अक्षय कुमार ने मांगी माफी मगर देश में कब लगेगा पान मसाले पर प्रतिबंध!

देश में धड़ल्ले से बिक रहा पान मसाला, अफसरों से मिलीभगत कर सरकार को कंपनियां लगा रहीं चूना

  • नशे के विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के बाद गुटखे की जगह इलायची का कर रहीं विज्ञापनपान मसाला बेचने के लिए सुपर
  • स्टार अभिनेताओं से कराये जा रहे करोड़ों के विज्ञापन

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। देश में एक नयी सोच पैदा हुई है और वह है अपने नायकों को कठघरे में खड़ा करने की। अक्षय कुमार के करोड़ों लोग दीवाने हैं और उनमें अपना नायक तलाशते हैं। अक्षय कुमार को विमल पान मसाला कंपनी का एड करते देख लोग निराश हुए और सोशल मीडिया पर उनकी जमकर आलोचना की, जिसके बाद अक्षय ने इस एड के लिये माफी मांगी पर बड़ा सवाल यह है कि देश में लाखों लोगों की मौत की जिम्मेदार इन पान मसाला कंपनियों पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगता। 4क्करू के संपादक संजय शर्मा ने पान मसाला पर प्रतिबंध लगाने के लिये इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की थी जो अभी लंबित है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने नशे के विज्ञापनों पर रोक लगा दी है। शराब और पान मसाला की कंपनियों का धंधा विज्ञापन पर ही चलता है। इस रोक के बाद इन कंपनियों ने नया रास्ता निकाला। रजनीगंधा, विमल पान मसाला और शुद्ध प्लस कंपनियों ने पान मसाला के गुटखे की जगह इलायची का विज्ञापन शुरू कर दिया। विमल कंपनी ने तो प्रचार के लिये सारे रिकार्ड ही तोड़ डाले। बड़े-बड़े फिल्मी सितारों को एक मूवी के लिये जितने पैसे मिलते हैं उतने पैसे अकेले एक एड के मिलने लगे। लिहाजा अजय देवगन और शाहरुख खान मुंह में गुटखा डालते हुए विमल इलायची का विज्ञापन करते नजर आने लगे। लोग तब हैरान हुए जब पिछले हफ्ते इसी एड में अक्षय कुमार भी नजर आने लगे। अक्षय कुमार सामाजिक कार्यों , स्वच्छता और हेल्थ के मुद्दे को लेकर लोगों को जागरूकता करते रहते हैं। इस एड के बाद देश भर में उनकी आलोचना शुरू हो गयी। हंगामे के बाद कल देर रात अक्षय कुमार ने ट्वीट करते हुए अपने प्रशंसकों से इस एड के लिये माफी मांगी और कहा, इस एड का सारा पैसा वे दान कर देंगे। अक्षय कुमार ने लिखा, आई एम सॉरी। मैं आप सभी शुभचिंतकों और फैंस से माफी मांगता हूं। पिछले कुछ दिनों में आपकी प्रतिक्रियाओं ने मुझे बहुत ज्यादा प्रभावित किया है। हालांकि, मैंने कभी तंबाकू को प्रमोट नहीं किया और न ही करूंगा। अक्षय की इस माफी के बाद बड़ा सवाल यह खड़ा हुआ कि आखिर हर साल लाखों लोगों की मौत के जिम्मेदार पान मसाले को प्रतिबंधित क्यों नहीं किया जाता। यह स्थिति तब है जब देश में हर घंटे पांच लोगों की मुंह के कैंसर से मौत हो रही है।


