मनरेगा में वाट्सएप ग्रुप से जोड़ रहे हैं जनप्रतिनिधियों को : केशव मौर्य

लखनऊ। आमतौर पर सत्ता पक्ष व विपक्ष के जनप्रतिनिधि स्थानीय निकाय से लेकर संसद तक में आमने-सामने होते हैं। ऐसे ज्यादातर जनप्रतिनिधि अलग क्षेत्रों से निर्वाचित होते हैं। मनरेगा योजना के जरिए अब नए दौर की राजनीति हो रही है, जहां एक ही क्षेत्र के जीते व हारे जनप्रतिनिधि को एक प्लेटफार्म पर लाया जा रहा है। ग्राम पंचायत सदस्य से लेकर सांसद तक के प्रतिनिधि वाट्सएप ग्रुप पर जोड़े जा रहे हैं। इस कदम से सत्तापक्ष का विस्तार होने के साथ ही विपक्ष को भी ताकत मिलेगी। महात्मा गांधी राष्टï्रीय रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना की निगरानी पर केंद्र सरकार का विशेष जोर है। लोगों को गांवों में ही रोजगार देने व भुगतान करने में अक्सर खेल होने की शिकायतें मिलती रही हैं। मनरेगा योजना में तकनीक का सहारा लेकर मोबाइल से मानीटरिंग की जा रही है। इसके लिए हर ग्राम पंचायत में वाट्सएप ग्रुप बन रहे हैं। उसमें ग्राम पंचायत सदस्य से लेकर सांसद तक के प्रतिनिधियों को अनिवार्य रूप से जोड़ा जा रहा है, ताकि विकास कार्यों का हर दिन आडिट हो सके।

खास बात यह है कि हर स्तर पर चुनाव हारने वाले नेताओं को भी ग्रुप से जोड़ा जा रहा है। उत्तर प्रदेश में 58189 ग्राम पंचायतें हैं, सभी गांवों के वाट्सएप ग्रुप में सांसद, विधायक व अन्य जनप्रतिनिधि नहीं जुड़ सकते इसलिए उनके प्रतिनिधियों को जोड़ने के निर्देश हैं। गांव के पंचायत सचिव और रोजगार सेवक वाट्सएप ग्रुप बना रहे। गांव में मनरेगा योजना के माध्यम से चल रहे कार्य, मस्टररोल, कितने मजदूर कार्य कर रहे आदि ग्रुप पर साझा किया जाएगा। उस पर मौजूदा जनप्रतिनिधि के साथ विपक्ष के प्रतिनिधि भी निगाह रख सकेंगे। वाट्सएप ग्रुप पर शिकायत मिलने या कार्य का विरोध होने पर कार्रवाई कैसे की जाए इस पर मंथन किया जा रहा है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बताया कि मनरेगा में पारदर्शिता लाने के लिए जनप्रतिनिधियों को वाट्सएप ग्रुप से जोड़ रहे हैं। केंद्र व प्रदेश सरकार सभी को साथ लेकर चल रही है इसलिए विपक्ष को भी पूरा अवसर दे रहे हैं।

प्रमुख सचिव गृह के मातहत हो गए उनसे वरिष्ठ सात अफसर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की शीर्ष नौकरशाही में हुए फेरबदल के बाद फील्ड में तैनात सात वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी प्रमुख सचिव गृह बनाए गए संजय प्रसाद के मातहत हो गए हैं। फील्ड में तैनात पांच जोन के एडीजी और दो शहरों के पुलिस आयुक्त संजय प्रसाद से सीनियर हैं। संजय 1995 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। फील्ड में तैनात आठ जोन में से पांच के एडीजी और चार पुलिस कमिश्नरेट के पदों में से दो पर प्रमुख सचिव से सीनियर आईपीएस अधिकारी तैनात हैं। संजय और डीजीपी के बैच में सात वर्ष का अंतर है। डीजीपी देवेंद्र सिंह चौहान 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं।

इनके अलावा एडीजी कानून व्यवस्था 1990 बैच के हैं। जोन में तैनात अधिकारियों में आगरा जोन के एडीजी राजीव कृष्ण 1991 बैच, लखनऊ जोन के एडीजी ब्रज भूषण 1992 बैच, मेरठ के एडीजी राजीव सब्बरवाल, प्रयागराज के एडीजी प्रेम प्रकाश 1993 बैच और गोरखपुर के एडीजी अखिल कुमार 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। कानपुर के पुलिस आयुक्त बीपी जोगदंड 1991 बैच और लखनऊ के पुलिस आयुक्त एसबी शिरडकर 1993 बैच के हैं। वाराणसी के एडीजी जोन रामकुमार, बरेली के एडीजी जोन राज कुमार व नोएडा के पुलिस आयुक्त आलोक सिंह 1995 के अधिकारी हैं। ये संजय के समकक्ष हैं। सिर्फ वाराणसी के पुलिस आयुक्त ए. सतीश गणेश और कानपुर जोन के एडीजी भानु भास्कर संजय से जूनियर हैं। यह दोनों 1996 बैच के आईपीएस अफसर हैं।

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