बाहर से कोयला आएगा तो योगी सरकार पर 11 हजार करोड़ का पड़ेगा बोझ
- उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विदेशी कोयला खरीदने पर खड़े किए सवाल
लखनऊ। विदेशों से कोयला खरीदा गया तो यूपी सरकार के बजट पर 11 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा। केंद्रीय कोयला मंत्री ने लोकसभा में बयान दिया है कि साल 2022-23 में 700 मिलियन टन कोयला उत्पादन करने जा रहे हैं। यह आंकड़ा पिछले कई सालों की तुलना में ज्यादा है। ऐसे में बाहर से कोयला खरीदने की नौबत क्यों आ रही है। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसको लेकर सवाल खड़े किए हैं। परिषद के राष्टï्रीय अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि कोयला संकट एक बहाना है। सरकार निजी और कॉर्पोरेट घरानों को फायदा देने में लगी है। नए आदेश में कहा गया कि देश के सभी बिजली कंपनियों को एक साल की लागत में लगने वाले कोयले का 10 फीसदी हिस्सा विदेशों से खरीदना है। मौजूदा समय आत्मनिर्भर भारत अभियान चल रहा है। ऐसे में आयात कराना ठीक नहीं है। सरकार ने देश में कोयला उत्पादन का जो डेटा दिया है, वह हमारी ऊर्जा जरूरतों के अनुसार पर्याप्त है। विदेशी कोयला के हिसाब से बहुत से उत्पादन निगम नहीं है। उन्होंने कहा कि पुरानी उत्पादन इकाइयां बिना अपग्रेड किए नहीं चलेंगी। ऐसे में विदेशी कोयला से बायलर खराब हो सकता है। इससे सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान होगा।
राज्यों को 10 प्रतिशत विदेशी कोयला खरीद के लिए 31 मई की समय सीमा दी गई है। सबसे चौंकाने वाला मामला यह है कि राज्यों को विदेशी कोयले खरीद का जो टारगेट दिया गया है, कुल मात्रा का 10 प्रतिशत है। मतलब कि कोई संकट के नाम पर कोयला खरीद कराने की योजना नहीं है। लोकसभा का सत्र चल रहा था, तो उसमें कोयला मंत्री ने कहा था देश में बिजली की डिमांड चाहे जितना बढ़ जाए, कोयले की कोई कमी नहीं है। अभी उत्पादन निगम कोल इंडिया से 3,000 रुपए प्रति टन कोयला मिल रहा है। सबसे कम दर का विदेशी कोयला 17,000 रुपए प्रति टन है। वर्ष 2009-10 में जब एक बार विदेशी कोयला खरीदने की बात हुई थी उस समय केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण भारत सरकार ने 8 सदस्य वाली स्टडी कमेटी बनाई थी। इसने विदेशी कोयला उपयोग के बारे में तकनीकी रिपोर्ट दी थी। उसमें यह कहा गया था की पुरानी मशीनों में अपग्रेडेशन करने के उपरांत ही विदेशी कोयला चलाया जा सकता है।
आगरा में बनेगी यूपी की पहली ग्रीन बिल्डिंग
लखनऊ। आगरा के फाउंड्री नगर में प्रदेश की पहली उद्योग आधारित बहुउद्देश्यीय-बहुमंजिली ग्रीन बिल्डिंग बनेगी। करीब 125 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट में ग्राउंड फ्लोर समेत चार फ्लोर पर 240 व्यावसायिक यूनिट लगेंगी, जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। डेढ़ वर्ष में पूरा होने वाले प्रोजेक्ट से शहर के औद्योगिक विकास को गति मिलेगी। कल लोक भवन लखनऊ में उप्र लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष नवनीत सहगल की अध्यक्षता में हुई बैठक में आगरा के फाउंड्री नगर और कानपुर के उद्योग नगर में 6700 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बहुमंजिला फैक्ट्री कांप्लेक्स के निर्माण को स्वीकृति प्रदान की गई। उप्र लघु उद्योग निगम के उपाध्यक्ष राकेश गर्ग दो वर्ष से आगरा के प्रोजेक्ट के लिए प्रयास कर रहे थे। प्रोजेक्ट के लिए जमीन, ताज ट्रेपेजियम जोन अथारिटी, विभागीय कार्यवाहियां व डीपीआर की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है। राकेश गर्ग ने कहा कि प्रोजेक्ट से शहर के औद्योगिक विकास को गति मिलेगी। बहुमंजिला फैक्ट्री कांप्लेक्स में चार फ्लोर पर 240 यूनिट बनाई जाएंगी। इसके निर्माण में डेढ़ वर्ष का समय लगेगा और करीब 125 करोड़ रुपये की लागत आएगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा ताज ट्रेपेजियम जोन के लिए निर्धारित मापदंड पूरा करने वाले गैर-प्रदूषणकारी उद्योग यहां लगाए जा सकेंगे। गारमेंट इंडस्ट्री को प्राथमिकता दी जाएगी। इच्छुक उद्यमियों से आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।