सर्वदलीय बैठक में उठायेंगे सीजफायर मामला: खरगे

ट्रंप के दावे पर बोले कांग्रेस अध्यक्ष, कहा- गोपनीय बातें बाहर नहीं उठा सकते

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच शांति समझौते का श्रेय लेने पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि यह मामला गोपनीय है और इस पर सर्वदलीय बैठक में चर्चा की जाएगी।
खडग़े ने संवाददाताओं से कहा कि यह गोपनीय मामला है। हम सर्वदलीय बैठक में हर बात पर चर्चा करेंगे। इस बारे में यहां बात करना उचित नहीं है। भाकपा नेता डी राजा ने कहा कि प्रधानमंत्री को विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देना चाहिए और इसके लिए संसद का विशेष सत्र बुलाना जरूरी है। वहीं भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुता समाप्त करने की समझ की ओर बढऩे के बीच, द्रविड़ मुनेत्र कडग़म (डीएमके) नेता टीकेएस एलंगोवन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मध्यस्थता के कथित प्रयासों का स्वागत करते हुए इसे एक अच्छा कदम कहा। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत सरकार को ट्रम्प के साथ हुई चर्चाओं की प्रकृति को स्पष्ट करना चाहिए, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार रात अपने संबोधन में इसका उल्लेख नहीं किया।

विपक्ष के उठाए सवालों का जवाब दें पीएम : डी.राजा

डी राजा ने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एकजुट है। लेकिन पीएम को कुछ प्रासंगिक सवालों के जवाब देने चाहिए थे। पहलगाम आतंकी हमला कैसे हुआ? हमारी ओर से क्या चूक हुई? भारत और पाकिस्तान के बीच समझ कैसे बनी और अमेरिका की क्या भूमिका थी? सच्चाई क्या है? आगे क्या होगा, कोई नहीं जानता। हमारी पार्टी संसद के विशेष सत्र की मांग कर रही है, पीएम को सरकार की स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

आतंकवादियों का सफाया किया जाना चाहिए : एलनगोवन

डीएमके नेता एलनगोवन ने कहा, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दावा है कि उन्होंने युद्ध रोकने के लिए दोनों सरकारों से चर्चा की थी और प्रधानमंत्री ने इस बारे में कुछ नहीं कहा। ट्रंप ने यह बयान क्यों दिया? क्या उन्होंने भारत सरकार से बात की? अगर उन्होंने चर्चा की है, तो उन्हें कहना चाहिए। युद्ध रोकना ट्रंप का एक अच्छा कदम है। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ अपनी पार्टी के रुख को दोहराते हुए कहा कि इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है और आतंकवादियों का सफाया किया जाना चाहिए। हालांकि, डीएमके नेता ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच हुई चर्चा का आधार सामने आना चाहिए।

बीजेपी-आरएसएस की मानसिकता महिला विरोधी

बीजेपी-आरएसएस की मानसिकता महिला विरोधी रही है। पहले पहलगाम में शहीद नौसेना ऑफिसर की पत्नी को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया, फिर विदेश सचिव विक्रम मिस्री की बेटी को तंग किया और अब भाजपा के मंत्री हमारी वीरांगना सोफिया क़ुरैशी के लिए ऐसी अभद्र टिप्पणी कर रहे हैं। उन्होंने आगे लिखा कि मोदी जी को तुरंत ऐसे मंत्री को बर्खास्त कर देना चाहिए। भाजपा की मध्य प्रदेश सरकार के एक मंत्री ने हमारी वीर बेटी कर्नल सोफिया क़ुरैशी के बारे में बेहद अपमानजनक, शर्मनाक और ओछी टिप्पणी की है।

 

न्यायमूर्ति बी आर गवई भारत के 52वें प्रधान न्यायाधीश बने

राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ सेवानि. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की जगह लेंगे
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को देश के 52वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली। न्यायमूर्ति गवई को राष्ट्रपति भवन में एक संक्षिप्त समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ दिलाई। उन्होंने हिंदी में शपथ ली। उन्होंने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की जगह ली है जो 65 वर्ष की आयु होने पर मंगलवार को सेवानिवृत्त हुए।
न्यायमूर्ति गवई को 24 मई, 2019 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। उनका कार्यकाल छह महीने से अधिक समय का होगा और वह 23 नवंबर तक पद पर रहेंगे। 24 नवंबर, 1960 को अमरावती में जन्मे, वे 16 मार्च, 1985 को बार में शामिल हुए और बॉम्बे हाई कोर्ट और बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में अपनी प्रैक्टिस शुरू की। उन्हें 17 जनवरी, 2000 को नागपुर बेंच के लिए सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त किया गया था। उन्हें 14 नवंबर, 2003 को उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और नवंबर 2005 में बॉम्बे उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश बने।

