किरेन रिजिजू से छिना कानून मंत्रालय, मेघवाल के हाथ में कमान

नई दिल्ली। मौके दर मौके सुप्रीम कोर्ट और न्यायपालिका की आलोचना कर विवाद खड़े करने वाले केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू का मंत्रालय बदल दिया गया है। वहीं, अर्जुन राम मेघवाल को कानून मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बना दिया गया है। मेघवाल के पास पहले से संसदीय कार्य मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय में राज्य मंत्री का प्रभार है। रिजिजू को अब पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया है। रिजिजू को जुलाई, 2021 में कानून मंत्री बनाया गया था। उससे पहले रविशंकर प्रसाद थे।
दो साल से भी कम समय तक कानून मंत्री रहे किरेन रिजिजू मंत्रालय का जिम्मा संभालने के बाद से न्यायपालिका की आलोचना कर सरकार के सामने मुसीबत खड़ी कर चुके थे। चाहों हो जजों की नियुक्ति को लेकर कॉलेजियम का मुद्दा हो या फिर पूर्व जजों की एक्टिविस्ट के साथ सक्रियता का हो। अपनी टिप्पणियों को लेकर रिजुजू हमेशा सुखियों में रहे। आपको बता दें कि जजों की नियुक्ति के लिए बने कॉलेजियम सिस्टम को लेकर रिजिजू ने कहा नंवबर 2022 में कहा था कि जजों की नियुक्ति का कॉलेजियम सिस्टम संविधान के लिए एलियन है। इसे लेकर काफी राजनीतिक बवाल मचा था। कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल खड़े करते हुए रिजिजू ने कहा था कि इसमें कई खामियां हैं। लोग इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। कानून मंत्री के इस बयान पर विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया था। वहीं पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ ने रिजिजू की टिप्पणियों पर नाराजगी जताई थी। पीठ ने कहा था कि शायद सरकार जजों की नियुक्ति को इसलिए मंजूरी नहीं दे रही क्योंकि एनजेएसी को मंजूरी नहीं दी गई। रिटायर्ड जज और ऐक्टिविस्ट भारत विरोधी गिरोह का हिस्सा हैं। किरण रिजिजू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की टिप्पणियों के विरुद्ध एक पीआईएल भी दायर की गई थी। हालांकि पीआईएल खारिज हो गई।
हाल ही में एलजी बनाम दिल्ली सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला दिया। कल यानी बुधवार को एमसीडी में एल्डरमैन की नियुक्ति में भी सुप्रीम कोर्ट ने एलजी के खिलाफ सख्त टिप्पणी की। सेम सेक्स मैरिज पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणियां की। लॉ ऑफिसर्स द्वारा सरकार का पक्ष कोर्ट में ठीक से नहीं रख पाने का भी असर माना जा रहा है।
बार एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में किरेन रिजिजू ने कहा था कि जजों को तो कोई चुनाव नहीं पड़ता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जनता कुछ देख नहीं रही है। उनकी इस टिप्पणी पर भी खूब बवाल मचा।
जजों की छुट्टियों को लेकर रिजिजू ने बयान भी खूब चर्चा में रहा था। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट से लेकर निचली अदालत की, कई तरह की शिकायतें उनके पास आती हैं।
चुनावी साल में सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियों से सरकार के खिलाफ गलत संदेश जा सकता था। साथ ही अर्जुन मेघवाल को बनाने से राजस्थान चुनाव मे दलित वोटरों में अच्छा संदेश देने की कोशिश भी है। कानून मंत्री रहते हुए रिजिजू ने जजों की नियुक्ति के मुद्दे पर प्रयागराज में कहा था कि लोकतंत्र में सिर्फ जनता मालिक होती है। कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता है। रिजिजू के इस बयान पर विपक्ष ने जमकर हमला बोला था।

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