जालौर में हुई कार्रवाई को लेकर बुरी फंसी भाजपा कांग्रेस ने कर दिया बेनकाब!
4PM न्यूज़ नेटवर्क: इन दिनों लोकसभा चुनाव को लेकर जमकर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है नेता लगातार लोगों के बीच पहुंच रहे हैं और वोटरों को साधने के लिए तरह-तरह की योजनाओं का ऐलान भी किया जा रहा है। वहीं जहां चुनाव संपन्न हो चुका है वहां के नेता अन्य राज्यों में पहुंच कर अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए बड़े-बड़े ऐलान भी किए जा रहे हैं। ऐसे में अगर हम बात करें राजस्थान की तो यहां की कुल 25 सीटों पर चुनाव संपन्न हो चुके हैं और अब सभी दल के नेता अन्य राज्यों में पहुंच कर अपने खेमे को मजबूत करने में लगे हुए हैं। प्रदेश के सभी नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है, फिर चाहे वो किसी भी दल के हों सभी नेताओं को अपना कुनबा मजबूत करने के लिए प्रयास कर रहे हैं।
बता दें कि इन दिनों राजस्थान में भाजपा की सरकार है और भाजपा की सरकार आने से वहाँ की सरकार कैसे चल रही है ये बात किसी से छुपी तो है नहीं जनता में भारी आक्रोश है लोगों का भला न सोचते हुए भाजपा राज में बैठे नेता मंत्री सिर्फ अपनी जेबें भरने की सोच रहे हैं। ऐसे में इन दिनों एक खबर जमकर चल रही है। दरअसल राजस्थान के जालोर के ओडवाड़ा गांव में सुबह स्थानीय जिला प्रशासन मय पुलिस जाप्ते के हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण हटाने पहुंचा था। यह देखकर ग्रामीण एकजुट होकर इस कारवाई का विरोध करने लगे। इसे देखकर पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ गया। इससे पूरे गांव का माहौल बिगड़ गया और स्थिति अनियंत्रित हो गई। राजस्थान का माहौल पूरी तरह से खराब हो गया। राजस्थान का सियासी माहौल भी बिगड़ता चला गया। राजस्थान में बैठी भाजपा सरकार को अब कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने घेरना शुरू कर दिया। यहां तक कि सरकार की विचारधारा के खिलाफ भी आवाजें उठने लगी हैं। इस मामले को बढ़ता देख राजस्थान के सियासी गलियारों में हलचल बढ़ गई। जिसके बाद विपक्षी दल कांग्रेस ने भजनलाल सरकार के विरोध में जमकर हमला किया। गर्मी के इस मौसम में अचानक राजनीति में उबाल आ गया। राजस्थान कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कहा आहोर, जालोर के ओडवाड़ा में अतिक्रमण हटाने के नाम पर 400 से अधिक घरों को तोड़ने के लिए प्रशासन द्वारा बल प्रयोग करना उचित नहीं है। यह गरीब परिवारों से जुड़ा मामला है।
अशोक गहलोत ने आगे कहा प्रशासन को इन परिवारों को उचित समय देना चाहिए था। जिससे वो उसका कानूनी समाधान निकाल पाते। इस विषय को राज्य सरकार एवं प्रशासन मानवीय आधार पर देखे। इस संबंध में मेरी जालोर कलेक्टर से भी बात हुई है। हम इन पीड़ित परिवारों की कानूनी सहायता कर इनको न्याय सुनिश्चित करवाएंगे। अशोक गहलोत ने कहा पूर्व में भी ऐसे कई मामले हुए हैं। जिनमें उच्च या उच्चतम न्यायालयों का फैसला पीड़ित परिवारों के पक्ष में आया था। सीकर के पटवारी का