वित्तमंत्री ने सवाल का जवाब नहीं दिया: चिदंबरम

कांग्रेस नेता बोले - पूंजीगत व्यय के सवाल पर सीतारमण का स्पष्टीकरण ‘अस्पष्ट और पेचीदा’

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूंजीगत व्यय पर उनके सवाल का अस्पष्ट और पेचीदा स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने कहा कि आंकड़े निर्णायक रूप से’ यह साबित करते हैं कि 2024-25 के दौरान पूंजीगत व्यय में ‘कटौती’ हुई है। चिदंबरम ने राज्यसभा में सीतारमण द्वारा दिए गए जवाब पर प्रतिक्रिया देते हुए एक बयान में यह बात कही।
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि सीतारमण ने एक साधारण प्रश्न का ‘अस्पष्ट और पेचीदा’ स्पष्टीकरण दिया है कि 2024-25 के बजट में पूंजीगत व्यय के लिए बजट अनुमान क्या था और वर्ष के अंत में अनुमान क्या है। चिदंबरम ने सवाल किया, ‘‘कटौती की गई है और मैंने राज्यसभा में पूछा कि कटौती के क्या कारण हैं? वित्त मंत्री को कारण गिनाने चाहिए थे और यह लोगों को तय करना है कि कारण स्वीकार्य हैं या नहीं। लेकिन, इसके बजाए उन्होंने बजट अनुमान और संशोधित अनुमान की तुलना पर ही सवाल उठा दिया है।
मुझे आश्चर्य है कि माननीय वित्त मंत्री ने बजट अनुमान और संशोधित अनुमान की तुलना को ‘त्रुटिपूर्ण’ बताया है। अगर बजट अनुमान और संशोधित अनुमान तुलना के योग्य नहीं हैं, तो बजट दस्तावेजों में एक ही पृष्ठ पर दोनों संख्याओं को साथ-साथ क्यों सूचीबद्ध किया गया है?
’’कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने पूछा कि वित्त मंत्री राजकोषीय घाटे के बजट अनुमान (बीई) को राजकोषीय घाटे के संशोधित अनुमान (आरई) के साथ क्यों सूचीबद्ध करती हैं? उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य दुनिया को यह दिखाना है कि सरकार ने राजकोषीय घाटे के मूल अनुमान में ‘सुधार’ किया है।

2024-25 में पूंजीगत व्यय में सरकार ने की कटौती

चिदंबरम ने एक बयान में कहा, ‘‘यही तर्क सभी अनुमानों पर लागू होता है। जहां तक 2024-25 में पूंजीगत व्यय का सवाल है, तो आंकड़े निर्णायक रूप से साबित करते हैं कि 2024-25 में इसमें कमी (कटौती) की गई थी। इससे पहले, पूंजीगत व्यय में कटौती किए जाने के विपक्ष के दावे को खारिज करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि इसमें कोई कमी नहीं की गई है, बल्कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए यह बढक़र 11.21 लाख करोड़ रुपये हो गया है। वित्त मंत्री सीतारमण राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों का जवाब दे रही थीं।

राज्यों को दिए जाने वाले ऋ ण में भी आनुपातिक वृद्धि हुई

उन्होंने कहा कि 2024-25 में पूंजीगत व्यय 11.11 लाख करोड़ रुपये था। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘वास्तव में, इस वर्ष बजट में… यह बढक़र 11.21 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसलिए, पूंजीगत व्यय में कोई कटौती नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि पूंजीगत व्यय के लिए 50-वर्षीय ब्याज मुक्त विशेष सहायता योजना के तहत राज्यों को दिए जाने वाले ऋण में भी आनुपातिक वृद्धि हुई है। सीतारमण कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के एक सवाल का जवाब दे रही थीं। चिदंबरम ने सवाल किया था कि वित्त वर्ष 2025 के लिए संशोधित बजट अनुमान में पूंजीगत व्यय को 11.11 लाख करोड़ रुपये से घटाकर 10,18,429 करोड़ रुपये कर दिया गया। वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को ब्याज मुक्त 50-वर्षीय विशेष सहायता की योजना 2020-21 में शुरू होने के बाद से राज्यों को जारी ऋण में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि 2020-21 के लिए राज्यों को 9,912 करोड़ रुपये की विशेष सहायता मंजूर की गई थी, लेकिन वास्तविक आवंटन 11,830 करोड़ रुपये था। 2024-25 में 1,53,673 करोड़ रुपये मंजूर किए गए और 26 मार्च तक राज्यों को लगभग 1,46,362 करोड़ रुपये जारी किए गए।

बिहार में गिरे 300 पुलों का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा

