प्रभात गुप्ता हत्याकांड: 3 बार फैसला रिजर्व, क्या अब आ गई है फैसले की घड़ी

लखनऊ। यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में अब से करीब 23 साल पहले हुए लखनऊ विवि के छात्र और समाजवादी पार्टी के युवा नेता प्रभात गुप्ता हत्याकांड की चर्चा ने फिर जोर पकड़ लिया है। वजह, तीन बार से इस मामले की याचिका को लेकर लिखा जा चुका फैसला हाईकोर्ट की डबल बेंच द्वारा सुनाए जाने को लेकर है। जानकारी के मुताबिक, अबइस मामले में हाईकोर्ट की डबल बेंच 19 मई यानी कल शुक्रवार को अपना फैसला सुनाएगी।
प्रभात गुप्ता हत्याकांड में मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ हैं। प्रभात गुप्ता के दिनदहाड़े हुए कत्ल को उतनी चर्चा या फिर सुर्खियां शायद न मिली हों, जितना कि इस हत्याकांड में एक के बाद एक कई अदालतों द्वारा लिखे जा चुके कम से कम तीन फैसलों हर बार सुनाए जाने से टाल दिया गया हो। ऐसे में अब जब हाईकोर्ट की डबल बेंच द्वारा अब चौथी बार में फैसला सुनाए जाने की उम्मीदें जगी हैं।
प्रभात गुप्ता हत्याकांड में 23 साल पहले यानी साल 2000 में लिखे जा चुके पन्नों को पलटने से पहले यह जानना जरूरी है कि आज अदालतों में आखिर इस अहम मुकदमे का फैसला तीन-तीन बार लिख दिए जाने के बाद भी सुनाया क्यों गया? अब इन सवालों पर चर्चा की वजह यह है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो शायद कल यानी शुक्रवार 19 मई 2023 को 23 साल पहले लखीमपुर खीरी में अंजाम दिए जा चुके प्रभात गुप्ता हत्याकांड में फैसला सुनाया जाएगा।
लखीमपुर खीरी की ही एक अदालत ने प्रभात गुप्ता हत्याकांड में साल 2004 में तकरीबन सभी मुलजिमों को ब-इज्जत बरी कर दिया था। बरी किए गए और मुकदमे में नामजद मुलजिम थे केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी, सुभाष मामा, शशि भूषण, राकेश डालू। इन सबके ऊपर आरोप लगा था कि इन्होंने अब से करीब 23 साल पहले यानी 8 जुलाई साल 2000 को प्रभात गुप्ता को जिले के तिकुनिया थाना क्षेत्रांतर्गत स्थित बनवीरपुर गांव में घेर लिया। उसके सीने में दो गोलियां मारी गईं, जिससे प्रभात गुप्ता की मौत हो गई।
प्रभात गुप्ता लखनऊ विवि के दबंग छात्र नेता होने के साथ-साथ, समाजवादी पार्टी से भी जुड़े हुए थे। दिनदहाड़े बीच सडक़ पर अंजाम दिए गए उस हत्याकांड के मुलजिमों को कोर्ट ने बरी किया तो उस फैसले के खिलाफ सूबे की सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। इस मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट में चली। तीन महीने पहले तो इस मामले में लगातार कई दिन तक कोर्ट में सुनवाई होती रही। सुनवाई के छठवें दिन जस्टिस अट्टू रहमान मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने तब तीन घंटे तक लगातार सुनवाई की, लेकिन परिणाम अब तक फिर भी ढाक के तीन पात ही रहा। फैसला हर बार लिखा गया, लेकिन सुनाया नहीं जाना था तो हर बार लिख लिए गए फैसले को सुनाने के बजाए ‘रिजर्व’ करके रख दिया गया।
यहां बताना जरूरी है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मुकदमे से संबंधित अपील की सुनवाई न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रेणु अग्रवाल की खंडपीठ ने 9 नवंबर 2002 को पूरी की थी। उन्होंने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, यह कहते हुए कि अभी फैसले में कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण की जरूरत है। साथ ही दोनों न्यायाधीशों ने सुनवाई के लिए 21 दिसंबर 2022 की अगली तारीख भी सूचीबद्ध कर दी। इस हत्याकांड की सुनवाई हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की एमपी-एमएलएल कोर्ट में भी होती रही है। वहां छठी बार सुनवाई टलने के बाद फैसले पर सुनवाई की तारीख 17 अक्टूबर दी गई थी।
हत्याकांड के मुख्य आरोपी अजय मिश्र टेनी के वकील ने सुनवाई कर रही कोर्ट से कहा था कि मुकदमे का मीडिया ट्रायल नहीं होना चाहिए। मीडिया ट्रायल के जरिए उनके मुवक्किल की छवि खराब हो रही है। उसे दोषी जैसा करार दिया जा रहा है। इसके जवाब में कोर्ट ने कहा कि मीडिया कवरेज पर किसी भी तरह की पाबंदी नहीं लगाई जा सकती है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच स्थित एमपी-एमएलए की डबल बेंच को मुलजिम अजय मिश्र के वकील ने यह भी अनुरोध किया था कि जल्दी ही मुकदमे को सर्वोच्च न्यायालय में ट्रांसफर करने की सुनवाई भी लगी हुई है। इसलिए हाईकोर्ट की डबल बेंच मुकदमे की अंतिम सुनवाई न करे।
उधर, मामले में याची और प्रभात गुप्ता के छोटे भाई राजीव गुप्ता का कहना है कि मुकदमे में ऊंची पहुंच और रसूखदार मुलजिम होने के चलते हर बार लिखा जाने के बाद भी फैसला सुनाए जाने से पहले ही टाल दिया जा रहा है। सुनवाई को दौरान हाईकोर्ट की लखनऊ स्थित डबल बेंच ने तो एक बार सितंबर महीने में मुख्य मुलजिम अजय मिश्र उर्फ टेनी के वकील से यहां तक कह दिया था कि आप जो चाहते हैं, वो संभव नहीं है। पूरा देश समझ रहा है कि आप क्या चाहते हैं।
साल 2004 में जबसे आरोपियों को निचली अदालत से बरी किया गया, तभी से अजय मिश्रा सहित सभी जमानत पर हैं। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाओं की सुनवाई हो रही है। पहली बार 12 मार्च साल 2018 को जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और दिनेश कुमार सिंह ने फैसला रिजर्व कर दिया था। उसके बाद दूसरी बार 10 नवंबर साल 2022 को जस्टिस रमेश सिन्हा और रेनू अग्रवाल ने फैसला सुरक्षित रख दिया। तीसरी बार 21 फरवरी साल 2023 को जस्टिस अट्टू रहमान मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की डबल बेंच ने फैसला सुनाने के बजाए उसे रिजर्व कर दिया। अब जानकारी मिल रही है कि कल यानी 19 मई 2023 को जस्टिस अट्टू रहमान मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला इस केस में फैसला सुनाएंगे।

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