राम के बाद अब रामचरित मानस पर संग्राम

स्वामी प्रसाद के बयान पर भडक़ी भाजपा

  • सपा ने निजी बात कह झाड़ा पल्ला
  • विपक्ष के मुंह में दही जम जाती : अजय आलोक

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। रामचरित मानस विवाद बिहार के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी उठ गया है। अबकि बार हंगामा सपा के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के उस बयान पर बरपा है जिसमें उन्होंने रामचरितमानस पर प्रतिबंध लगाने की बात कही। उनके बयान पर पलटवार भी शुरू हो गया है। राजनैतिक गलियारे में इस तरह के बयान पर यह चर्चा हो रही है कि नेता अब 2024 लोकसभा चुनाव को नजर में रखकर जानबूझ कर ऐसे विवादित बातें बोल रहें है ताकि वह इसका राजनैतिक लाभ उठा सकें।
गौरतलब हो कि इससे पहले भाजपा नेता व गृहमंत्री अमित शाह त्रिपुरा में राम मंदिर की तारीख की घोषणा कर विपक्ष के निशाने पर आ गए थे। दिवंगत समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव की पुत्रवधू व भाजपा नेत्री अपर्णा यादव ने कहा कि इस तरह के बयान निकृष्टï मानिसकता वाले लोग ही दे सकते हैं। हालांकि समाजवादी पार्टी ने बयान से किनारा करते हुए उनका निजी बयान बता दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान की निंदा चारों ओर हो रही है। रामचरितमानस को लेकर विवादित टिप्पणी करने वालों में अब नया नाम सपा नेता और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य का जुड़ा है। स्वामी प्रसाद मौर्य का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें वह यह कहते नजर आ रहे हैं कि रामचरितमानस में शूद्रों का अपमान किया गया। उन्होंने यह कहा कि ऐसी पुस्तकों से इन दोहों चौपाइयों को हटाना चाहिए या फिर इन्हें प्रतिबंधित करना चाहिए। स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों का हवाला देते हुए बताया कि ब्राह्मण चाहे गुणहीन ही हो, उसकी पूजा करनी चाहिए, वहीं, शूद्र चाहे वेद भी जानता हो वह पूजनीय नहीं है। क्या यही धर्म है? वहीं पूर्व जेडीयू नेता और राजनीतिक विश्लेषक अजय आलोक ने विपक्षी नेताओं पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब रामचरितमानस के ऊपर सवाल उठता है तो इन लोगों के मुंह में दही जम जाती है।

रामचरितमानस पर इस तरह की टिप्पणी करना निकृष्ट मानसिकता दर्शाता : अपर्णा

स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस पर दिए गए विवादित बयान पर बीजेपी के महिला नेता अपर्णा यादव ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि आज भी भारत में कहा जाता है कि बेटा हो तो राम जैसा हो, राम भारत के चरित्र हैं और राम किसी एक धर्म या मजहब के नहीं है। शबरी के जूठे बेर खाकर श्रीराम ने कास्ट बैरियर को तोड़ा। स्वामी प्रसाद पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्होंने रामचरितमानस को पढ़ा ही नहीं। एक राजनेता की ओर से रामचरितमानस पर इस तरह की टिप्पणी करना उनकी निकृष्ट मानसिकता को दर्शाता था। ये वे अपने चरित्र के बारे में बता रहे हैं। रविवार को बुलंदशहर में अपर्णा यादव कोतवाली नगर क्षेत्र के नुमाइश ग्राउंड में एक शाम सांवरिया सेठ कार्यक्रम में पहुची थीं। इस दौरान उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य पर प्रतिक्रिया दी।

जानबूझकर ऐसा किया : भाजपा

स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर बीजेपी नेता राकेशधर त्रिपाठी ने कहा स्वामी प्रसाद मौर्या जब तक भारतीय जनता पार्टी में थे तब तक कभी भी उनके मुंह से कोई बदजुबानी नहीं सुनी लेकिन जब से समाजवादी पार्टी के साथ गए तो जानबूझकर समाजवादी पार्टी के एजेंडे के तहत हिंदुओं को अपमानित करने के लिए और तुष्टिकरण करने के लिए आज वो रामचरितमानस का इस तरह से विरोध करने का काम कर रहे हैं।

