पीडीए की एकजुटता के आगे झुकी सरकार: अखिलेश
- बोले- कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देना ‘सामाजिक न्याय’ के आंदोलन की जीत
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। केंद्र सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न देने के निर्णय को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ‘सामाजिक न्याय’ के आंदोलन की जीत बताया है। अखिलेश ने कहा कि यह दिखाता है कि सामाजिक न्याय व आरक्षण के परंपरागत विरोधियों को भी मन मारकर अब पीडीए के 90 फीसदी लोगों की एकजुटता के आगे झुकना पड़ रहा है।
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा, जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को मरणोपरांत घोषित भारत रत्न दरअसल ‘सामाजिक न्याय’ के आंदोलन की जीत है, जो दर्शाती है कि सामाजिक न्याय व आरक्षण के परंपरागत विरोधियों को भी मन मारकर अब पीडीए के 90 प्रतिशत लोगों की एकजुटता के आगे झुकना पड़ रहा है। पीडीए की एकता फलीभूत हो रही है। बता दें कर्पूरी ठाकुर का जन्म समस्तीपुर जिले के पितौंझिया गांव में नाई समाज में 24 जनवरी 1924 को हुआ था। उन्हें जननायक कहकर संबोधित किया जाता है।
कांशीराम को भी मिले भारत रत्न : मायावती
- कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का किया समर्थन
नई दिल्ली। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के लिए केंद्र सरकार द्वारा भारत रत्न की घोषणा के फैसले का स्वागत करते हुए बीएसपी प्रमुख मायावती ने सरकार से मांग की है कि बीएसपी संस्थापक कांशीराम को भी उनके योगदान के लिए देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा जाना चाहिए। बहुजन समाज पार्टी की चीफ मायावती ने एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे देश के ऐसे महान व्यक्तित्व कर्पूरी ठाकुर को देर से ही सही अब भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित करने के केन्द्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं। उन्होंने सर्वोच्च नागरकि सम्मान के लिए कर्पूरी ठाकुर के परिवार व सभी अनुयाइयों बधाई और शुभकामनाएं दी। कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कांशी राम के लिए भी सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर की तरह ही दलितों एवं अन्य उपेक्षितों को आत्म-सम्मान के साथ जीने व उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए बीएसपी के जन्मदाता एवं संस्थापक मान्यवर श्री कांशीराम जी का योगदान ऐतिहासिक व अविस्मरणीय है, जिन्हें करोड़ों लोगों की चाहत अनुसार भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित करना जरूरी है।