EVM हैकिंग मामले में बड़ा खुलासा, बुरा फंसा चुनाव आयोग!

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क: इन दिनों एक तरफ जहां देश में होने वाले लोकसभा चुनाव की चर्चाएं हो रही हैं, प्रचार-प्रसार हो रहा है वहीं दूसरी तरफ EVM का मुद्दा का मुद्दा भी गरमाया हुआ है। EVM को लेकर तरह-तरह की ख़बरें सामने आ रही हैं। भले ही चुनाव आयोग इसपर बड़े बड़े दावे कर रहा है कि EVM को हैक नहीं किया जा सकता EVM पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन असल में ऐसा है नहीं। ये हम इस लिए कह रहे हैं क्योंकि अभी हाल ही चुनाव आयोग की वेबसाइट हैक का मामला सामने आया है। जहां चुनाव आयोग की वेब साइट हो ही हैक कर लिया गया है। अब ऐसे में EVM को लेकर सवाल बढ़ता जा रहा है अगर चुनाव आयोग की साइट हैक हो सकती है तो EVM क्यों नहीं। महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में वन विभाग के एक कर्मचारी को व्हाट्सएप स्टेटस संदेश डालकर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। बात करें पूरे मामले कि तो दरअसल हरियाणा के कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र से इस बार भाजपा के मुकाबले इंडिया गठबंधन से आम आदमी पार्टी चुनावी मैदान में कड़ी टक्कर करने की तैयारी कर रही है। आम आदमी पार्टी से राज्य पार्टी अध्यक्ष और पूर्व राज्य सभा सांसद, डॉ. सुशील गुप्ता को टिकट दिया गया है। वहीं कुरुक्षेत्र से भी भाजपा ने कांग्रेस के पूर्व सांसद और स्टील टाइकून नवीन जिंदल को चुनावी मैदान में उतारा है। भाजपा राज्य की सभी 10 सीटों पर अकेले दम पर चुनाव लड़ रही है, जबकि इंडिया गठबंधन में कांग्रेस 9 और आप पार्टी एकमात्र कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में है।

आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी की ओर से 7 अप्रैल को कैथल और सीवन में दो जनसभा का कार्यक्रम तय किया गया था। चुनावी सभा की इजाजत के लिए आम आदमी पार्टी की ओर से चुनाव आयोग के समक्ष ऑनलाइन आवेदन भी कर दिया गया था। इसके जवाब में चुनाव आयोग की वेबसाइट से टिप्पणी में जो जवाब आया, उसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है। ऐसा अब तक के इतिहास में पहली बार हुआ है जब किसी सरकारी वेबसाइट से ऐसा मामला सामने आया हो वो भी चुनाव आयोग की जो कि खुद को काफी सुरक्षित बताता है। इससे पहले शायद ही कभी देश ने इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को इस कदर सत्ताधारी पार्टी के शोहदों के साथ मिलकर चुनाव प्रकिया को ही ध्वस्त करते हुए देखा हो। दरअसल चुनाव आयोग ने आप पार्टी के आवेदन को ख़ारिज करते हुए आप की दोनों जनसभाओं की मांग को खारिज कर दिया। लेकिन उससे भी बड़ी हैरानी की बात तो तब देखने को मिली जब चुनाव आयोग की वेबसाइट में इसका कारण बताते हुए एक टिप्पणी में लिखा गया ‘कोणी देंदे’ अर्थात नहीं देंगे, और दूसरी टिप्पणी में तो जो लिखा था वो हम यहां बता नहीं सकते। खैर इसके बाद आप कार्यकर्ताओं में जमकर आक्रोश हुआ। और इस मामले ने तीजी से तूल पकड़ लिया। इसके बाद खबर आई कि चुनाव आयोग ने आप पार्टी को दोनों स्थानों पर सभा की इजाजत दे दी है, और जिला प्रशासन ने मामले का संज्ञान लेते हुए 5 कर्मचारियों को निलंबित भी कर दिया है। इसके साथ ही जिला प्रशासन ने इस मामले की जांच का काम पुलिस प्रशासन को सौंप दिया है। आपको बता दें कि लोकसभा में चुनाव प्रचार के लिए अब चुनावी आचार संहिता का कड़ाई से पालन करना आवश्यक बना दिया गया है। किसी भी दल को चुनावी सभा या रैली निकालने के लिए पहले जिला प्रशासन से पूर्व अनुमति आवश्यक है।

