गोवा के बाद कांग्रेस को उत्तराखंड में भी झटका!
- तीन नेता आप में शामिल, हरक सिंह के घर हुई बैठक
देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस के दिग्गज नेता अब जल्द ही राज्य में मजबूत विपक्ष के तौर पर दिखेंगे और सरकार के खिलाफ सड़कों पर भी उतरेंगे। यह बात पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने एक मीटिंग के बाद कही। दरअसल कांग्रेस से 45 साल जुड़े रहे आरपी रतूड़ी व अन्य नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दिया। इस्तीफा देने के बाद आम आदमी पार्टी जॉइन कर ली। इसके बाद हरक सिंह के घर कई कांग्रेसी नेता बैठक करते दिखे। हरक सिंह के घर पहुंचने वालों में प्रीतम सिंह गुट के कई नेता शामिल थे। उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी, गंगोत्री के पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण पूर्व विधायक राजकुमार आदि नेताओं की इस बैठक के बाद हरक ने कहा अब उत्तराखंड में विपक्ष कमजोर दिख रहा है। मैं जब नेता विपक्ष था, कांग्रेस सड़क से सदन तक लड़ती थी। इस वक्त प्रदेश में खालीपन दिख रहा है। इन नेताओं ने आपस में बातचीत कर एक बड़ी पहल या फैसला करने का इशारा दिया। असल में कांग्रेस ने पिछले दिनों युवा चेहरे करन मेहरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी के भीतर की गुटबाजी को खत्म करने के लिए एक बड़ा दांव खेलते हुए मेहरा से उम्मीद लगाई थी। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पिछले दिनों यह बयान देकर सबके कान खड़े कर दिए थे कि 2027 का चुनाव उनका आखिरी चुनाव होगा। अब हरक सिंह ने इन दोनों नेताओं को निशाना बनाते हुए कहा कि अब हरीश रावत की उम्र काफी हो गई है और भले ही युवा को कमान दी गई हो, लेकिन कई बार नये नेता भी बड़े काम नहीं कर पाते।
हरक सिंह ने कहा एक पड़ाव पर पहुंचने और बड़े पदों पर रहने के बाद गंभीरता होनी चाहिए। अब टोटकों की राजनीति का समय नहीं है। हरक के बयान का समर्थन करते हुए प्रीतम सिंह ने भी कहा कि हरक ठीक कह रहे हैं। हमें किसी का डर नहीं है और हम जल्द सड़कों पर दिखेंगे। असल में इस मीटिंग को बड़े रोल में हरक की वापसी के तौर पर समझा जा रहा है। राजेंद्र प्रसाद रतूड़ी के साथ ही प्रदेश महिला कांग्रेस उपाध्यक्ष कमलेश रमन और कांग्रेस के सोशल मीडिया सलाहकार कुलदीप चौधरी ने सोमवार को आम आदमी पार्टी जॉइन की तो इसे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना गया। उत्तराखंड आप के संयोजक और पूर्व कांग्रेसी जोत सिंह बिष्ट ने बताया कि दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मौजूदगी में तीनों को पार्टी की सदस्यता दिलाई गई।
बिजली संकट से बचने को योगी सरकार विदेशी कोयला खरीदने को तैयार
लखनऊ। वर्षा के मौसम में कोयले की कमी से बिजली आपूर्ति न प्रभावित हो इसके लिए राज्य सरकार विदेशी कोयला खरीद सकती है। कोल इंडिया के माध्यम से अगस्त-सितंबर में ही विदेशी कोयला खरीदने के लिए लगभग 650 करोड़ रुपए चाहिए होंगे। दरअसल, राज्य के तापीय बिजली उत्पादन गृहों के लिए आवंटित 15 से 17 रैक कोयले में से कोल इंडिया इनदिनों लगभग 11-12 रैक ही कोयला उपलब्ध करा रही है। ऐसे में अगस्त-सितंबर में बिजली उत्पादन के लिए कोयले की कमी न होने पाए, इसके लिए अब राज्य सरकार विदेशी कोयला खरीदने पर विचार कर रही है। वैसे तो राज्य में जरूरत का 10 प्रतिशत विदेशी कोयला लेने पर लगभग 11 हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त चाहिए। इससे प्रति यूनिट एक रुपये बिजली महंगी होने के अनुमान के मद्देनजर योगी सरकार ने पूर्व में विदेशी कोयला न लेने का निर्णय किया था। अब कोल इंडिया से घरेलू कोयले के साथ चार प्रतिशत तक विदेशी कोयला लेने के लिए 500-650 करोड़ रुपये ही चाहिए होंगे। जानकारों के मुताबिक विदेशी कोयले के एवज में अतिरिक्त व्ययभार राज्य सरकार खुद उठा सकती है ताकि उपभोक्ताओं की सीधे तौर पर बिजली महंगी न होने पाए।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि कोयले के आवंटन संबंधी अनुबंध के मुताबिक कोल इंडिया को चाहिए की राज्य को पूरा कोयला दे। आपात स्थिति में बिजली आपूर्ति बनाए रखने के लिए भले ही विदेशी कोयला खरीदा जाए लेकिन उनकी सरकार से मांग है कि उसका वित्तीय भार उपभोक्ताओं पर कतई न डाला जाए। विदेशी कोयले के एवज में अतिरिक्त खर्चे को या तो राज्य सरकार खुद उठाए या फिर केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अनुदान की मांग की जाए।