पाकिस्तान से बात नहीं तो भारत का गाजा और फिलिस्तीन जैसा होगा हश्र: फारूक
- बोले- अटल ने कहा था कि हम अपने दोस्त बदल सकते हैं लेकिन अपने पड़ोसी नहीं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
जम्मू-कश्मीर। नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अगर भारत ने पाकिस्तान के साथ बातचीत के जरिए कोई समाधान नहीं निकाला तो उसका हश्र गाजा और फिलिस्तीन जैसा ही हो सकता है, जिन पर इजरायली सेना बमबारी कर रही है। बयान पर केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रतिक्रिया आने की उम्मीद है, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा, अगर हम अपने पड़ोसियों के साथ मित्रतापूर्ण रहेंगे, तो दोनों प्रगति करेंगे।
अपने बयान में अब्दुल्ला ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी (पूर्व प्रधान मंत्री) ने कहा था कि हम अपने दोस्त बदल सकते हैं लेकिन अपने पड़ोसी नहीं। यदि हम अपने पड़ोसियों के साथ मित्रवत रहेंगे तो दोनों प्रगति करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि युद्ध अब कोई विकल्प नहीं है और मामलों को बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने सवाल किया कि संवाद कहां है? नवाज शरीफ (पाकिस्तान के) पीएम बनने वाले हैं और वे कह रहे हैं कि हम (भारत के साथ) बात करने को तैयार हैं, लेकिन क्या कारण है कि हम बात करने को तैयार नहीं हैं? अगर हम बातचीत से कोई समाधान नहीं ढूंढते हैं तो हमारा हश्र भी गाजा और फिलिस्तीन जैसा ही होगा, जिन पर इजराइल बमबारी कर रहा है।
नागरिकों की हत्या पर नेशनल कांफ्रेंस का प्रदर्शन
जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दलों ने डेरा की गली पुंछ में तीन नागरिकों की हिरासत में हत्या की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है, जिन्हें कथित तौर पर आतंकवादी हमले में पुंछ में पांच सैनिकों की हत्या के बाद शुक्रवार को सेना द्वारा उठाया गया था। इस घटना की जांच की मांग को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और अपनी पार्टी ने भी श्रीनगर में विरोध प्रदर्शन किया। दोनों दलों के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने पार्टी मुख्यालय से विरोध प्रदर्शन किया और हिरासत के दौरान नागरिकों की हत्या में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। एनसी के विरोध का नेतृत्व पार्टी महासचिव अली मोहम्मद सगर ने किया, अपनी पार्टी के विरोध का नेतृत्व पूर्व मंत्री अशरफ मीर ने किया। घटना को गंभीरता से लेते हुए सेना ने एक ब्रिगेडियर स्तर के अधिकारी का तबादला कर दिया गया और 48 राष्ट्रीय राइफल्स के तीन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। हिरासत में आम नागरिकों को यातना दिए जाने के आरोप लगे, जिसके बाद जनता में आक्रोश देखने को मिला।
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद अब भी जीवित
पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद अब भी जीवित है और सेना या पुलिस के इस्तेमाल से इसका खात्मा नहीं किया जा सकता। उन्होंने केंद्र से आतंकवाद के मूल कारण को समझने के उपाय तलाशने का अनुरोध किया। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आम लोगों को भी निरंतर रक्तपात से होने वाले नुकसान को समझना चाहिए क्योंकि आतंकवाद के चलते निर्दोष लोगों की जान जा रही है। अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य होने के भाजपा के दावे को लेकर इसकी आलोचना की।