BJP को बड़ा झटका! अजित पवार देंगे धोखा? चाचा-भतीजा फिर साथ!
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज है... सवाल उठ रहा है कि क्या अजित पवार BJP को धोखा देने वाले हैं?

4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र की राजनीति हमेशा से ही रोमांचक रही है.. यहां परिवारों की सियासत, गठबंधनों की जटिलताएं.. और चुनावी रणनीतियां सब कुछ एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है.. दिसंबर 2025 के इस महीने में दो बड़ी खबरें सुर्खियां बटोर रही हैं.. पहली, पवार परिवार के ‘चाचा-भतीजा’ यानी शरद पवार.. और अजित पवार के बीच फिर से एकजुट होने की अटकलें.. दूसरी, सत्ताधारी महायुति यानी भाजपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के बीच स्थानीय निकाय चुनावों में साथ लड़ने का फैसला.. ये दोनों मुद्दे न सिर्फ महाराष्ट्र की सियासत को प्रभावित कर रहे हैं.. बल्कि पूरे देश की नजरें भी इन्हीं पर टिकी हैं..
आपको बता दें कि पवार परिवार महाराष्ट्र की राजनीति का एक बड़ा नाम है.. शरद पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संस्थापक हैं.. उनको ‘साहेब’ के नाम से जाना जाता है.. उनका जन्म 12 दिसंबर 1940 को हुआ था.. और 2025 में वे 85 वर्ष के हो चुके हैं.. शरद पवार ने 1999 में एनसीपी की स्थापना की थी.. जब वे कांग्रेस से अलग हुए थे.. उनके भतीजे अजित पवार ने भी पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.. अजित महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं.. और शरद के सबसे करीबी सहयोगी थे..
लेकिन 2023 में सब कुछ बदल गया.. जुलाई 2023 में अजित पवार ने अपने 40 विधायकों के साथ भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति सरकार में शामिल हो गए.. इससे एनसीपी दो गुटों में बंट गई.. एक गुट शरद पवार के नेतृत्व में एनसीपी (एसपी) बना.. जिसे ‘ओरिजिनल एनसीपी’ कहा जाता है.. दूसरा गुट अजित पवार का एनसीपी (एपी).. जो चुनाव आयोग से आधिकारिक नाम और सिंबल ‘घड़ी’ हासिल कर चुका है.. इस विभाजन ने महाराष्ट्र की सियासत को नया मोड़ दिया.. 2024 के विधानसभा चुनावों में अजित गुट ने महायुति के साथ मिलकर जीत हासिल की.. जबकि शरद गुट विपक्षी महाविकास अघाड़ी का हिस्सा बना..
विभाजन के बाद से ही एकीकरण की अफवाहें चलती रहीं.. कभी परिवारिक समारोहों में मिलन.. तो कभी चुनावी दबाव.. लेकिन हर बार ये अफवाहें ठंडी पड़ जाती थी.. लेकिन मई 2025 में शरद पवार ने एक संकेत दिया था कि एकीकरण संभव है.. अगर पार्टी नेता चाहें तो.. लेकिन जून 2025 में उन्होंने साफ कह दिया कि अजित गुट के साथ एकीकरण नहीं होगा.. क्योंकि वे भाजपा के साथ हैं.. अगस्त 2025 में भी शरद ने दोहराया कि वे कभी भाजपा गठबंधन का समर्थन नहीं करेंगे..
वहीं 14 दिसंबर 2025 को शरद पवार का जन्मदिन दो दिन पहले ही मनाया गया था.. 12 दिसंबर को दिल्ली में उनकी जन्मदिन पार्टी हुई.. जिसमें अजित पवार भी पहुंचे.. यह कोई पहली बार नहीं था.. अप्रैल 2025 में भी दोनों की मीटिंग्स से एकीकरण की चर्चा जोर पकड़ चुकी थी.. लेकिन इस बार पुणे में अजित गुट के एक नेता ने पोस्टर लगाकर खुली अपील की.. पोस्टर में लिखा था कि पवार परिवार एकजुट हो.. क्योंकि इससे महाराष्ट्र का फायदा होगा.. जिसको लेकर नेता ने कहा कि दोनों गुटों का एक होना ही राज्य के हित में है..
इसके बाद अटकलें तेज हो गईं.. जून 2025 में भी ऐसी ही अफवाहें थीं.. जब थैकरेज परिवार के एकीकरण की चर्चा के साथ पवारों का नाम जोड़ा गया.. नवंबर 2025 में, जब 246 नगर परिषदों.. और 18 नगर पंचायतों के चुनावों की घोषणा हुई.. तो एकीकरण की बातें फिर से गर्माईं.. अजित गुट के नेता चहगन भुजबल ने मई 2025 में कहा था कि मीडिया की ये बातें हैं.. कोई सच्चाई नहीं है..