शीर्ष कोर्ट ने दाखिल याचिका पटना हाईकोर्ट भेजा, सुनवाई 14 मई

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। बिहार में एक के बाद एक पुलों के गिरने की घटनाओं को लेकर दाखिल याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के पास भेज दिया है। हाईकोर्ट इस पर 14 मई से सुनवाई शुरू करेगा। याचिकाकर्ता ने पुलों की सुरक्षा जांच को लेकर उठाए जा रहे कदमों की मॉनिटरिंग करने की मांग की है। निर्माण के दौरान 3 पुलों के गिर जाने के मामले में अधिकारियों के खिलाफ चल रही विभागीय जांच की भी निगरानी करने की मांग की है।
याचिकाकर्ता की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकारों को सुरक्षा जांच की मॉनिटरिंग और अधिकारियों के खिलाफ चल रही जांच की निगरानी करने का निर्देश दे। कोर्ट मे याचिका दाखिल कर बिहार सरकार को पुलों का ऑडिट करने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया कि इसके लिए राज्य सरकार को निर्देश दें कि वह हाई लेवल एक्सपर्ट कमेटी बनाए, जो पुलों की निगरानी करे और कमजोर पुलों की पहचान करे और उनको मरम्मत कर मजबूत किया जाए। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि बिहार में पुल टूट रहे हैं और कोई उनका निरीक्षण नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि अब तक 300 पुल गिर चुके हैं और जिम्मेदार लोगों को सस्पेंड किया जाता है, लेकिन थोड़े समय बाद उनको फिर वापस बुला लिया जाता है।

मुख्य न्यायाधीश ने नीतीश सरकार को फटकारा

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने रजिस्ट्री को 4 हफ्ते के अंदर मामला हाईकोर्ट ट्रांसफर करने का निर्देश दिया है। बिहार सरकार की ओर से दिए गए काउंटर पर सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा, हमें पता है, आपके काउंटर का पहला पन्ना हमने पढ़ा है, बिहार के पास ये स्कीम है, वो स्कीम है। उन्होंने आगे कहा कि बेंच ने राज्य सरकार का जवाब पढ़ लिया है और सुप्रीम कोर्ट इस मामले को पटना हाईकोर्ट ट्रांसफर कर रहा है। उन्होंने कहा कि वो जांच की डिटेल्स भी हाईकोर्ट को भेजी जा रही हैं, जिसमें राज्य सरकार ने बताया है कि वो इस मामले में क्या कर रहे हैं।

महाराष्ट्र में चल रही है अप्रैल फूल सरकार: आदित्य ठाकरे

बोले- कुणाल कामरा नहीं असली कॉमेडी तो सरकार के लोग कर रहे हैं

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई। महाराष्ट्र में चुनाव आयोग के आशीर्वाद से बनी मौजूदा सरकार को अप्रैल फूल सरकार कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने कई मुद्दों पर हमें गुमराह करने और मूर्ख बनाने की कोशिश की है…पहले, मुख्यमंत्री ने कहा था कि किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा। लेकिन अब उपमुख्यमंत्री (अजित पवार) कहते हैं कि ऐसा कुछ नहीं किया जाएगा।
लाडक़ी बहन योजना भी बंद होने जा रही है क्योंकि सरकार के पास लाभार्थियों को देने के लिए कोई धन नहीं है। शिवसेना नेता संजय निरुपम द्वारा मुंबई में सडक़ों पर मटन, मछली और मांस बेचने वाली दुकानों पर प्रतिबंध लगाने की मांग पर शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि हर राज्य वहां की संस्कृति और परंपराओं के अनुसार धर्म को परिभाषित करता है, इसलिए मैं बस इतना ही कह रहा हूं कि आप जिस हिंदुत्व का पालन करते हैं, उसे हम पर न थोपें। कुणाल कामरा विवाद पर उन्होंने कहा कि वे (सत्तारूढ़ सरकार) असली कॉमेडी कर रहे हैं। कॉमेडी देखने गए लोगों पर भी केस दर्ज होना चाहिए।
महाराष्ट्र में चुनाव आयोग के आशीर्वाद से बनी मौजूदा सरकार को अप्रैल फूल सरकार कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने कई मुद्दों पर हमें गुमराह करने और मूर्ख बनाने की कोशिश की है…पहले, मुख्यमंत्री ने कहा था कि किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा। लेकिन अब उपमुख्यमंत्री (अजित पवार) कहते हैं कि ऐसा कुछ नहीं किया जाएगा। लाडक़ी बहन योजना भी बंद होने जा रही है क्योंकि सरकार के पास लाभार्थियों को देने के लिए कोई धन नहीं है।

कामरा के स्टूडियो की भरपाई हो

इससे पहले शिवसेना (उबाठा) नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने मांग की थी कि जिन लोगों ने कॉमेडियन कुणाल कामरा के विवादास्पद शो की रिकॉर्डिंग किए जाने वाले मुंबई स्टूडियो में तोडफ़ोड़ की उनसे उनकी हिंसक कार्रवाई से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए कहा जाना चाहिए ।

