जांच परखकर ही उम्मीदवार उतारने का मन बना रही बसपा

  • पहले चरण में ३ सीटों पर मिली थी जीत
  • बंगाल-मप्र में प्रत्याशी घोषित, यूपी में बढ़ा इंतजार

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। बसपा की प्रमुख मायावती अपनी पार्टी को विस्तार देने में लगी हुई है। हाल ही में उन्होंने मध्यप्रदेश के प्रत्याशी घोषित किए थे अब उन्होंने बंगाल के भी उम्मीदवार घोषित किए। हालांकि वह यूपी अब तक सूची पूरी तरह से फाइनल नहीं कर पाईं हैं। सूत्रों की माने तो बसपा सुप्रीमो बहुत खोजबीन व ठोंक पीटकर ही उम्मीदवार उतारने का मना बना रही हैं। बसपा ने मध्य प्रदेश के बाद पश्चिम बंगाल में भी अपने अधिकृत प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है।
पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती ने 22 मार्च को ही अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी थी। लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के जोनल कोऑर्डिनेटर जिलों में प्रत्याशियों का एलान कर रहे हैं। बसपा सुप्रीमो से प्रत्याशियों की मुलाकात कराने का भी सिलसिला जारी है। पार्टी ने एकमात्र सांसद गिरीश चंद्र को टिकट दिया, वह भी नगीना के बजाय बुलंदशहर से। वहीं, शुक्रवार को मोहनलालगंज सीट से राजेश कुमार जाटव को टिकट दिया गया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार अब तक करीब 24 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का एलान हो चुका है। सबसे ज्यादा टिकट मुस्लिम और ब्राह्मण प्रत्याशियों को दिए गए हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में पहले चरण की तीन सीटों पर बसपा ने जीत हासिल की थी। सहारनपुर में हाजी फजलुर्रहमान, बिजनौर में मलूक नागर, नगीना में गिरीश चंद्र ने फतह हासिल की थी। इनमें केवल गिरीश चंद्र को टिकट दिया गया है। बाकी सात सांसदों में से पांच बगावत कर चुके हैं। बता दें कि गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी सपा, अंबेडकरनगर के सांसद रितेश पांडेय भाजपा, लालगंज की सांसद संगीता आजाद भाजपा, अमरोहा के सांसद दानिश अली कांग्रेस में जा चुके हैं।

अफजाल, रितेश और बागियों पर भी नजर

पार्टी सूत्रों के अनुसार बची हुई सीटों पर प्रत्याशियों के चयन में अन्य दलों के बागियों को भी तवज्जो दी जा सकती है। दरअसल भाजपा ने अभी कई सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं, जबकि कांग्रेस की भी कोई सूची जारी नहीं हुई है। ऐसे में जिन नेताओं को उनके दल टिकट नहीं देंगे, उनको बसपा में आसानी से आसरा मिल सकता है। बसपा के टिकट पर चुनाव लडऩे से उनका राजनीतिक अस्तित्व बचा रहेगा, साथ ही वह अन्य दलों के प्रत्याशियों के लिए मुश्किलें भी खड़ी कर सकते हैं।

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