न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई का संक्षिप्त परिचय

न्यायमूर्ति गवई, प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ आरएस गवई के पुत्र हैं, जो बिहार और केरल के राज्यपाल थे। वे एक ऐसे परिवार से हैं जो बीआर अंबेडकर के आदर्शों को बढ़ावा देने में गहराई से लगे हुए हैं। उनके पिता एक प्रमुख अंबेडकरवादी और पूर्व सांसद थे। महाराष्ट्र के एक गांव में जन्मे न्यायमूर्ति गवई ने कहा है कि उन्हें अभी भी साल में तीन बार अपने गांव जाना पसंद है, खासकर अपने दिवंगत पिता की जयंती और पुण्यतिथि पर और अपने गांव में होने वाले वार्षिक मेले के दौरान। पिछले छह वर्षों में, वे संवैधानिक और प्रशासनिक कानून, नागरिक कानून, आपराधिक कानून, वाणिज्यिक विवाद, मध्यस्थता कानून, बिजली कानून, शिक्षा मामले, पर्यावरण कानून आदि सहित विभिन्न विषयों से संबंधित मामलों से निपटने वाली लगभग 700 पीठों का हिस्सा रहे हैं। न्यायमूर्ति गवई 23 नवंबर, 2025 को सेवानिवृत्त होंगे।

जस्टिस बीआर गवई ने बुलडोजर पर दिया था अहम फैसला

जस्टिस बीआर गवई के मुख्य फैसलों की बात करें तो उनमें बुलडोजर जस्टिस के खिलाफ तोडफ़ोड़, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखना, डिमोनेटाइजेशन को बरकरार रखना, अनुसूचित जाति कोटे में उप-वर्गीकरण को बरकरार रखना जैसे कई महत्वपूर्ण फैसले शामिल हैं। बुलडोजर जस्टिस पर फैसला सुनाते समय उन्होंने आश्रय के अधिकार के महत्व पर जोर दिया था। मनमाने ढंग से तोडफ़ोड़ की निंदा करते हुए उन्होंने इस तरह की कार्रवाईको प्राकृतिक न्याय और कानून के शासन के सिद्धांतों के खिलाफ बताया था। अपने फैसले में उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि कार्यपालिका, जज, जूरी और जल्लाद की भूमिका नहीं निभा सकती है।

 

चीन ने फिर बदले अरुणाचल प्रदेश में कई स्थानों के नाम

भारत ने दिया करारा जवाब- अरुणाचल भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। विदेश मंत्रालय ने बुधवार को अरुणाचल प्रदेश राज्य में स्थानों का नाम बदलने के चीन के निरंतर प्रयासों को दृढ़ता से खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा, हमने देखा है कि चीन भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलने के अपने व्यर्थ और बेतुके प्रयासों में लगा हुआ बयान में आगे कहा गया है, हमारे सैद्धांतिक रुख के अनुरूप, हम इस तरह के प्रयासों को स्पष्ट रूप से अस्वीकार करते हैं।
रचनात्मक नामकरण से इस निर्विवाद वास्तविकता में कोई बदलाव नहीं आएगा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग था, है और हमेशा रहेगा। भारत ने अरुणाचल प्रदेश में कुछ स्थानों के नाम बदलने की चीन की कोशिशों को सिरे से खारिज करते हुए बुधवार को कहा कि इस तरह के ‘‘बेतुके’’ प्रयासों से यह ‘‘निर्विवाद’’ सच्चाई नहीं बदलेगी कि यह राज्य ‘‘भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा।’’ भारत ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों के लिए चीन द्वारा उसके नामों की घोषणा किए जाने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए यह टिप्पणी की है। चीन दावा करता है कि अरुणाचल प्रदेश तिब्बत का दक्षिणी भाग है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘‘हमने देखा है कि चीन ने भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलने के व्यर्थ और बेतुके प्रयास किए हैं।उन्होंने कहा, ‘‘हम इस तरह के प्रयासों को अपने सैद्धांतिक रुख के अनुरूप स्पष्ट रूप से अस्वीकार करते हैं।’’ जायसवाल ने इस मुद्दे पर मीडिया के सवाल का जवाब देते हुए ये टिप्पणियां कीं। उन्होंने कहा, ‘‘रचनात्मक नाम रखने से यह निर्विवाद वास्तविकता नहीं बदलेगी कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न एवं अविभाज्य अंग था, है और हमेशा रहेगा।
उन्होंने कहा कि चीन भारत और पाकिस्तान के साथ संवाद बनाए रखने और दोनों देशों के बीच पूर्ण और स्थायी युद्ध विराम को साकार करने और क्षेत्र को शांतिपूर्ण और स्थिर रखने में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार है। चीन ने सोमवार को भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी समझ का स्वागत करते हुए कहा कि यह दोनों देशों के मौलिक और दीर्घकालिक हित में है और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए अनुकूल है। बीजिंग में भारतीय दूतावास ने पहले सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स को चेतावनी दी थी कि वह सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से पहले संदेशों की पुष्टि कर ले।

