सरकारी गारंटी व संकीर्ण राष्ट्रवाद छलावे की राजनीति: मायावती
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- बसपा प्रमुख की अपील-नए साल में सर्वजन हितैषी सरकार बनाएं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। इस नववर्ष से सरकार केवल ‘रोजगार की गारंटी’ सुनिश्चित कर सच्ची देशभक्ति व राजधर्म का निर्वहन करे, क्योंकि बाकी सरकारी गारंटी संकीर्ण राष्ट्रवाद के छलावा की राजनीति ज्यादा साबित हुई है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने सोमवार को केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार से नए साल में रोजगार की गारंटी सुनिश्चित कर ‘राजधर्म’ निभाने का आग्रह किया और देशवासियों से इस वर्ष लोकसभा चुनाव में ‘सर्वजन हितैषी’ सरकार बनाने की अपील की।
मायावती ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट किए गए सिलसिलेवार संदेशों में कहा कि देश व दुनिया भर में रहने वाले भारतीय भाई-बहनों एवं उनके परिवार को नववर्ष 2024 की दिली मुबारकबाद। यह साल आप सब के लिए आत्म-सम्मान के साथ सुख, शान्ति, सुरक्षा व सफलता लेकर आए इसकी शुभकामनाएं, ताकि आर्थिक असमानता व अन्य गैर-बराबरी आदि से मुक्त होकर लोगों का जीवन खुशहाल बने। मायावती ने एक अन्य संदेश में इस साल केंद्र में ‘सर्वजन हितैषी’ सरकार बनाने की अपील करते हुए कहा कि कुल मिलाकर पहले कांग्रेस और अब भाजपा की लंबी चली जातिवादी, अहंकारी व गैर-समावेशी सरकार के दुष्प्रभाव से करोड़ों गरीबों का विकास प्रभावित। अत: अब इस संसदीय चुनाव वर्ष में जनहित व जनकल्याण को समर्पित बहुजनों के उम्मीदों की सर्वजन हितैषी सरकार बनाएं, लोगों से यही पुरजोर अपील। वहीं बसपा नेता आकाश आनंद ने कहा कि लोंगों की परेशानी के लिए कांग्रेस और भाजपा की गरीब विरोधी नीतियां जिम्मेदार हैं। भाजपा सरकार ने गरीब जनता की सहूलियत के लिए इस पर ध्यान नहीं दिया। हर बार कोरे आश्वासन दिए गए।
100 करोड़ लोगों का जीवन बना मोहताज
उन्होंने एक अन्य संदेश में कहा कि इस नववर्ष से सरकार केवल ‘रोजग़ार की गारंटी’ सुनिश्चित कर सच्ची देशभक्ति व राजधर्म का निर्वहन करे, क्योंकि बाकी सरकारी गारंटी संकीर्ण राष्ट्रवाद के छलावा की राजनीति ज्यादा साबित हुई है, जिस कारण लगभग 100 करोड़ लोगों का जीवन लगातार गरीब, पिछड़ा, मजलूम व मोहताज बना हुआ है। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में मामूली प्रति व्यक्ति आय अर्थात लोगों की जेब में खर्च के लिए पैसे ही न हों तो विकास का ढिंढोरा लोगों के किस काम का? साथ ही, बेरोजग़ारों की भारी फौज के साथ ‘विकसित भारत’ कैसे संभव?’