4PM के संपादक संजय शर्मा ने हाईकोर्ट में दायर की थी जनहित याचिका

वर्ष 2020 में कोरोना को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले 25 मार्च को पान मसाले पर प्रतिबंध लगाया लेकिन उसे अचानक 6 मई को वापस ले लिया था। इस पर 4PM के संपादक संजय शर्मा ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर पान मसाले पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। 4PM के संपादक संजय शर्मा ने याचिका में कहा था कि पान मसाला के उत्पादन, वितरण और बिक्री की अनुमति देने वाली सरकार के 6 मई के आदेश केंद्र सरकार द्वारा जारी मानक संचालन प्रोटोकॉल की भावना के खिलाफ हैं। याचिकाकर्ता ने कहा था कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान सहित तंबाकू के उपयोग और थूकने पर रोक लगाने के लिए कहा है। सार्वजनिक स्थानों पर थूकना कोरोना वायरस के प्रसार को बढ़ा सकता है। याचिका में कहा गया कि 25 मार्च, 2020 को उत्तर प्रदेश सरकार ने पान मसाला के इस्तेमाल और सार्वजनिक थूकने पर चिंता जताते हुए पान मसाला के निर्माण, वितरण और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था जिससे महामारी फैल सकती है। याचिका में हैरत जताते हुए कहा गया था कि कोरोना के बढ़ते प्रसार के बावजूद पान मसाला पर से प्रतिबंध हटा लिया गया। उत्तर प्रदेश सरकार के आयुक्त, खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन ने 6 मई के आदेश से प्रतिबंध को वापस ले लिया है। याचिकाकर्ता और 4PM के संपादक संजय शर्मा ने सवाल उठाया था कि आयुक्त, खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन इस नतीजे पर कैसे पहुंचे कि पान मसाला से कोरोना का प्रसार नहीं बढ़ेगा। यह स्थिति डरावनी है लिहाजा यह आदेश राज्य के नागरिकों के जीवन के लिए खतरा उत्पन्न करता है। यही नहीं इस आदेश को खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 की धारा 30 का उल्लंघन कर पारित किया गया है, जो आयुक्त को सार्वजनिक हित में कार्य करने के लिए कहता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में लगभग 75,000 व्यक्ति मुंह के कैंसर की खतरनाक बीमारी से पीडि़त हैं, जिसका मुख्य कारण तंबाकू चबाना और गुटखा और पान मसाला का उपयोग करना है। फिलहाल यह मामला कोर्ट में लंबित है।

जीएसटी की चोरी करती हैं कंपनियां

यूपी में भी पान मसाला कंपनियां जीएसटी की बड़े पैमाने पर चोरी करती हैं। मूल फैक्ट्री के अलावा ये दूर गांव में चुपचाप छोटे-छोटे कारखाने लगा लेती हैं और यहां पर बनने वाले माल की टैक्स चोरी का आधा पैसा सरकारी अफसरों को घूस में दे देती हैं।

देश में हर घंटे पांच लोगों की मुंह के कैंसर से हो रही है मौत

ओरल कैंसर पर ढाई दशकों से रिसर्च कर रहे अहमदाबाद के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. भरत अग्रावत के मुताबिक मुंह के कैंसर की बीमारी में ओरल सबम्युकस फाइब्रोसिस पूर्व स्थिति है। प्रतिवर्ष भारत में इसके 77 हजार मामले सामने आते हैं। इस बीमारी का विस्तार इतना भयावह है कि प्रति घंटे देश में करीब पांच लोगों की मुंह के कैंसर से मौत हो रही है। ओरल कैंसर दुनिया में सबसे अधिक होने वाला कैंसर है लेकिन सिर्फ भारत में ही एक तिहाई से अधिक मामले पाए जाते हैं। गुटखा और तंबाकू मुंह के कैंसर का बड़ा कारण हैं।

टैक्स चोरी के अलावा गुंडागर्दी में भी नाम आया था शुद्ध प्लस का

शुद्ध प्लस पान मसाला कंपनी का नाम न केवल टैक्स चोरी बल्कि गुंडागर्दी करने में भी आ चुका है। कानपुर में अपने बाउंसर के सहारे शुद्ध प्लस पान मसाला कंपनी के निदेशक शरद खेमका ने अपनी फरारी कार से बीच चौराहे पर जमकर स्टंट किया था। इस दौरान पुलिस तमाशबीन बनी थी। इस मामले में देर से एफआईआर दर्ज करने की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी की गई थी। तब सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने इस मामले में सीएम योगी को पत्र लिखकर ड्यूटी में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों और शरद खेमका के अन्य सहयोगियों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की थी।

रजनीगंधा ने कहा था, दस करोड़ दिया पीएम फंड को, बैन न करें पान मसाला

दूसरी लहर के दौरान वर्ष 2020 में पान मसाला को बैन करने की मांग वाली एक जनहित याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की गयी थी। पान मसाला बंद न हो इसके लिए रजनीगंधा कंपनी ने हैरान करने वाला तथ्य कोर्ट में रखा था। कंपनी ने कहा था कि लोग रजनीगंधा को माउथ फ्रेशनर की तरह चबाते हैं और इसमें तंबाकू नहीं होती। उन्होंने शपथ पत्र देकर कहा कि उन्होने कोरोना काल में पीएम केयर फंड में दस करोड़ दिये हैं और अन्य कोरोना वॉरियर एवं कोरोना से लड़ाई को भी दस करोड़ दिये हैं। इन सब बातों के मददेनजर पान मसाला को प्रतिबंधित न किया जाय। सवाल यह है कि क्या पीएम फंड में दान देने भर से पान मसाला कंपनियों को लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने की छूट दी जा सकती है?

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