विपक्षी पार्टियों के लिए ऐसा करना नितांत आवश्यक है, क्योंकि चूक की दशा में उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की तलवार हमेशा लटकी हुई है। उसे न सिर्फ ईडी या आयकर विभाग से कभी भी नोटिस आ सकता है, बल्कि इलेक्शन कमीशन से भी उसे दनादन आचार संहिता भंग करने के नोटिस मिलते रहते हैं। हालांकि चुनाव आयोग की ओर से ऑनलाइन आवेदन और मंजूरी के लिए एक पोर्टल बनाया गया है, जिसके माध्यम से सारी प्रकिया संपन्न की जा रही है। खबर है कि जिला प्रशासन की ओर से दो दिन पहले ही इस संबंध में कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया गया था। वहीं इस मामले पर चुनाव आयोग ने अपनी सफाई में कहा है कि उनकी वेबसाइट हैक हो गई थी। लेकिन क्या चुनाव आयोग की इस सफाई पर कोई भी यकीन कर सकता है? आप पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद गुप्ता ने प्रेस कांफ्रेंस में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए बताया है कि, “उनकी पार्टी के द्वारा चुनाव आयोग से 7 अप्रैल के दिन दो चुनावी सभा करने की इजाजत मांगी गई थी। चुनाव आयोग की ओर से गाली-गलौज की भाषा का इस्तेमाल करते हुए हमारे आवेदन को खारिज कर दिया गया। एक आवेदन पर लिखकर आया कि क्या इलेक्शन कमीशन इतना पंगु बन गया है कि वह भद्दी गालियां लिखकर हमारे आवदेन को ख़ारिज करेगा? क्या इस देश में अब निष्पक्ष ढंग से चुनाव नहीं हो सकता है? चुनाव आयोग ऐसी अभद्र भाषा का उपयोग करेगा, इससे अधिक शर्म की बात इस देश में कुछ नहीं हो सकता। आज देश में कुरुक्षेत्र लोकसभा के कैथल के अंदर यह बात आ रही है। यह बेहद शर्मनाक है। मैं इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया से अनुरोध करता हूं कि इनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करे, ताकि इस तरह मां की गाली देकर किसी के आवदेन को रद्द न किया जा सके।”

ऐसा लगता है कि इलेक्शन कमीशन को भी इस भारी चूक से सकते में है, और उसने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए मामले को रफादफा करने की कोशिश की है। लेकिन इन सब के बीच एक बड़ा सवाल यह है कि आखिर कैसे कोई चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट को हैक कर सकता है? अगर वेबसाइट हैक हुई भी है, तो कैसे मान लिया जाये कि इसका दुरुपयोग सिर्फ कुरुक्षेत्र संसदीय सीट तक ही सीमित होगा? सवाल उठता है कि क्या चुनाव आयोग देश में निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के लिए उपयुक्त हाथों में है? या चुनाव आयोग के भीतर असल में भाजपा समर्थक साइबर सेल ही में देश में चुनाव प्रकिया की देख-रेख संभाल रहा है? मामला तो ऐसा ही लगता है। इसकी जांच हरियाणा पुलिस की बजाय कोर्ट की निगरानी में किये जाने की मांग की जानी चाहिए। लेकिन लगता है चुनावी भागदौड़ में इस गंभीर अपराध की अनदेखी ही होनी है। आप नेता अनुराग ढांडा ने इस बारे में X पर टिप्पणी करते हुए बहुत ही मौजूं सवाल पूछा है कि क्या पूरे देश में चुनाव आयोग के दफ्तर बीजेपी के लोग चला रहे हैं? कुरुक्षेत्र, हरियाणा में डॉ. सुशील कुमार गुप्ता के चुनाव कार्यक्रम की परमिशन मांगने पर चुनाव आयोग का दफ्तर गाली लिखकर रिजेक्ट करता है? वहीं दिल्ली में मंत्री आतिशी सिंह को नोटिस 30 मिनट बाद मिलता है, जबकि बीजेपी वाले पहले ही खबर चलवा देते हैं? आप नेता अनुराग ढांडा के अनुसार, ‘चुनाव आयोग भाजपा के हाथों की कठपुतली की तरह पेश आ रहा है। ऐसे कर्मचारियों को तत्काल बर्खास्त कर उनके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।”

खैर यहां भले ही चुनाव आयोग की वेब साइट हैक कर ली जा रही हो और इसपर प्रशासन नरमी बरत रहा हो लेकिन वहीं कोई अगर EVM के खिलाफ टिप्पड़ी करता है तो उसे यह कदम उठाना काफी महंगा पड़ता है। यहां तक कि उसे अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ता है। ऐसा हम इस लिए कह रहे हैं क्योंकि महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में वन विभाग के एक कर्मचारी को व्हाट्सएप स्टेटस संदेश डालकर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। दरअसल कर्मचारी ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की प्रभावशीलता पर सवालिया निशान उठाया था। जिसके बाद उसके खिलाफ कार्रवाई की गई। बता दें कि चंद्रपुर कलेक्टर और जिला रिटर्निंग अधिकारी विनय गौड़ा ने कहा कि पंढरकावड़ा में तैनात शिवशंकर मोरे के खिलाफ कार्रवाई की गई। चंद्रपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले अरनी के सहायक चुनाव अधिकारी ने प्रभागीय वन अधिकारी को लिखे एक पत्र में कहा कि उन्हें मोरे के खिलाफ एक शिकायत मिली है जिसमें कहा गया है कि उन्होंने स्टेटस बनाकर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है। उनका मोबाइल, जिसने ईवीएम की प्रभावशीलता पर संदेह पैदा किया और लोगों के मन में भ्रम पैदा किया। साथ ही पत्र में कहा गया है, किसी सरकारी कर्मचारी से इस तरह के व्यवहार की उम्मीद नहीं की जाती है और यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। चलें माना कि इससे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हुआ जिसकी वजह से अधिकारी को निष्कासित कर दिया गया लेकिन उसका क्या जो चुनाव आयोग की पूरी की पूरी वेबसाइट को ही हैक कर लिया गया। अभी देश में चुनावी माहौल है और इस समय ऐसे चुनाव आयोग की वेबसाइट का हैक हो जाना खुद EC पर सवाल खड़े करता है। कि अगर साइट हैक हो गई है तो EVM भी हैक हो सकता है। खैर अभी ये मामला गरमाया हुआ है और विपक्ष इसे लेकर हमलावर है। अब देखना ये होगा कि चुनाव तक यह मामला कितना गरमाता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button