चुनाव में जाति के आधार पर तैनाती, समाज में आग क्यों लगाना चाहती है यूपी पुलिस

गोला के बाद मैनपुरी में भी पुलिस अफसरों की जाति के आधार पर तैनाती पर मचा हंगामा

चुनाव आयोग ने दिया मैनपुरी के अफसरों को नोटिस, मांगा तैनाती को लेकर जवाब
पुलिस महकमें में ऐसे फैसलों की हो रही है कड़ी आलोचना लोग कह रहे हैं यह देगा बहुत खराब संदेश

संजय शर्मा
लखनऊ। पुलिस महकमें में एक बहुत खराब शुरुआत हो रही है। गोला के बाद लखीमपुर में भी पुलिस की साख पर सवाल खड़े हो रहे हैं। लखीमपुर खीरी के गोला उपचुनाव के समय एक खबर वायरल हुई थी जिसमें कहा गया था कि इस चुनाव में यादव जाति के लोगों को चुनाव प्रक्रिया से दूर रखा गया है।
अब मैनपुरी में भी एक सूची वायरल हो रही है जिसमें पुलिसकर्मियों की तैनाती के समय उनके नाम के आगे जाति लिखी गयी है। इस सूची के बाद कुछ दारोगाओं को तैनात करने और कुछ को छुट्टी पर भेजने के फैसले के बाद चुनाव आयोग ने भी इस पर गहरी नाराजगी जाहिर की है। पुलिस महकमें में इस बात को लेकर बहुत रोष है कि यूपी में एक खतरनाक परंपरा की शुरुआत की जा रही है।
पुलिस के एक आवकाश प्राप्त अफसर ने कहा कि पुलिस में 40 फीसदी यादव, कुर्मी और मुस्लिम जाति के लोग हैं। अगर इस तरह इन जातियों की उपेक्षा की जायेगी और उन्हें अलग से सूचीबद्घ किया जाएगा तो यह पुलिस महकमें में एक खतरनाक परंपरा की शुरुआत होगी। हालांकि एसएसपी एटा ने ऐसी किसी लिस्ट का खंडन किया है मगर ऐसी किसी लिस्ट पर एफआईआर न होना बताता है कि मामला गड़बड़ है। इसी दौरान कुछ थानाध्यक्षों को लम्बी छुट््टी पर भेजने के फैसले पर कड़ी नाराजगी जताते हुए चुनाव आयोग ने मैनपुरी के अफसरों को नोटिस भेजते हुए कहा है कि क्यों ना उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। जाहिर है पुलिस महकमें यह एक खतरनाक शुरुआत है।

पुलिस किसी जाति की नहीं होती : एएल बनर्जी, पूर्व डीजीपी

मैनपुरी में क्या हो रहा है यह अखबारों के माध्यम से हमें पता चल रहा है। जाति विशेष को हटाकर जाति विशेष को लगाने की बात हुई है वो अन्याय है। क्योंकि भर्ती जाति विशेष की नहीं होती। सभी पुलिसवालों को बराबर से रहने और काम करने का अधिकार है। अगर ये सब वहां पर हो रहा है तो सोचने वाली बात है और चुनाव आयोग को इस पर एक्शन लेना चाहिए।

डीजीपी के खिलाफ कार्रवाई हो: अमिताभ ठाकुर, पूर्व आईजी

अगर ये सूची सही हैं तो ये अत्यंत गंभीर मामला है। इस तरह की जो जातिगत सूचियां सार्वजनिक रूप से लगाई गई हैं उसकी तत्काल जांच होनी चाहिए और अगर सूची सही है तो डीजीपी के खिलाफ कार्रवाई हो।

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