संविधान बचाने को एक साथ आएं: डी राजा

  • नेता पर बाद में चर्चा की जाएगी
  • भाकपा नेता बोले- भाजपा को उखाड़ फेंकना होगा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
रांची। भाकपा नेता डी राजा का मानना है कि लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को हराने के लिए सभी सेक्युलर पार्टियां एक साथ आईं हैं। अपने दो दिन के झारखंड दौरे पर राजा ने कहा कि देश की हालत गंभीर और परेशान करने वाली है। लोकतंत्र के खातिर भाजपा को उखाड़ फेंकना होगा। उन्होंने कहा कि समान विचारधारा वाली पार्टियों ने भाजपा को हराने के लिए एक साथ आना होगा। यह सत्ता पाने के लिए नहीं, बल्कि देश के संविधान, लोकतंत्र और उसके भविष्य को बचाने के लिए है।
उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के साथ आने के बाद उनका नेता कौन होगा? इस पर बाद में चर्चा की जाएगी। नेता किसी को भी चुना जाए, हमें कोई आपत्ति नहीं होगी। सभी दल चर्चा करने के बाद ही निर्णय लेंगे। यूनाइटेड फ्रंट के गठन के समय हमने इसका अनुभव किया था और जीत के बाद नेता के नाम पर सवाल उठे थे। हालांकि, एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत चर्चा की गई। कोई दिक्कत नहीं हुई थी। सब कुछ ठीक चल रहा था।

आगे बढ़ाया जा रहा है आरएसएस का एजेंडा

भाकपा नेता डी राजा ने आरएसएस पर आरोप लगाया कि संघ भाजपा के सहारे अपना एजेंडा आगे बढ़ा रहा है। इस वजह से देश में दलितों, अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं। भाकपा नेता डी राजा ने कहा कि भाजपा जब से सत्ता में आई है, तब से आरएसएस बहुत ज्यादा आक्रमक हो गई है। वह भाजपा पर अपने एजेंडे को मानने के लिए दबाव बनाती है। दलितों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के ऊपर बढ़ रहे हिंसा का यही कारण है। इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण किया जा रहा है। भाकपा नेता डी राजा ने कहा कि विपक्ष को संसद के पिछले सत्र में अदाणी का मुद्दा उठाने नहीं दिया गया। यह लांकतंत्र के लिए ठीक नहीं था।

विपक्षी एकता की बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे रालोद प्रमुख जयंत चौधरी

लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर 23 जून को पटना में होने वाली बैठक में राट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी हिस्सा नहीं लेंगे। हालांकि, उन्होंने पत्र लिखकर समर्थन जताया है। उन्होंने बताया कि पूर्व निर्धारित पारिवारिक कार्यक्रम के चलते वह बैठक में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। उन्होंने पत्र में लिखा है कि आज देश में अधिनायकवादी और सांप्रदायिक शक्तियां लोकतंत्र व सामाजिक समरता के लिए खतरा पैदा कर रही हैं ऐसे में विपक्षी दलों का एकजुट होना समय की मांग है। देश की अहम समस्याओं और चुनौतियों पर संवाद कर समूचा विपक्ष जनता के सामने एक दूरगामी, व्यावहारिक योजना प्रस्तुत कर सकता है। ऐसे में हम साथ मिलकर युवा, महिलाएं, किसान और वंचित समाज की आकांक्षाओं और विश्वास के साथ देश में सार्थक परिवर्तन ला सकते हैं। पटना में हो रही विपक्षी दलों की बैठक पर पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं। बैठक में कई राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में जो भी दल प्रभावी है सभी मिलकर उसका साथ दें। वहीं, यूपी में सपा की गठबंधन साथी रालोद का रुख प्रदेश में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लडऩे पर है।

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