आपको बता दें कि शरद पवार ने हमेशा परिवारिक रिश्तों को राजनीति से अलग रखने की कोशिश की.. और उन्होंने कहा कि अजित मेरा भतीजा है, मिलना-जुलना स्वाभाविक है.. लेकिन राजनीतिक फैसला पार्टी पर निर्भर है.. अप्रैल 2025 में भी उन्होंने मीटिंग्स को ‘लोगों के मुद्दों पर चर्चा’ बताया.. वहीं इस मुद्दे पर विभिन्न नेताओं के बयान दिलचस्प हैं.. अजित गुट के एनसीपी विधायक अमोल मिटकरी ने कहा कि अजित पवार साहब ने ही साथ छोड़ा था.. हम आज भी शरद पवार के साथ हैं.. लेकिन कई लोग अजित दादा के साथ हैं.. मिटकरी का यह बयान दर्शाता है कि गुटों में अभी भी वफादारी बंटी हुई है.. जून 2025 में अजित गुट ने पार्टी फाउंडेशन डे पर एकीकरण की संभावना को खारिज कर दिया..
शिवसेना (शिंदे गुट) के प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े ने तर्क दिया कि ये परिवार के लोग हैं.. जन्मदिन पर मिलना सामान्य है.. इसे राजनीतिक एंगल न दें.. हेगड़े का यह बयान महायुति के हितों को बचाने का प्रयास लगता है.. क्योंकि अजित गुट उनका सहयोगी है.. वहीं, शरद गुट के रोहित पवार (शरद के पोते) ने जून 2025 में एकीकरण का संकेत दिया था.. लेकिन समग्र रूप से शरद पवार ने अगस्त 2025 में साफ शब्दों में कहा कि हम उन लोगों के साथ नहीं जा सकते जो भाजपा से हाथ मिला चुके हैं..
वहीं ये बयान बताते हैं कि भावनाएं तो हैं.. लेकिन राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं ज्यादा मजबूत हैं.. एकीकरण से एनसीपी मजबूत तो होगी.. लेकिन अजित को भाजपा से अलग होना पड़ेगा.. जो मुश्किल है.. नवंबर 2024 के चुनावों के बाद अजित गुट में एकीकरण की मांग बढ़ी थी.. क्योंकि वे राज्य में कमजोर दिख रहे थे.. वहीं अब बात करते हैं दूसरे अपडेट की.. जिसमें महाराष्ट्र में 29 महानगरपालिकाओं.. जिसमें मुंबई की बीएमसी शामिल है.. जिसके चुनाव फरवरी-मार्च 2026 में होने हैं.. 12 दिसंबर 2025 को भाजपा और शिंदे शिवसेना ने फैसला किया कि वे सभी स्थानीय निकाय चुनावों में साथ लड़ेंगे.. महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख रविंद्र चावन ने कहा कि महायुति सभी लोकल पोल्स साथ लड़ेगी.. यह फैसला केंद्र के निर्देश पर हुआ..
इससे पहले, छोटे चुनावों में दोनों पार्टियों के बीच खटास थी.. लेकिन अब सीट शेयरिंग पर सहमति बनी.. मुंबई में भाजपा 140-150 सीटें लड़ेगी.. शिवसेना 80-90 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.. जानकारी के मुताबिक सीट बंटवारे में गृह मंत्री अमित शाह की भूमिका अहम रही.. राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि यह फैसला विपक्ष को करारा जवाब देगा..
वहीं विपक्ष ने तीखा हमला बोला.. कांग्रेस ने कहा कि महायुति डर गई है.. इसलिए गठबंधन कर रही है.. पूर्व सांसद संजय निरुपम ने कहा कि साथ लड़ना अच्छा है.. लेकिन हम मजबूत होकर जीतेंगे.. मुंबई में शिवसेना-भाजपा की सरकार बन सकती है.. लेकिन लोकसभा-विधानसभा की तरह ही.. उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) ने इसे ‘डर का गठबंधन’ बताया.. बता दें कि यह गठबंधन 2024 चुनावों की सफलता पर आधारित है.. जहां महायुति ने 80% सीटें जीतीं.. लेकिन स्थानीय स्तर पर चुनौतियां हैं.. मुंबई में बीएमसी पर उद्धव गुट का कब्जा है…



