दंगे भडक़ाकर ध्रुवीकरण करती है भाजपा: खरगे
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। रामनवमी पर हुई हिंसा और दंगों को लेकर राजनीतिक विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्ल्किार्जुन खरगे का बयान सामने आया है। उन्होंने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जब बीजेपी को पता चलता है कि वह कमजोर हो रही है तो वे दंगे भडक़ाते हैं और लोगों का ध्रुवीकरण करते हैं। उन्होंने कहा कि यह बीजेपी का कारनामा है। बिहार हिंसा को लेकर कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने इससे पहले कहा था कि जो कुछ भी इन दिनों बिहार में हो रहा है वो 1989 में हुए दंगों की याद दिला रहा है। उस दंगे में ना जाने कितने लोगों की जान चली गई थी। कितने बेगुनाह मारे गए थे जिन्हें अब तक इंसाफ नहीं मिल पाया है और बीजेपी एक बार फिर बिहार में वैसे ही दंगा कराने का मंसूबा बना रही है. उन्होंने भी इसे 2024 और 2025 में होने वाले चुनाव से जोड़ा था।
चुनाव नजदीक हैं बीजेपी को नुकसान का डर : राउत
इससे पहले उद्धव ठाकरे गुट के संजय राउत ने भी इस मुद्दे को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा कि बंगाल में हो रही हिंसा योजनाबद्ध, प्रायोजित और बीजेपी की लक्षित है, जहां भी चुनाव नजदीक हैं और बीजेपी को अपने नुकसान का डर है या जहां बीजेपी सरकार कमजोर है वहां दंगे होते हैं।
रामनवमी मनाने का अधिकार है या नहीं: रविशंकर प्रसाद
पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिहार में रामनवमी के दौरान हुई घटना पर कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। मुझे यह बताइए कि लोगों को रामनवमी मनाने का अधिकार है या नहीं। आप शांति क्यों नहीं कायम कर सकते हैं। बिहारशरीफ में दंगे हुए, बस जलाई गई, गोलीबारी हुई,आपकी पुलिस क्या कर रही है। पिछले साल तो सब कुछ शांति पूर्वक हो गया। इस साल क्यों नहीं हुआ। यह बड़ा सवाल है, प्रधानमंत्री बनने के चक्कर में नीतीश कुमार का शासन पर जोर नहीं है और न ही ध्यान। साजिश तो उन्होंने की कि हमारे गृह मंत्री को रोक दिया। रविशंकर प्रसाद ने आगे कहा कि लोग गोली चला रहे हैं। दंगे हो रहे हैं, तो आप हम पर क्यों आरोप लगा रहे हैं।
गैस रिसाव से लगी भीषण आग, मासूम समेत दो की मौतफर्रुखाबाद में हुआ बड़ा हादसा, 16 लोग झुलसे
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
कानपुर। उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में बड़ा हादसा हुआ है। घर में हुए देवी जागरण के बाद गैस रिसाव होने से मासूम और महिला की मौत हो गई। जबकि 16 लोग झुलस गए। झुलसे हुए लोगों को सीएचसी में भर्ती कराया गया है।
सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए। कोतवाली कायमगंज के गांव भटासा के रहने वाले रामौतार के घर रात में देवी जागरण हुआ था। सुबह घर में ही खाना बन रहा था। गैस रिसाव से कमरे और घर में गैस भर गई। अचानक इसमें आग लगने से वहां मौजूद 16 लोग झुलस गए। 62 वर्षीय शांति देवी पत्नी ब्रजभान और चार वर्षीय आर्यान्श पुत्र मुकेश की मौके पर ही मौत हो गई। झुलसे लोगों को सीएचसी लाया गया। जहां से लोहिया अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। लोहिया अस्पताल में हालत गंभीर होने पर अनुज और अमरावती को हायर सेंटर रेफर कर दिया गया।
अतीक का भरोसेमंद नौकर गिरफ्तार
उमेश पाल हत्याकांड, पुलिस का दावा- जल्द शूटरों तक पहुंचेंगे
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
प्रयागराज । उमेश पाल हत्याकांड में शामिल शूटरों की क्रेटा कार में राइफल रखने वाले माफिया अतीक अहमद के भरोसेमंद नौकर को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया है। उसके पास से तमंचा, दो कारतूस भी बरामद हुआ। पूछताछ में उसने कई राज कबूले हैं। हत्या के बाद अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन ने उसे 50 हजार रुपये भी दिए थे, जिसे उसने शूटर अरमान के भाई तक पहुंचाया था।
