राजस्थान में गहलोत करेंगे वापसी!
भाजपा को पटखनी देने की रणनीति बनाई
- नहर व पुरानी पेंशन को बनाएंगे हथियार
- इसी साल के अंत में होने हैं राजस्थान विस के चुनाव
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
जयपुर। बजट में राजस्थान प्रदेश के आमजन के लिए कई लोक-लुभावनी घोषणायें करने के साथ ही गहलोत राजनीतिक स्तर पर भी अगला विधानसभा चुनाव जीतने की व्यूह रचन दिया हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दौसा यात्रा के दौरान भी मुख्यमंत्री गहलोत ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री से नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग की थी। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजनीति का जादूगर कहा जाता है। राजनीति में उन्होंने अपनी जादूगरी दिखाने में कोई कसर भी नहीं छोड़ी है। कैसी भी स्थिति रही हो गहलोत अपनी राजनीतिक जादूगरी की कुशलता के बल पर सफल रहे हैं। इसी कारण वह राजस्थान के तीसरी बार मुख्यमंत्री की पारी पूरी करने जा रहे हैं। गत दिनो उन्होंने अपने कार्यकाल का अंतिम बजट पेश किया जिसमें अनेकों लोक लुभावनी घोषणायें की गई हैं। जिनसे आने वाले चुनाव में लाभ मिल सकता है।
इसी साल के अंत तक राजस्थान में विधानसभा के चुनाव होने हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चाहते हैं कि वह चौथी बार मुख्यमंत्री बन कर राजस्थान में नया रिकॉर्ड बनायें। गहलोत का इस बार पूरा प्रयास है कि 1990 से प्रदेश में हर बार सरकार बदलने की चल रही परिपाटी को भी बदला जाए। इसके लिए गहलोत ने अभी से युद्ध स्तर पर अपनी तैयारियां प्रारंभ कर दी हैं। मुख्यमंत्री गहलोत ने राजस्थान के सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा कर जहां भाजपा को धर्म संकट में डाल दिया है। वहीं पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के मुद्दे पर भी भाजपा को घेरने में कोई कसर नहीं छो? रहे हैं। पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में पेयजल व सिंचाई के लिए पूर्वी नहर परियोजना एक वरदान साबित हो सकती है। इन 13 जिलों के करीबन साढे तीन करोड़ से अधिक लोगों को जहां पीने को मीठा पानी उपलब्ध हो सकेगा। वहीं डेढ़ से दो लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई भी होगी। जिससे लोगों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार ने 2017-18 के बजट में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की घोषणा की थी। इस परियोजना में राजस्थान के जयपुर, दौसा, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, बूंदी, कोटा, बारां और झालावाढ़ सहित कुल 13 जिले शामिल हैं। इस परियोजना के पूरा होने पर 13 जिलों में पेयजल और सिंचाई की सुविधा मिलने लगेगी। मुख्यमंत्री गहलोत को यह बात अच्छे से पता है कि इन 13 जिलों में बढ़त मिलने पर कांग्रेस को दूसरी बार सरकार बनाने से कोई भी नहीं रोक सकता है। इन 13 जिलों में विधानसभा की 83 सीटें आती हैं। जिनमें से अभी कांग्रेस के पास 49 और भाजपा के पास 25 सीटें हैं। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव तक कांग्रेस हर हाल में इस मुद्दे को बनाए रखना चाहती है। जिससे मतदाताओं को अपने पक्ष में कर सके। इसीलिए गहलोत इस नहर परियोजना को लेकर अग्रेसिव होकर राजनीति कर रहे हैं। उन्हें जहां भी मौका मिलता है भाजपा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इस नहर के मुद्दे को लेकर हमला करने से नहीं चूकते हैं। पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के मतदाताओं को लुभाने के लिए ही गहलोत ने इस बार बजट में नहर के लिये 13 हजार करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया है।
सरकारी कर्मचारियों को भी जोड़ेंगे
सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना लागू करने के भाजपा पूरी तरह खिलाफ है। प्रधानमंत्री बार-बार पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल करने पर अपनी असहमति जता चुके हैं। इसी के चलते भाजपा के प्रदेश स्तरीय नेता भी पुरानी पेंशन योजना की मुखालफत कर रहे हैं। मगर हिमाचल प्रदेश के पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार से पार्टी के अंदर खाने इस मुद्दे को लेकर चिंता भी जाहिर की जा रही है। हिमाचल प्रदेश में अपने चुनावी घोषणा पत्र में कांग्रेस ने सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना देने का वादा किया था। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को बहुत बड़ी जीत मिली। जिससे कांग्रेस पार्टी के नेता बहुत उत्साहित हैं। हालांकि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत के अन्य कारण भी हो सकते हैं। मगर पुरानी पेंशन योजना बहाली का वादा भी एक बड़ा कारण रहा है। इसीलिए कांग्रेस पार्टी हर जगह पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग कर रही है। अपने बजट भाषण में भी मुख्यमंत्री गहलोत ने भाजपा के विधायकों से कहा था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समझाएं कि वह कर्मचारियों के हित में पुरानी पेंशन योजना फिर से लागू करें। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का अनुसरण करते हुए छत्तीसगढ़ एवं झारखंड की सरकारों ने भी अपने सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना देने की घोषणा कर दी है।
गहलोत के लिए किसी युद्ध से कम नहीं अगला विधानसभा चुनाव
अगले विधानसभा चुनाव की पूरी कमान गहलोत के हाथों में ही रहनी है। इसीलिए उन्होंने अपनी सरकार की छवि चमकाने के लिए कई निजी प्रचार एजेंसियों से अनुबंध किया है। यह एजेंसियां अगले विधानसभा चुनाव तक गहलोत सरकार की उपलब्धियां आम जन तक पहुंचाने का काम करेंगी। मुख्यमंत्री गहलोत को पता है कि 25 सितंबर को जयपुर में जो घटनाक्रम हुआ था उससे पार्टी आलाकमान उनसे नाराज है। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद भी ठुकरा दिया था। उसके बाद वह आलाकमान की गुडबुक में नहीं रहे हैं। पार्टी आलाकमान को जब भी मौका मिलेगा उनको झटका दिया जा सकता है। ऐसे में वह पार्टी आलाकमान का फिर से विश्वास हासिल करने के लिए राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को रिपीट करवाना चाहते हैं।