बास गांव में ऐसा प्रकरण हुआ था। जिसमें हाईकोर्ट के एक आदेश में घर तोड़ने का फैसला हुआ परन्तु दूसरे आदेश में इसे गलत माना और पीड़ित परिवारों को हमारी सरकार के समय पट्टे दिए गए। प्रशासन को सभी कानूनी रास्ते पूरे होने का इंतजार करना चाहिए एवं इसके बाद कोई कार्रवाई करनी चाहिए। वहीं इस मामले को लेकर सचिन पायलट ने एक्स पर लिखा, ‘जालोर जिले के ओडवाड़ा गांव में घरों को तोड़ने के आदेश के विरुद्ध संघर्ष कर रहे लोगों के साथ पुलिस द्वारा दुर्व्यवहार किया गया, उसकी मैं घोर निंदा करता हूं. ये लोग अपना घर बचाने के लिए आवाज उठा रहे हैं, जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं. सरकार को इनके अधिकारों के लिये न्यायपालिका के माध्यम से तुरंत राहत प्रदान करने के लिये कार्यवाही करनी चाहिये थी. पुलिस एवं प्रशासन से आग्रह है कि इस मुद्दे को शांति एवं बातचीत द्वारा सुलझाया जाना चाहिए.’ पायलट ने आगे लिखा कि ये लोग अपना घर बचाने के लिए आवाज उठा रहे हैं, जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं. सरकार को इनके अधिकारों के लिये न्यायपालिका के माध्यम से तुरंत राहत प्रदान करने के लिये कार्यवाही करनी चाहिये थी. पुलिस एवं प्रशासन से आग्रह है कि इस मुद्दे को शांति एवं बातचीत द्वारा सुलझाया जाना चाहिए.
दूसरी ओर ओडवाड़ा अतिक्रमण मामले में जालोर लोकसभा सीट के कांग्रेस प्रत्याशी और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत ने सु्प्रीम कोर्ट में अपील करने की बात कही है. वैभव गहलोत ने लिखा- जालोर जिला कलेक्टर से वस्तुस्थिति की जानकारी लेने के बाद ओडवाड़ा में हाईकोर्ट के आदेश पर हो रही कार्रवाई के संबंध में मैंने वकील से विधिक राय ली है. उन्होंने बताया कि इस मामले में हाईकोर्ट में 20 मई को अगली सुनवाई होनी है जिससे पहले प्रशासन को कार्रवाई कर अतिक्रमण हटाने की जानकारी हाईकोर्ट को देनी होगी. कांग्रेस नेता ने आगे लिखा कि इसके संबंध में मैंने सुप्रीम कोर्ट के वकील से चर्चा की है एवं पीड़ित परिवारों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में इस कार्रवाई के विरुद्ध सुनवाई के लिए प्रार्थना पत्र देना तय किया है. हमें आशा है कि सुप्रीम कोर्ट से पीड़ित परिवारों के घर तोड़ने पर जल्द से जल्द स्टे मिलेगा और इन्हें राहत मिल सकेगी. मैं इस संबंध में पीड़ित परिवारों के साथ हूं एवं मेरा पूरा प्रयास है कि उनके साथ न्याय सुनिश्चित हो. वहीं दूसरी तरफ भाजपा भी इस मामले पर भी कांग्रेस पर हमला कर रही है। भाजपा के प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने X पर सचिन पायलट को संबोधित कर लिखा, “ओडवाड़ा में सरकारी जमीन पर से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई हुई है. वह माननीय हाईकोर्ट के निर्णय से हुई है. जब ये मामला कोर्ट में गया और इस पर बहस हुई, तब राजस्थान में आपकी पार्टी की सरकार थी. उस समय आपकी सरकार क्या कर रही थी. भाजपा सरकार में कोर्ट ने केवल फैसला सुनाया है. कृपया संवेदनशील मामले पर भ्रम नहीं फैलाएं.”
