एलजी व आप सरकार में फिर तकरार

  • एमसीडी की स्थायी समिति का गठन रुका
  • दो बार शीर्ष कोर्ट में जाने से लटका मामला

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली में उपराज्यपाल वी.के सक्सेना और आम आदमी पार्टी के बीच एकबार फिर टकराव हो गया है। एलजी व सरकार की तनातनी से एमसीडी की स्थायी समिति के गठन की प्रक्रिया एक बार फिर रुक गई है। इस बार सदन में एक सदस्य के उपचुनाव के कारण समिति के गठन का मामला रुका है, जबकि गत वर्ष एमसीडी में पार्षद मनोनीत करने के मामले के कारण समिति का गठन की प्रक्रिया रुकी थी। दोनों बार मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने से लटका है। सुप्रीम कोर्ट ने सदन में हुए एक सदस्य के चुनाव का आने पर समिति के गठन पर रोक लगाई है।
हालांकि, गत वर्ष ने उन्होंने रोक नहीं लगाई थी। मगर एमसीडी ने समिति का गठन करने की प्रक्रिया आरंभ नहीं की थी। दो माह पहले मनोनीत पार्षदों के नियुक्त करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय उपराज्यपाल के पक्ष में आने के बाद एमसीडी ने समिति के गठन की प्रक्रिया आरंभ हुई थी। मगर गत 26 सितंबर को एक सदस्य के चुनाव के दौरान पार्षदों को सदन में मोबाइल फोन ले जाने के मामले में मेयर व अधिकारियों में टकराव हो गया था। मेयर ने चुनाव कराए बिना सदन की बैठक पांच अक्तूबर तक स्थगित कर दी थी, लेकिन उनके आदेश के कुछ देर बाद उपराज्यपाल ने यह चुनाव कराने की प्रक्रिया आरंभ कराने की पहल कर दी थी और उनके निर्देश पर 27 अक्तूबर को चुनाव हो गया है।

कल फिर लगेगी पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल की जनता अदालत

राजधानी दिल्ली में एक बार फिर जनता की अदालत लगने जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 6 अक्टूबर को जनसभा को संबोधित करेंगे। उन्होंने इससे पहले दिल्ली के जंतर-मंतर पर जनता की अदालत लगाई थी। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय  संयोजक अरविंद केजरीवाल रविवार को छत्रसाल स्टेडियम में जनता की अदालत कायक्रम में शामिल होंगे। सांसद संजय सिंह ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते हुए संकल्प लिया था, वह दिल्ली की जनता से अपनी ईमानदारी का सर्टिफिकेट लेकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली वालों को सारी सुविधाएं मुफ्त में दीं। उसके बाद भी मुनाफे का बजट पेश किया लेकिन भाजपा उन पर झूठा आरोप लगा रही है। उन्हें गलत आरोप लगाकर जेल में डाला गया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है।

एमसीडी सदस्य के चुनाव में एलजी पर भडक़ा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल की ओर से दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छठे सदस्य के चुनाव के लिए निर्देश जारी करने के तरीके पर घोर आपत्ति जताई। शीर्ष अदालत ने कहा, अगर ऐसा होगा तो लोकतंत्र का क्या होगा? शीर्ष कोर्ट ने सवाल किया कि मेयर की अनुपस्थिति में चुनाव कराने में आखिर इतनी जल्दी क्या थी? कोर्ट ने एलजी की ओर से डीएमसी अधिनियम की धारा 487 का जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा, धारा 487 एक कार्यकारी शक्ति है। यह विधायी कार्यों में हस्तक्षेप करने के लिए नहीं है। यह एक सदस्य का चुनाव है। अगर आप इस तरह से हस्तक्षेप करते रहेंगे, तो लोकतंत्र का क्या होगा? सुनवाई के दौरान पीठ ने एलजी की शक्तियों की वैधता पर गंभीर संदेह व्यक्त किया।

एलजी के कार्यों की होनी चाहिए जांच : जस्टिस नरसिम्हा

सुनवाई की शुरुआत में एलजी के वकील संजय जैन ने याचिका की स्वीकार्यता पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, चुनौती सिर्फ तभी दी जा सकती है, जब चुनाव याचिका दायर की जाए। जस्टिस नरसिम्हा ने कहा, हमारा भी प्रारंभिक विचार यही था कि अनुच्छेद 32 की याचिका क्यों। मामले पर गौर करने के बाद, हमें लगता है कि यह ऐसा मामला है, जहां हमें नोटिस जारी करना चाहिए, खासकर जिस तरह से धारा 487 के तहत शक्तियों का प्रयोग किया गया है। हमें आपकी शक्तियों की वैधता पर गंभीर संदेह है। इस पर जैन ने कहा कि मेयर ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 128 का उल्लंघन किया है। तब पीठ ने कहा कि उसे मेयर के आचरण के बारे में भी कुछ आपत्तियां हैं लेकिन एलजी के कार्यों की जांच की जानी चाहिए।

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