अतीक के इस भरोसेमंद नौकर से मिली जानकारी के आधार पर जांच एजेंसियां शूटरों तक पहुंचने की कोशिश में जुटी हैं। धूमनगंज पुलिस को मुखबिर के जरिए सूचना मिली कि उमेश पाल हत्याकांड में शामिल अतीक का नौकर शेरवानी मोड़ से होकर सूबेदारगंज की तरफ जा रहा है। जानकारी मिलने के बाद प्रभारी निरीक्षक अनिल कुमार सिंह ने उच्चाधिकारियों को जानकारी दी और फोर्स के साथ घेराबंदी कर ली। चौफटका पुल से आगे शेरवानी मोड़ के पास सूबेदारगंज रोड पर डबल खंभा के पास तलाशी ली जाने लगी। उसी दौरान सामने से पैदल जा रहे व्यक्ति को दौड़ाकर पकड़ लिया गया।
पूछताछ में उसने अपना नाम सारूप उर्फ शारूख पुत्र शमशेर निवासी पंडीरी , थाना करारी, जिला कौशाम्बी बताया। वह चकिया में अतीक के श्वसुर से मिलकर वापस जा रहा था। तलाशी के दौरान उसके पास से 315 बोर का तमंचा और दो कारतूस मिला। इसके अलावा एक मोबाइल, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, आधार कार्ड भी उसके पास पाया गया। पूछताछ के दौरान उसके अतीक का नौकर होने की बात स्वीकार की।
50 हजार रुपये की रकम शाइस्ता परवीन ने दी थी
इनके अलावा एक मोटरसाइकिल से गुड्डू मुस्लिम और अरमान थे और दूसरी मोटरसाइकिल से विजय चौधरी व गुलाम हसन निकले थे। उमेश की हत्या के लिए सभी सात शूटरों को रवाना करते समय शाइस्ता परवीन, राकेश और अन्य नौकर भी वहां मौजूद थे। शारूख ने एसटीएफ को बताया कि हत्याकांड को अंजाम देने के बाद असद के कहने पर शाइस्ता परवीन ने उसे 50 हजार रुपये दिए थे। उस रुपये को असद के कहने पर उसने शूटर अरमान के भाई को ले जाकर दिया था।
अमृतपाल फरार, मेरठ पहुंची पंजाब पुलिस
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मेरठ। 15 दिन से ज्यादा होगए पर पुलिस को अमृतपाल का पता नही चल पार रहा। कभी नेपाल के रास्ते कनाडा भाग जाने की चर्चा के बाद पंजाब माहौल खराब करने के आरोपी को अब पुलिस यूपी के मेरठ में तलाश रही है।
पंजाब पुलिस के मोस्ट वांटेड अमृतपाल के मेरठ में आने की चर्चा ने पुलिस और खुफिया विभाग की नींद उड़ा दी है। पंजाब पुलिस भी मेरठ में डेरा डाले हुई है। हालांकि, पुलिस अधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि नहीं कर रही है, लेकिन पल्लवपुरम निवासी टेंपो चालक का दावा है कि पंजाब पुलिस ने उसे बुलाकर अमृतपाल के बारे में पूछताछ की है। चर्चा है कि अमृतपाल बेगमपुल से दौराला जाने वाले टेंपो में बैठा कर गया था। पल्ल्वपुरम निवासी टेंपो चालक का कहना है कि पहले उसे फोन कर पंजाब पुलिस ने बुलाया था, लेकिन वह नहीं गया। इसके बाद पंजाब पुलिस उसके घर पहुंच गई। पुलिस ने उसे अमृतपाल का फोटो दिखाकर उससे उसके बारे में पूछताछ की। उसने कोई जानकारी होने से इनकार किया तो पुलिस ने उससे कहा कि अमृतपाल बेगमपुल से उसके टेंपो में बैठा था। पुलिस बार-बार उससे अमृतपाल को कहां उतारा इस बारे में पूछती रही। टेंपो चालक का कहना है कि मुझे इस बारे में कुछ पता नहीं है तो मैं उन्हें क्या बताता। अमृतपाल के मेरठ आने की चर्चा पर स्थानीय पुलिस और खुफिया विभाग भी चौकन्ना हो गया है।
36 साल बाद भी याद है वो भयावह मंजर…
मलियाना नरसंहार : 93 आरोपियों में से 39 को बरी करने का आदेश
मेरठ कोर्ट के फैसले को ऊपरी अदालत में देंगे चुनौती
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मेरठ। उत्तर प्रदेश के मेरठ में 36 साल पहले 23 मई 1987 को जो कुछ हुआ, उसे याद कर आज भी लोग दहल जाते हैं। छोटे से विवाद के बाद 72 लोगों की हत्या कर दी गई। मरने वाले सभी मुस्लिम समुदाय से थे। मेरठ के बाहरी इलाके में हुए इस भीषण नरसंहार का मामला तब पूरे देश में गरमाया था। अब इस मामले में आरोपी बनाए गए 93 आरोपियों में से 39 को बरी करने का आदेश जारी किया गया है। इस आदेश ने मलियाना नरसंहार को लेकर कानून का दरवाजा खटखटाने वालों को निराश किया है।
कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में इन 39 आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया है। वहीं, इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने वाले 63 वर्षीय मोहम्मद याकूब के चेहरे की निराशा पूरी स्थिति को बयां करती है। वे सवाल करते हैं कि क्या मलियाना नरसंहार हमारी कल्पना थी? क्या 72 लोगों की मौत नहीं हुई?