कुछ साल पहले दो भाइयों के बीच जमीनी बंटवारे को लेकर विवाद हुआ था, जो कि कोर्ट तक पहुंच गया. कोर्ट ने उन जमीनों की जांच करवाई तो गांव के 440 घर भी नप गए. ये सभी घर भी ओरण भूमि में पाए गए. इसके बाद राजस्थान हाई कोर्ट ने 7 मई को ओरण में बने 440 घरों को तोड़ने का आदेश दे दिया. आदेश आते ही प्रशासन ने मकानों को चिह्नित करके क्रॉस का निशान लगाने का काम पूरा किया. इसके साथ ही तहसीलदार ने 14 मई तक घरों को खाली करने का नोटिस जारी कर दिया. नोटिस में कहा गया था कि यदि 14 तक कोई मकान खाली नहीं करता है तो 16 मई को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करते हुए उसका मकान ध्वस्त कर दिया जाएगा और सामान जब्त कर लिया जाएगा. 12 हजार की आबादी वाले इस गांव में करीब एक हजार मकान बने हुए हैं, जिनमें से 440 घरों को तोड़ने की आदेश जारी किया गया है. हाई कोर्ट के आदेश के बाद 20 लोग ऐसे हैं जिन्हें मकान पर कार्रवाई से पहले ही स्टे ले लिया है. ऐसे में उनके मकान पर प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है. गौरतलब है कि जिस तरह का माहौल आज बनाया गया है इससे एक बात तो तय है कि ये मामला लम्बा चलेगा और सभी राजनीतिक दल इस मामले को लेकर एक दूसरे पर घिरेंगे। लेकिन चुनाव के दौरान इतनी बड़ी कार्यवाई होना भाजपा के लिए काफी नुकसान पहुंचा सकती है। अब देखना ये होगा कि ये कार्यवाई कब तक चलती है।
वहीं आपको बता दें कि राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं की अगर हम बात करें तो इन्हे अन्य राज्यों में बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। राजस्थान में कांग्रेस
नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी के तहत अन्य राज्यों में भेजा गया है जिससे कि पार्टी को और मजबूती मिल सके और इस बार के चुनाव में पार्टी बेहतर प्रदर्शन कर सके। बता दें कि सचिन पायलट और पूर्व सीएम अशोक गहलोत अब उत्तर प्रदेश में जुटे हुए हैं। उत्तर प्रदेश की अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। दोनों ही सीटों पर 20 मई को मतदान होने जा रहा है। कांग्रेस ने अमेठी में जहां राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत को जिम्मेदारी दी है। जबकि रायबरेली में राहुल गांधी के लिए पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भी मोर्चा संभाल लिया है। अमेठी सीट के ऑब्जर्वर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं। गहलोत ने राजस्थान की जालोर-सिरोही लोकसभा सीट पर सचिन पायलट को प्रचार के लिए नहीं बुलाया था। इस सीट से गहलोत के बेटे वैभव चुनाव लड़ रहे हैं।
दरअसल राजस्थान के इन दोनों नेताओं के बीच लंबे समय से शीत युद्ध जारी है। लोकसभा चुनाव के दौरान जालोर सीट पर प्रचार के लिए बुलाने या नहीं आने को लेकर दोनों के बीच वार पलटवार का दौर चल रहा है। लेकिन अब ये दोनों नेता यूपी में अगल बगल की सीट (अमेठी-रायबरेली) पर चुनाव प्रचार करते नजर आ रहे हैं। दरअसल, सचिन पायलट का रायबरेली सीट पर राहुल गांधी के लिए चुनाव प्रचार करना बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे पहले सचिन पायलट वायनाड की सीट पर भी राहुल गांधी के लिए चुनावी जनसभाएं कर चुके हैं। राहुल गांधी ने एक बार फिर से उन्हें रायबरेली का जिम्मा सौंप कर उन पर अपना भरोसा जताया है। इन दोनों नेताओं के अलावा राजस्थान के करीब दो दर्जन नेता अमेठी और यूपी की अलग अलग सीटों पर चुनावी प्रचार में जुटे हुए हैं। हालांकि जिस तरह से अब राजस्थान का माहौल बना हुआ है ऐसे में एक बात तो तय है कि कांग्रेस पार्टी इन लोगों की मदद को हाथ आगे बढ़ा रही है। वहीं भाजपा इन लोगों परेशान कर रही है। अब देखना ये होगा कि यह मामला कैसे शांत होगा।