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बिगड़ी तबीयत

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव की तबीयत ब्लड शुगर बढऩे के कारण बिगड़ गई है। जानकारी के अनुसार, यह समस्या उनके नियमित रूटीन चेक-अप के दौरान पता चली, जहां मेडिकल रिपोर्ट में ब्लड शुगर के स्तर में चिंताजनक वृद्धि देखी गई।
सूत्रों के अनुसार, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री को आगे की जांच और उपचार के लिए जल्द ही दिल्ली एम्स जाने की उम्मीद है। यादव पिछले दो दिनों से अस्वस्थ थे, लेकिन बुधवार सुबह उनकी हालत और गंभीर हो गई। उनका स्वास्थ्य उनके परिवार और समर्थकों के लिए चिंता का विषय रहा है, खासकर उनके लंबे मेडिकल इतिहास को देखते हुए। पिछले साल सितंबर में यादव ने मुंबई में एंजियोप्लास्टी करवाई थी, जो हृदय संबंधी समस्याओं को दूर करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इससे पहले, 2022 में सिंगापुर में उनका किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था, जहां उनकी छोटी बेटी रोहिणी आचार्य ने उन्हें किडनी दान की थी। उनके मेडिकल इतिहास में 2014 में की गई ओपन-हार्ट सर्जरी भी शामिल है।

वक्फ संपत्तियों पर सरकार की नजर: इमरान मसूद

कहा- संविधान के साथ हो रहा मजाक
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 लोकसभा में पेश किया जाएगा। इस पर चर्चा के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 8 घंटे का समय निर्धारित किया है, इस विधेयक को लेकर सियासत जारी है। विधेयक के विरोध में कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सरकार वक्फ संपत्तियों को सरकारी प्रॉपर्टी बनाने की साजिश कर रही है, उन्होंने उत्तर प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि राज्य में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्तियां हैं, जिन्हें अब सरकारी संपत्ति घोषित किया जा रहा है।
इमरान मसूद ने आरोप लगाया कि सरकार ने वक्फ कानून में बदलाव करने का दावा किया था, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. उन्होंने कहा, हम सदन में चर्चा करने के लिए तैयार हैं… सरकारी बार-बार कह रही है कि मुस्लिम समुदाय का कुछ नहीं बिगड़ेगा लेकिन सरकार ने इसमें (वक्फ) संशोधन करके यह प्रावधान कर दिया है कि कोई भी संपत्ति जो सरकारी हो, जिसमें सरकारी हिस्सेदारी हो या वे विवादास्पद हो, उसे जब तक वक्फ नहीं माना जाएगा तब तक उसकी जांच पदाभिहित अधिकारी को दी जाएगी. जब तक जांच नहीं होगी तब तक वह संपत्ति वक्फ की नहीं रहेगी… विवाद की जो स्थिति पूरे देश में खड़ी हुई है वह बहुत खतरनाक है… संविधान के साथ पूरी तरह से मजाक किया जा रहा है।

हम सदन में चर्चा करने के लिए तैयार

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, हम सदन में चर्चा करने के लिए तैयार हैं… सरकारी बार-बार कह रही है कि मुस्लिम समुदाय का कुछ नहीं बगड़ेगा लेकिन सरकार ने इसमें(वक्फ) संशोधन करके यह प्रावधान कर दिया है कि कोई भी संपत्ति जो सरकारी हो। सरकार का कहना है कि वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन का मकसद पारदर्शिता बढ़ाना और वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करना है. सरकार के अनुसार, इस विधेयक से वक्फ बोर्डों के कामकाज में सुधार होगा और संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।

सब लोग देख रहे हैं कि कौन किस ओर खड़ा है : चंद्रशेखर

आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष और सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर कहा, आज सदन में जो स्थिति है वह उस तरह की है कि सब लोग देख रहे हैं कि कौन किस ओर खड़ा है। यह एक ऐसा समय है कि देश में जो कमजोर तबका है वह देख रहा है कि कौन उनके साथ खड़ा है या कौन लोग उनसे राजनीतिक लाभ चाहते हैं। पूरे देश का ध्यान आज संसद की ओर है।

मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास है यह बिल : डिंपल

समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने वक्फ संशोधन विधेयक पर कहा, सत्ता पक्ष इस बिल को लाकर हमारे मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास कर रहा है। आम जनता को इस बिल से कुछ हासिल नहीं होने वाला है। (वक्फ की) जमीनों को लेकर यह साजिश रची जा रही है। इसमें गरीबों को कुछ नहीं मिलेगा। सत्ता पक्ष उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए यह बिल ला रहा है।

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