लोकसभा चुनाव को लेकर एक्टिव मोड में कांग्रेस, होगा बड़ा खेल !
जयपुर। आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए सभी राजनीतिक दल एक्टिव मोड में नजर आ रहे हैं। लगातार चुनावी जनसभाएं की जा रही हैं। जनता के बीच नेता पहुँच कर तरह-तरह की गारंटियां दे रहे हैं। इस बार के चुनाव में सभी राजनीतिक दल ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की फिराक में हैं ऐसे में कई सीटों को लेकर चर्चा भी जोरों पर है। वहीं अब कांग्रेस, भाजपा समेत अन्य राजनीतिक दल भी जनसभाएं करके लोगों को संबोधित कर रहे हैं। ऐसे ही एक जनसभा के दौरान अपने ही पार्टी के नेता से अनबन की ख़बरें सामने आई हैं। दरअसल प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा उदयपुर पहुंचे तथा भाजपा कार्यकर्ताओं में जीत का मंत्र फूंक गया। यहां भुवाणा स्थित ओपेरा गार्डन में उदयपुर, बांसवाड़ा-डूंगरपुर और चित्तौड़गढ़ लोकसभा क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं से लेकर पदाधिकारियों का क्लस्टर सम्मेलन आयोजित हुआ था।
बता दें कि लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर सीएम भजनलाल शर्मा की मौजूदगी में बैठक रखी गई थी। इसमें भाग लेने के लिए उदयपुर, बांसवाड़ा-डूंगरपुर और चित्तौड़गढ़ लोकसभा क्षेत्र के पार्टी पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया गया था। तय कार्यक्रम से लगभग आधे घंटे की देरी से मुख्यमंत्री भजनलाल विशेष विमान के जरिए जोधपुर से उदयपुर पहुंचे थे। कार्यक्रम शुरू हुआ लेकिन यहां चित्तौड़गढ़ जिले की निंबाहेड़ा से विधायक और पूर्व बीजेपी सरकार में यूडीएच मंत्री रहे श्री चंद कृपलानी और उदयपुर जिले के सलूंबर विधायक अमृत लाल मीणा गुस्सा हो गए। पार्टी के पदाधिकारियों के सामने भी उन्होंने अपना गुस्सा दिखाया। पदाधिकारियों ने कई देर तक उनको मनाया भी।
दरअसल सीएम भजनलाल शर्मा और प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी के आने से पहले पदाधिकारियों को मंच पर बुलाया जा रहा था। श्री चंद कृपलानी और अमृत लाल मीणा मंच पर चढ़े लेकिन उनके नाम की कुर्सी नहीं दिखी। वह गुस्सा हुए और नीचे आकर कार्यकर्ताओं के बीच लगी कुर्सी पर जाकर बैठ गए। जैसे ही पदाधिकारियों को इस बात का पता चला तो उदयपुर जिलाध्यक्ष रविन्द्र श्रीमाली और बीजेपी वरिष्ठ नेता प्रमोद सामर उनके पास गए तो उन्होंने कार्यकर्ताओं के बीच ही बैठे रहने की बात कही। बड़ी देर तक दोनों नेता नहीं माने। विधायक अमृत लाल मीणा ने तो गुस्से में कहा कि जब हमारा नाम ही नहीं तो क्यों आएं। मान मनुहार चली और फिर दोनों माने और मंच पर जाकर बैठे।
हालांकि ऐसा नहीं है कि ये प्रचार प्रसार यहीं तक सीमित है बल्कि भाजपा इस बार का चुनाव साधने में लगी हुई है। वहीं कुछ सीटें हैं जिनकी चर्चा भी जोरों पर है। जी हाँ बता दें राजस्थान में अभी कांग्रेस और भाजपा दोनों ने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट ही जारी की है। ऐसा माना जा रहा है कि दोनों दल दूसरी लिस्ट जल्द ही जारी कर सकते हैं। लेकिन जिन सीटों पर अब तक उम्मीदवारों की घोषणा की जा चुकी है उनमें से कुछ सीटों पर चर्चा लगातार बनी हुई है। अब इन सीटों की अगर हम बात करें तो राज्य की सबसे चर्चित सीट चूरू है, जहां बीजेपी ने कांग्रेस के राहुल कस्वां के खिलाफ पैरालंपियन देवेंद्र झाझरिया को मैदान में उतारा है। कस्वां पूर्व बीजेपी सांसद हैं, जिन्होंने लोकसभा टिकट नहीं मिलने के बाद बीजेपी छोड़ दी थी। वहीं देवेंद्र झाझरिया के लिए, यह चुनाव एक नई पारी है। अब यह सीट बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है।
चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट की अगर हम बात करें तो यहां से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सी।पी। जोशी को कांग्रेस के पूर्व राज्य मंत्री उदयलाल आंजना के खिलाफ मैदान में उतारा गया है। राज्य बीजेपी प्रमुख के रूप में चित्तौड़गढ़ से सांसद जोशी के कार्यकाल में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव जीता। उनका गृह क्षेत्र होने के कारण यह सीट महत्वपूर्ण है। वहीं चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या के साथ हुए जोशी का मतभेद कोई रहस्य नहीं है। टिकट नहीं मिलने पर आक्या ने बीजेपी छोड़ दी और निर्दलीय के तौर पर विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