अयोध्या के संत भी बिफरे

मौर्य के बयान पर अयोध्या के संतों ने भी खरी-खरी सुनाई है। रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, रामायण में किसी भी व्यक्ति या जाति के उत्पीडऩ की बात नहीं है। यह पूजनीय ग्रंथ है. जगतगुरु परमहंस दास ने भी इसका विरोध किया है। जिसको चौपाई बोलना नहीं आता है, वह भी रामचरितमानस पर टिप्पणी कर रहा है।

मुसलमानों ने भी किया विरोध

रामचरितमानस पर मौर्य का टिप्पणी का सिर्फ हिंदू ही नहीं मुसलमानों ने भी विरोध किया है। मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने कहा, स्वामी प्रसाद का बयान मजम्मत करने वाला है, चाहे गीता हो, रामायण हो या फिर कुरान या बाइबल, किसी भी धर्म की पुस्तक पर बोलने से पहले उसे जानकारों से उस बारे में पूछना चाहिए। अब्बास ने मौर्य के बयान को सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिश बताया। सपा नेता और इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पूर्व अध्यक्ष ऋ चा सिंह ने ट्वीट कर लिखा, कि छद्म समाजवादी स्वामी प्रसाद मौर्य जी को लोहिया जी के समाजवाद को पढऩा चाहिए जो समाजवाद और श्रीराम में सामंजस्य देखते हैं।

अब परमवीरों के नाम से जाने जायेंगे अंडमान के 21 द्वीप

  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर देश ने किया याद

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। भारत के सर्वप्रीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर पूरे देश ने उन्हें याद किया। मुख्य कार्यक्रम राजधानी दिल्ली में मनाया गया। राज्यों की राजधानी में भी उनको श्रद्धाजंलि दी गई। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष मल्ल्किार्जुन खरगे, सपा प्रमुख अखिलेश यादव समेत सभी प्रमुख नेताओ ने उनको पुष्पाजंलि दी।
पीएम मोदी ने सुभाष चंद्र बोस द्वीप पर बनने वाले नेताजी को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक का अनावरण कर दिया है। इसी के साथ आज से अंडमान निकोबार के 21 द्वीप भारत के परमवीरों के नाम से जाने जाएंगे। पराक्रम दिवस के अवसर पर आयोजित एक समारोह में अंडमान और निकोबार के इक्कीस बड़े अज्ञात द्वीपों का नाम परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखा गया। पीएम मोदी ने सुभाष चंद्र बोस द्वीप पर बनने वाले नेताजी को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक के मॉडल का भी अनावरण किया। पीएम ने कहा कि इन 21 द्वीपों को अब परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से जाना जाएगा। पीएम मोदी ने कहा कि अंडमान में जिस जगह नेता जी ने सबसे पहले तिरंगा फहराया था।

इन परमवीरचक्र विजेताओं के नाम शामिल

अब से अंडमान निकोबार के 21 द्वीपों को भारत के 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नामों से जाना जाएगा। 21 परमवीर चक्र पुरस्कार विजेता, जिनके नाम पर द्वीपों का नाम रखा गया है। मेजर सोमनाथ शर्मा, सूबेदार और मानद कप्तान (तत्कालीन लांस नायक) करम सिंह, एम.एम. द्वितीय लेफ्टिनेंट राम राघोबा राणे, नायक जदुनाथ सिंह, कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह, कैप्टन जीएस सलारिया, लेफ्टिनेंट कर्नल (तत्कालीन मेजर) धन सिंह थापा, सूबेदार जोगिंदर सिंह, मेजर शैतान सिंह, अब्दुल हमीद, लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर, लांस नायक अल्बर्ट एक्का, मेजर होशियार सिंह, द्वितीय लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों, मेजर रामास्वामी परमेश्वररन, नायब सूबेदार बाना सिंह, कैप्टन विक्रम बत्रा, लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे, सूबेदार मेजर (तत्कालीन राइफलमैन) संजय कुमार और सूबेदार मेजर सेवानिवृत्त (माननीय कप्तान) ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव।

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