हालांकि, वे कोर्ट के फैसले का सम्मान करने की बात दोहराते हैं। साथ ही, इस मामले में पीडि़तों का कहना है कि मेरठ जिला कोर्ट के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दी जाएगी। यह नरसंहार हुआ था। इसके दोषियों पर कार्रवाई होनी ही चाहिए।
क्या है मामला?
मलियाना नरसंहार अभी भी लोगों की जेहन में ताजा है। स्थानीय लोग बताते हैं कि नरसंहार से पहले कई सप्ताह से इलाके में तनाव चल रहा था। 14 अप्रैल 1987 की घटना को याद करते हुए लोग बताते हैं कि नौचंदी में मेला लगा हुआ था। इसी दौरान पटाखा फूटा और एक सिपाही को जा लगा। इसके बाद सिपाही ने गोली चला दी। गोलीबारी में दो मुस्लिमों की मौत हो गई। यहीं से तनाव बढऩा शुरू हुआ। विवाद तब और बढ़ा जब हाशिमपुरा चौराहे पर एक धार्मिक समारोह में फिल्मी गाने बजाए जा रहे थे। इस दौरान विवाद हुआ। विवाद इतना बड़ा रूप ले लिया कि हिंदू और मुस्लिम आपस में भिड़ गए। दो समूहों में झड़प हुई। 23 मई 1987 को यह झड़प लूटपाट, आगजनी और दंगा में बदल गई। इस दंगे में 72 मुस्लिमों की मौत हुई।
ऐसे चला पूरा मामला
दंगा और 72 मुस्लिमों की मौत का मुद्दा गरमा गया। घटना में लोगों की मौत मामले पर तत्कालीन यूपी सीएम वीर बहादुर सिंह ने 27 मई 1987 को न्यायिक जांच के आदेश दिए। 29 मई को यूपी सरकार ने कथित तौर पर फायरिंग का आदेश देने वाले पीएसी कमांडेंट आरडी त्रिपाठी को सस्पेंड करने का आदेश दिया। इसके बाद से जांच और कोर्ट में मामला चलता रहा। मलियाना नरसंहार से एक दिन पहले 22 मई 1987 को एक अलग घटना घटी थी। मेरठ के हाशिमपुरा क्षेत्र से पीएसी के कर्मियों ने 42 मुसलमानों को घेर लिया। इन लोगों को गाजियाबाद के मुरादनगर स्थित ऊपरी गंगा नहर में ले जाया गया। आरोप है कि इन लोगों को गोली मारकर नहर में फेंक दिया। हाशिमपुरा नरसंहार में वर्ष 2018 में दिल्ली की एक कोर्ट ने फैसला सुनाया था, जिसमें पीएसी के 16 पूर्व कर्मियों को दोषी ठहराया गया। 19 अप्रैल 2021 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में दायर पीआईएल पर यूपी सरकार से सवाल किया। दरअसल, सीनियर पत्रकार कुर्बान अली और प्रदेश के पूर्व डीजीपी विभूति नारायण राय की ओर से मामले की धीमी कोर्ट प्रक्रिया को लेकर पीआईएल दाखिल किया गया था। 1 अप्रैल 2023 को मेरठ जिला कोर्ट ने इस मामले में 39 आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया।