बच्चों की शरारतें दूर करने के लिए करें ये काम

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
बच्चे चंचल और शरारती होते हैं। लेकिन कई बार वे कुछ ज्यादा ही शरारत करने लगते हैं, खासकर किसी रिश्तेदार के घर जाने पर और तब वहां आपको शर्मिंदा होना पड़ता है? बच्चों को किसी रिश्तेदार के घर लेकर जाना माता-पिता के लिए सबसे मुश्किल काम होता है, क्योंकि वहां वे न सिर्फ खाने को लेकर नखरे दिखाते हैं, बल्कि शरारत भी करते हैं। इस वजह से कई बार अभिभावकों को शर्मिंदा भी होना पड़ता है। इस स्थिति में मन में बस यही ख्याल आता है कि ‘बेकार ही आ गए। इससे अच्छा तो घर पर ही रहते।’ लेकिन आप थोड़ी-सी समझदारी दिखाकर और बच्चों में अच्छी आदतें डालकर उन्हें रिश्तेदारों के घर शरारतें करने से रोक सकती हैं।

एक सूची बनाएं

हर बच्चे का शरारत करने का ढंग अलग होता है। कुछ बच्चे शोर मचाते हुए शरारतें करते हैं तो कुछ चुपचाप रहकर बड़ी शरारत कर जाते हैं। इसलिए आप बच्चे के इमोशन को ट्रिगर करने वाली चीजों की सूची बनाएं। उसकी शरारत के पीछे के कारणों को जानें और समझें कि वह ऐसा क्यों करता है। जब आप इन चीजों को पहचान लेंगी तो बच्चे की शरारती हरकतों को शांत करना आपके लिए बहुत आसान हो जाएगा। इसके अलावा अपने आप को उस एज में रखकर समझें कि उनके कहने का क्या मतलब है। जब भी बच्चों की किसी बात पर गुस्सा आए तो फौरन रिएक्ट करने की बजाय उसे समझने की कोशिश करें।

सबके सामने गुस्सा नहीं

माता पिता को कभी भी शरारत करने पर बच्चों को सबके सामने डांटने या कमरे में बंद कर देने जैसी सख्त सजा कभी नहीं देनी चाहिए। क्योंकि यह उनके मन को चोट पहुंचाता है और उनमें आक्रोश पैदा कर सकता है। इसलिए आप उन्हें पहले शरारत से होने वाले नुकसान के बारे में समझाएं। बच्चे को हमेशा प्यार से बताएं कि थोड़ी-बहुत हंसी-मजाक करना तो ठीक है, लेकिन ज्यादा शरारत करना संबंधियों के आगे माता-पिता की छवि को खराब करता है।

बच्चों को गलतियां करने दें

पैरेंट्स अक्सर बच्चों की गलतियों को सही करने की कोशिश करते हैं लेकिन माता-पिता को ये समझना होग बच्चे गलतियों से ही सीखते हैं। इसलिए हर बार उनकी गलती को सुधारने की बजाय उन्हें फ्री छोड़ दें और कुछ छोटी गलतियां करन दें। जिनसे उन्हें फ्यूचर के लिए सीख मिल सकें।

उनको समझें

अगर आप बच्चों की उम्र के हिसाब से खुद को उनकी जगह रखेंगी तो इस बात को समझ पाएंगी कि आखिर वे शरारत क्यों करते हैं। जब भी बच्चे रिश्तेदारों के सामने शरारत करें तो उन पर गुस्सा करने के बजाय उनकी भावनाओं को समझें। आप समझें कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं। हो सकता है, वे अपनी कोई बात मनवाना चाहते हों! इस स्थिति में आपको उन्हें बताना होगा कि ‘यह हमारा घर नहीं है। तुम्हें घर पर वह चीज मिल जाएगी।’ ऐसी बातें समझाने और कहने से बच्चे आपकी भावनाओं को समझ पाते हैं।

शांति से समझाएं

अच्छी परवरिश का सबसे पहला नियम है, प्यार और शांति। आप जितना अधिक शांत भाव से अपने बच्चों की परवरिश करेंगी, बच्चे भी उतने ही सभ्य और आज्ञाकारी बनेंगे। जिन बच्चों के माता-पिता बात-बात पर गुस्से में आ जाते हैं या कुछ ज्यादा ही ओवर रिएक्ट करते हैं, उनके बच्चे उनसे दूर हो जाते हैं और बातें छुपाने लगते हैं। आपके साथ ऐसा न हो, इसलिए अपने बच्चों को प्यार और शांति से सही-गलत का अंदर समझाएं।

अपनी गलती मानें

बच्चे को सॉरी कहने में कोई बुराई नहीं है। दिल से उनके सामने अपनी गलती को स्वीकार करें। इससे आप आसानी से बच्चे के साथ रिकनेक्ट कर पाएंगे। उसे यह भी बताएं कि आप उससे माफी क्यों मांग रहे हैं। आपके ऐसा करने से बच्चे को यह भी समझ आएगा कि गलती करने पर मांफी मांगने या अपनी गलती को स्वीकार करने में कुछ गलत नहीं है।

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