इसके बाद से उन्होंने टिकट न दिए जाने में अहम भूमिका निभाने के लिए जोशी पर मौखिक हमला बोला है। बता दें कि ऐसी चर्चाएं थीं कि आक्या जोशी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई और दोनों नेताओं के बीच सुलह कराने में मदद की, जिससे बीजेपी के लिए चीजें आसान हो गईं। कांग्रेस ने जोशी का मुकाबला करने के लिए गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे उदयलाल आंजना पर दांव लगाया है। आंजना भी इस क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं। यह पूर्व कांग्रेस सांसद और बीजेपी सांसद के बीच की लड़ाई है।
अलवर लोकसभा सीट पर भी काफी दिलचस्प लड़ाई देखने को मिल सकती है। जहां बीजेपी ने ललित यादव के खिलाफ केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव को मैदान में उतारा है। भूपेंद्र यादव दो बार राज्यसभा सांसद रह चुके हैं, लेकिन पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने अपने विधायक ललित यादव को उनके खिलाफ मैदान में उतारा है। ललित मुंडावर से पहली बार विधायक बने हैं। पार्टी सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस यहां नया नेतृत्व लाने की कोशिश कर रही है। अलवर के पूर्व सांसद करण सिंह ने टिकट नहीं मिलने के बाद कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में शामिल हो गए। इसलिए यहां विद्रोहियों की क्या भूमिका होगी, इस पर पैनी नजर रखी जा रही है।
एक और सीट जिसकी राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही है, वह है जालोर-सिरोही जहां कांग्रेस ने पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को बीजेपी के लुंबाराम चौधरी के खिलाफ मैदान में उतारा है। बता दें कि वैभव ने 2019 में जोधपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन शेखावत से हार गए थे। अब उन्हें जालौर सिरोही से मैदान में उतारा गया है और इसलिए यह सीट अशोक गहलोत के लिए भी प्रतिष्ठा का विषय बन गई है। बीजेपी ने जालोर-सिरोही से तीन बार के सांसद देवजी पटेल का टिकट काट दिया है और लुंबाराम चौधरी को मैदान में उतारा है जो पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
वहीं एक और सीट है जो की खूब चर्चा में बनी हुई है। दरअसल उदयपुर में दो पूर्व नौकरशाह आमने-सामने हैं। बीजेपी ने अपने सांसद अर्जुन मीणा का टिकट काटकर पूर्व परिवहन अधिकारी मन्नालाल को मैदान में उतारा है। मन्नालाल विश्व हिंदू परिषद और वनवासी कल्याण परिषद जैसे संगठनों में काम कर चुके हैं और उनके पास जमीनी स्तर का अनुभव है। कांग्रेस ने उदयपुर के पूर्व कलेक्टर ताराचंद मीणा को मैदान में उतारा है। दोनों उम्मीदवार बाहरी हैं। कांग्रेस ने यहां से मीणा को उम्मीदवार बनाकर आश्चर्यचकित कर दिया है क्योंकि उनका वीआरएस 20 मार्च से प्रभावी होगा। बता दें कि ताराचंद को पूर्व सीएम अशोक गहलोत का करीबी माना जाता है और उन्हें सीधे चित्तौड़गढ़ कलेक्टर में नियुक्त किया गया था।
आठ महीने बाद उन्हें उदयपुर जिले का कलेक्टर नियुक्त किया गया। अब उनकी उम्मीदवारी ने सभी को हैरान कर दिया है। इस बीच, राजस्थान बीजेपी के उपाध्यक्ष नारायण पंचारिया ने दावा किया कि इन सीटों पर कोई कड़ा मुकाबला नहीं है और बीजेपी इन सभी सीटों पर आसानी से जीत हासिल करेगी। उन्होंने कहा, “हमारी पार्टी के घोषणापत्र में 2047 तक देश को विश्व के शीर्ष पर देखने के सुझाव शामिल हैं। हम एक विकसित भारत के लिए काम कर रहे हैं और मतदाता हम पर भरोसा कर रहे हैं।” दूसरी ओर, राज्य कांग्रेस प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, “चुनावी बॉन्ड, राज्य में पेट्रोल और डीजल की कीमते पड़ोसी राज्य जितनी कम करने जैसे बीजेपी के फर्जी वादों ने भगवा पार्टी के झूठ को उजागर कर दिया है। मतदाता उन्हें सबक सिखाएंगे।”
अब भले ही प्रदेश से कांग्रेस की सरकार जा चुकी हो लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी पूरा जोर लगा रही है कि राजस्थान में कांग्रेस ज्यादा सीटें जीत सके और पीएम मोदी के 400 पार के नारे को जुमला साबित करने में कामयाब हो सके। इसके लिए कांग्रेस के बड़े बड़े दिग्गज मैदान में हैं और लोगों से वोट बटोरने की कोशिश में लगे हुए हैं। इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट और भी तमाना बड़े नेता मैदान में उतर कर प्रचार कर रहे हैं। खैर अब इस बार के चुनाव में किसे कितनी सीटें मिलेंगी ये तो चुनावी नतीजों के सामने आने के बाद ही पता चलेगा