राष्ट्रपति से मिले तीनों सेना प्रमुख

ऑपरेशन सिंदूर के बारे में दी जानकारी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और उन्हें ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी दी, जिसे भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में अंजाम दिया था।
राष्ट्रपति ने दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में सेना के शीर्ष अधिकारियों के साथ अपनी मुलाकात की तस्वीर साझा की। राष्टï्रपति भवन ने तस्वीर के कैप्शन में लिखा कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने राष्टï्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और उन्हें ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी दी।

 

पाक ने भारत को लौटाया बीएसएफ जवान

वाघा-अटारी बॉर्डर से हुई वतन वापसी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान के तनाव के बीच बीएसएफ जवान पीएके शॉ की वतन वापसी हो गई है। पाकिस्तान ने उन्हें भारत को लौटा दिया है। पीके शॉ 23 अप्रैल को गलती से पाकिस्तान की सीमा में चले गए थे। इसके बाद उन्हें पाकिस्तानी सेना ने गिरफ्तार कर लिया था। पीके शॉ को 20 दिनों के बाद रिहा किया गया है।
बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स ने पीके शॉ की वापसी को लेकर प्रेस रिलीज जारी की है। बीएसएफ ने बताया, आज बीएसएफ के जवान कॉन्स्टेबल पूर्णम कुमार शॉ अटारी-वाघा बॉर्डर से भारत आ गए हैं। पूर्णम 23 अप्रैल 2025 को ड्यूटी के दौरान गलती से पाकिस्तानी सीमा में चले गए थे। पीके शॉ उस वक्त पाक सीमा में जा पहुंचे जब दोनों ही देशों के बीच के हालात बिगडऩे लगे। भारत के ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान को काफी नुकसान हुआ, हालांकि इसका पीके शॉ की रिहाई पर असर नहीं पड़ा।

पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं बीएसएफ जवान पीके शॉ

बीएसएफ जवान पीके शॉ पंजाब के फिरोजपुर बॉर्डर से पाकिस्तान की सरहद में चले गए थे। वे मूल रूप से पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। पीके शॉ की पत्नी रजनी साहू इस मामले को लेकर काफी परेशान चल रही थीं। वे पति की रिहाई के लिए चंडीगढ़ पहुंच गई थीं। उन्होंने यहां बीएसएफ के अधिकारियों से मुलाकात की थी।

जम्मू-कश्मीर के शोपियां में हथियार बरामद

श्रीनगर। भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद भी सुरक्षाबलों का ऑपरेशन लगातार जारी है। जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले के केलर में बुधवार को भारी मात्रा में हथियारों का जखीरा बरामद हुआ है। यहां 13 मई को सुरक्षाबलों के साथ एनकाउंटर में लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकवादी मारे गए थे।शोपियां जिले के केलर स्थित शुकरू फॉरेस्ट एरिया में मंगलवार को शाम 4.30 बजे मुठभेड़ खत्म हुई थी। इसे ऑपरेशन को केलर नाम दिया गया था।

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