बस्ती जिले में खुलेगा गरिमा गृह, सांसद राम प्रसाद चौधरी ने केंद्र सरकार को लिखा पत्र
SMILE योजना का उद्देश्य हाशिए पर रहने वाले समुदायों को सम्मानजनक जीवन जीने के लिए सामाजिक और आर्थिक सहायता प्रदान करना है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार ने किन्नर समुदाय के सामाजिक उत्थान की दिशा में यह ठोस प्रयास किया है।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किन्नर समुदाय के समावेशी विकास के लिए एक और बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से बस्ती जिलें में एक गरिमा गृह स्थापित करने का आग्रह किया है। यह प्रस्ताव भारत सरकार की SMILE योजना (Support for Marginalized Individuals for Livelihood and Enterprise) के अंतर्गत भेजा गया है।
SMILE योजना का उद्देश्य हाशिए पर रहने वाले समुदायों को सम्मानजनक जीवन जीने के लिए सामाजिक और आर्थिक सहायता प्रदान करना है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार ने किन्नर समुदाय के सामाजिक उत्थान की दिशा में यह ठोस प्रयास किया है। राज्य में लगभग 1.30 लाख ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग निवास करते हैं, जो अब तक समाज की मुख्यधारा से पूरी तरह से नहीं जुड़ पाए हैं। ऐसे में गरिमा गृह की स्थापना से उन्हें एक सुरक्षित, संरक्षित और सशक्त वातावरण मिलेगा।
इसके साथ ही, योगी सरकार ने पहले ही प्रदेश में ‘ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड’ का गठन कर इस दिशा में नीति-निर्माण की शुरुआत कर दी है। इस बोर्ड के माध्यम से किन्नरों को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक सम्मान दिलाने की दिशा में योजनाएं बनाई जा रही हैं। अब सबकी निगाहें केंद्र सरकार पर टिकी हैं, जिससे गरिमा गृह की स्थापना को मंजूरी मिल सके और किन्नर समुदाय के सामाजिक बदलाव की इस सुगबुगाहट को ठोस आकार दिया जा सके।
मोदी सरकार से बस्ती में गरिमा गृह की स्थापना की मांग
उत्तर प्रदेश शासन द्वारा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अपर सचिव को समाज कल्याण विभाग के विशेष सचिव की तरफ से प्रेषित इस विस्तृत प्रस्ताव में, बस्ती जिले में गरिमा गृह की आवश्यकता, इसके संभावित लाभ और संचालन के लिए अपेक्षित औपचारिकताओं का स्पष्ट उल्लेख किया गया है. पत्र में विशेष रूप से मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ. वीरेन्द्र कुमार से अनुरोध किया गया है कि वे इस महत्वपूर्ण विषय पर व्यक्तिगत ध्यान दें और बस्ती में गरिमा गृह की स्थापना की स्वीकृति को प्राथमिकता दें.
ट्रांसजेंडर समुदाय, जो सदियों से सामाजिक भेदभाव और उपेक्षा का शिकार रहा है, अक्सर आवास, भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहता है. इसके परिणामस्वरूप, वे असुरक्षित जीवन जीने को मजबूर होते हैं और कई बार शोषण और हिंसा का शिकार भी हो जाते हैं. SMILE योजना के तहत ‘गरिमा गृह’ की अवधारणा इसी पृष्ठभूमि में उपजी है, जिसका लक्ष्य ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को एक सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण प्रदान करना है, जहां वे अपनी पहचान और अधिकारों के साथ जी सकें
ट्रांसजेंडर के समग्र विकास के लिए जरूरी गरिमा गृह
बस्ती जिले में गरिमा गृह की स्थापना न केवल ट्रांसजेंडर समुदाय को आश्रय प्रदान करेगी, बल्कि यह उन्हें कौशल विकास और आजीविका के अवसरों से जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. इस पहल के माध्यम से, ट्रांसजेंडर व्यक्ति शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे, व्यावसायिक प्रशिक्षण ले सकेंगे और समाज की मुख्यधारा में सक्रिय योगदान दे सकेंगे. यह कदम उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक होगा. प्रस्ताव में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि बस्ती जैसे जिले में गरिमा गृह की स्थापना से ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव आएगा. जब समाज के सदस्य इन व्यक्तियों को सम्मानजनक जीवन जीते हुए देखेंगे, तो उनके मन में व्याप्त पूर्वाग्रह और गलत धारणाएं धीरे-धीरे दूर होंगी. एक समावेशी वातावरण का निर्माण होगा, जहां ट्रांसजेंडर व्यक्ति बिना किसी डर या भेदभाव के अपनी जिंदगी जी सकेंगे.
यह पहल भारतीय संविधान के मूल्यों के अनुरूप भी है, जो सभी नागरिकों को समानता और न्याय का अधिकार प्रदान करता है. वंचित वर्गों को निष्पक्ष और सार्थक न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक समावेशी कानून प्रणाली को बढ़ावा देना सरकार का कर्तव्य है, और बस्ती में गरिमा गृह की स्थापना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है. जिले के सामाजिक कार्यकर्ता और ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्य इस प्रस्ताव से बेहद उत्साहित हैं. उनका मानना है कि यह पहल उनके जीवन में एक नया सवेरा लाएगी और उन्हें समाज में अपनी पहचान और सम्मान वापस दिलाने में मदद करेगी. वे केंद्र सरकार से त्वरित कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं ताकि बस्ती में जल्द से जल्द गरिमा गृह का संचालन शुरू हो सके.
केंद्र सरकार से मंजूरी का इंतजार
अब, सभी की निगाहें नई दिल्ली पर टिकी हैं, जहां सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. यदि केंद्र सरकार इस प्रस्ताव को मंजूरी देती है, तो यह न केवल बस्ती जिले के ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए एक बड़ी जीत होगी, बल्कि यह सामाजिक न्याय और समावेशिता की दिशा में पूरे देश के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण भी बनेगा. यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस संवेदनशील मुद्दे पर कितनी तेजी से और सकारात्मक रूप से प्रतिक्रिया करती है, ताकि हाशिए पर रहने वाले इस समुदाय को आखिरकार वह सम्मान और सुरक्षा मिल सके जिसके वे हकदार हैं.