने का भी आरोप है। उनके कुछ करीबियों के ठिकानों पर एजेंसी ने छापे भी मारे थे। इससे पहले दिल्ली राऊज एवेन्यू कोर्ट ने अमानतुल्ला खान को उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शिकायत पर दर्ज मामले में जमानत दी थी। अभी आप विधायक जमानत पर हैं। अदालत ने उन्हें 15,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि पर जमानत दे दी थी।

राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के खिलाफ एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही सरकार : सौरभ भारद्वाज

सौरभ भारद्वाज ने कहा, केंद्र सरकार खुलेआम गुंडागर्दी कर रही है। एक सड़ा हुआ मामला वक्फ बोर्ड में भर्ती से जुड़ा था, उस मामले में बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष और हमारे विधायक अमानतुल्लाह खान को आरोपी बनाया गया था। सबसे पहले 2016 में हंगामा मचा कि एसीबी जांच कर रही है। भारद्वाज ने कहा, एसीबी ने उनसे पूछताछ की और गिरफ्तार भी कर लिया और फिर कोर्ट में एसीबी के उसी मामले की धज्जियां उड़ गईं, जब कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी और कहा कि आपके मामले में ऐसा कोई आरोप नहीं है कि पैसे के लेन-देन के आधार पर किसी को नौकरी दी गई हो, अब इसी मामले में तीसरी एजेंसी आ गई है, ईडी ने छापेमारी कर पूछताछ की है, आपको याद होगा कि रात साढ़े 11 बजे तक पूछताछ चल रही थी, केंद्र सरकार अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के खिलाफ एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।

ईडी ने कांग्रेस नेता हरक सिंह को पाखरो रेंज घोटाला मामले में पूछताछ के लिए बुलाया

देहरादून। पाखरो रेंज घोटाले के मामले में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत आज ईडी ऑफिस पहुंचे। पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। पाखरो रेंज घोटाले के मामले में वर्ष 2022 में विजिलेंस के हल्द्वानी सेक्टर में मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में तत्कालीन कुछ अधिकारियों (जिनमें पूर्व डीएफओ किशनचंद भी शामिल थे) को गिरफ्तार भी किया गया था। विजिलेंस ने पिछले साल अगस्त में विजिलेंस ने हरक सिंह रावत और उनके परिचितों के संस्थानों पर छापे मारे थे। बताया गया था कि यहां एक पेट्रोल पंप पर सरकारी जनरेटर बरामद हुआ था। हालांकि, जांच अभी और आगे बढ़ती इससे पहले ही हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई को जांच सौंप दी गई। विजिलेंस ने इस केस से जुड़े सभी दस्तावेज सीबीआई को सौंप दिए थे। इसी बीच ईडी ने भी इसका संज्ञान ले लिया। गत फरवरी 2024 में ईडी ने भी हरक सिंह रावत के घर और इससे जुड़े कुछ अधिकारियों के घरों पर छापे मारे थे। हरक सिंह के यहां से कुछ भी बरामद होने की सूचना नहीं थी।

बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, लगाई फटकार

  • शीर्ष अदालत बोली- आरोपी का घर नहीं गिरा सकती सरकार
  • कोर्ट ने कहा- दिशानिर्देश बनाएंगे, सभी राज्यों को मानना होगा
  • अगली सुनवाई अब 17 सितंबर को

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में अपराधियों के खिलाफ हो रही बुलडोजर कार्रवाई मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि किसी का घर सिर्फ इसलिए कैसे ध्वस्त किया जा सकता है, क्योंकि वह आरोपी है। याचिका में बिना नोटिस घरों के गिराने का आरोप लगाया गया है।
शीर्ष अदालत में सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि म्युनिसिपल नियमों के मुताबिक नोटिस देकर ही अवैध निर्माण को ढहाया जा सकता है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस बारे में दिशानिर्देश बनाएंगे। इसका सभी राज्य पालन करें। देश भर में चल रहे बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई अब 17 सितंबर को करेगा।

यूएपीए के आरोपी को ‘सुप्रीम’ जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के साथ कथित संबंधों को लेकर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आरोपी एक व्यक्ति को जमानत दी, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि वह 6 मई, 2020 से हिरासत में है, और मुकदमे का जल्द खत्म होना संभव नहीं है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने यह भी नोट किया कि 14 सह-आरोपियों में से 12 को जमानत दे दी गई है। कोर्ट मुकेश सलाम नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रहा था, जिस पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, 1967 की धारा 10, 13, 17, 38(1)(2), 40, 22-ए और 22-सी के तहत अपराध का आरोप लगाया गया है, छत्तीसगढ़ विशेष जन सुरक्षा अधिनियम, 2005 की धारा 8(2)(3)(5) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 201 और 149/34 के तहत मामला दर्ज किया गया है। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा जमानत देने से इनकार करने के बाद उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि मुकेश सलाम नक्सली कमांडर राजू सलाम का मामा था तथा राजू सलाम के साथ सीधे तथा निरंतर संपर्क में था तथा उसे सामग्री उपलब्ध कराता था। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा उद्धृत 100 गवाहों में से अब तक केवल 40 गवाहों की ही जांच की गई है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button