देशवासियों की रक्षा करना हर देश का कर्तव्य: अखिलेश
बोले- सकारात्मक मानवीय सोच के आधार पर हो मदद
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। सपा प्रमुख ने इशारे-इशारे में बीजेपी व मोदी सरकार को बांग्लादेश के बहाने ने घेरने की कोशिश की। अखिलेश ने लिखा- देश और देशवासियों की रक्षा करना हर देश का कर्तव्य होता है, सकारात्मक मानवीय सोच के आधार पर, एक व्यक्ति के रूप में हर निवासी-पड़ोसी की रक्षा करना भी हर सभ्य समाज का मानवीय-दायित्व होता है, फिर वह चाहे किसी काल-स्थान-परिस्थिति में कहीं पर भी हो। सोशल मीडिया साइट एक्स पर लंबी पोस्ट में अखिलेश ने बिना किसी देश का नाम लिखे जो बयान जारी किया है।
सपा प्रमुख अपनी पोस्ट में वैश्विक इतिहास का संदर्भ लेते हुए इशारों में बांग्लादेश की हालिया स्थिति पर टिप्पणी करते हुए भारत सरकार को भी नसीहत दी है। सपा चीफ ने लिखा- विश्व इतिहास गवाह है कि विभिन्न देशों में सत्ता के खिलाफ़, उस समय की कसौटी पर, सही-गलत कारणों से हिंसक जन क्रांतियाँ, सैन्य तख्तापलट, सत्ता-विरोधी आंदोलन विभिन्न कारणों से होते रहे हैं, ऐसे में उस देश का ही पुनरुत्थान हुआ है, जिसके समाज ने अपने सत्ता-शून्यता के उस उथल-पुथल भरे समय में भी अपने देशवासियों की जान-माल व मान की रक्षा करने में जन्म, धर्म, विचारधारा, संख्या की बहुलता-अल्पता या किसी अन्य राजनीतिक विद्वेष या नकारात्मक, संकीर्ण सोच के आधार पर भेदभाव न करके सकारात्मक-बड़ी सोच के साथ सबको एक-समान समझा और संरक्षित किया है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा- विशेष रूप से रेखांकित करने की एक बात इतिहास ये भी सिखाता है कि किसी और देश के राजनीतिक हालातों का इस्तेमाल जो सत्ता अपने देश में अंदर, अपनी सियासी मंसूबों को पूरा करने के लिए करती है, वो देश को आंतरिक और बाह्य दोनों स्तर पर कमज़ोर करती है।
अखिलेश ने लिखा- कई बार किसी देश के आंतरिक मामलों से प्रभावित होने वाले, किसी अन्य देश द्वारा एकल स्तर पर हस्तक्षेप करना वैश्विक राजनयिक मानकों पर उचित नहीं माना जाता है, परंतु ऐसे में उस प्रभावित देश और उसके अपने सांस्कृतिक रूप से संबंधित व्यक्तियों की चतुर्दिक रक्षा के लिए, उस देश को अपनी मूक विदेश नीति को सक्रिय करते हुए, विश्व बिरादरी के साथ मिलकर साहसपूर्ण सकारात्मक मुखर पहल करनी चाहिए, जिससे सार्थक समाधान निकल सके।
सरकार का मूक-दर्शक बने रहना विदेश नीति की नाकामी
सपा नेता ने बिना किसी का नाम लिए लिखा- जो सरकार ऐसे में मूक-दर्शक बनी रहेगी, वो ये मानकर चले कि ये उसकी विदेश नीति की नाकामी है कि उसके सभी दिशाओं के निकटस्थ देशों में परिस्थितियाँ न तो सामान्य हैं और न उसके अनुकूल. इसका मतलब है कि ‘भू-राजनीतिक’ नज़रिये से उसकी विदेश नीति में कहीं कोई भारी चूक हुई है। सांस्कृतिक-निकटस्थता के सूत्र से एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र को बांधकर आपसी समझबूझ और भाईचारे से ही विश्व के विभिन्न अशांत भू-खंडों में अमन-चैन लाया जा सकता है।
बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार पर गंभीरता दिखाए केंद्र : माता प्रसाद
उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माताप्रसाद पांडेय ने कहा कि वक्फ बोर्ड का मामला प्रवर समिति के पास लंबित है। इसमें जो भी निर्णय होगा उसे बाद में देखा जाएगा। यह मामला केंद्र सरकार से संबंधित है। बांग्लादेश में हो रही हिंसा पर उन्होंने दु:ख प्रकट किया। कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार की वह कड़ी निंदा करते हैं। मांग की कि इसमें केंद्र सरकार को गंभीरता दिखानी चाहिए। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष लखनऊ से चलकर अपने गृह जनपद सिद्धार्थनगर जा रहे थे। गोंडा में उनका कई स्थानों पर स्वागत किया गया। भूतपूर्व मंत्री विनोद कुमार उर्फ पंडित सिंह के आवास विकास कॉलोनी स्थित आवास पर उन्होंने पत्रकारों से वार्ता की।
इस तरह की अराजकता माफी योग्य नहीं : शशि थरुर
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बांग्लादेश में मुर्तियों को तोडऩे की घटना पर चिंता जताई है और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से कानून और व्यवस्था बनाने की गुजारिश की है। शशि थरूर ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, साल 1971 में बनी मुजीबनगर में शहीद स्मारक परिसर में स्थित मूर्तियों को भारत विरोधी उपद्रवियों द्वारा नष्ट किए जाने की ऐसी तस्वीरें देखना दुखद है। यह घटना कई जगहों पर भारतीय सांस्कृतिक केंद्र, मंदिरों और हिंदू घरों पर हुए अपमानजनक हमलों के बाद हुई है, जबकि ऐसी खबरें भी आई हैं कि मुस्लिम नागरिक अन्य अल्पसंख्यक घरों और पूजा स्थलों की रक्षा कर रहे हैं।
आरक्षण के प्रावधानों में बदलाव के पक्ष में नहीं अखिलेश
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरक्षण के भीतर आरक्षण के मुद्दे पर अपनी पार्टी की लाइन स्पष्ट कर दी है। उन्होंने जारी बयान कहा कि किसी भी प्रकार के आरक्षण का मूल उद्देश्य उपेक्षित समाज का सशक्तीकरण होना चाहिए, न कि उस समाज का विभाजन या विघटन। इससे आरक्षण के मूल सिद्धांत की ही अवहेलना होती है। उन्होंने कहा कि पीडीए के लिए संविधान संजीवनी है, तो आरक्षण प्राणवायु। अखिलेश का यह बयान आरक्षण के उप वर्गीकरण के मामले में सुप्रीम कोर्ट के हाल के फैसले को देखते हुए अहम माना जा रहा है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस करके आरक्षण के भीतर आरक्षण ( उप वर्गीकरण) का विरोध करते हुए इस मामले में सपा और कांग्रेस की नीयत भी साफ न होने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार हर बार अपने गोलमोल बयानों के माध्यम से आरक्षण की लड़ाई को कमजोर करने की कोशिश करती है। जब पीडीए के विभिन्न घटकों का दबाव पड़ता है, तो दिखावटी सहानुभूति दिखाकर पीछे हटने का नाटक करती है। अखिलेश ने कहा कि भाजपा की अंदरूनी सोच सदैव आरक्षण विरोधी रही है। आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा की विश्वसनीयता शून्य हो चुकी है।