महंत योगी ने बदला यूपी का राजनीतिक इतिहास

लखनऊ। गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश का राजनीतिक इतिहास बदल दिया। यह पहला मौका है, जब भाजपा का कोई मुख्यमंत्री पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा करके दोबारा चुनाव जीता और विधायक दल का नेता चुना गया। आज लखनऊ के इकाना स्टेडियम में दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ली। ऐसा उत्तर प्रदेश की राजनीति में 37 वर्षों बाद हुआ। इससे पहले किसी मुख्यमंत्री ने दोबारा कुर्सी नहीं संभाली है। गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से 1.03 लाख से ज्यादा मतों के अंतर से चुनाव जीतने वाले गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी राजनीति के अजेय योद्धा हैं। वह 1998 से लगातार चुनाव जीत रहे हैं। पांच बार गोरखपुर शहर लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे हैं। 2017 में एमएलसी बने और मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। 2022 के विधानसभा चुनाव का एलान हुआ तो शहर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतर गए। मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी थी।

लिहाजा, पूरे प्रदेश व देश के दूसरे राज्यों में चुनाव प्रचार पर जोर देना पड़ा। गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र में ज्यादा समय नहीं दे सके, फिर भी जनता ने बड़े अंतर से चुनाव जिताकर लखनऊ भेज दिया। योगी आदित्यनाथ ने पांच वर्षों तक मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाली, लेकिन गोरक्षपीठ से लगाव बरकरार रहा। वह पीठ के हर महत्वपूर्ण कार्यक्रम में हिस्सा लेते हैं। पूजा-अर्चना करते हैं। योगी के राजनीति में बढ़ते कद से भाजपा के तमाम दिग्गज असहज हो गए। नतीजतन, भितरघात होने लगा। तमाम नेता उन्हें चुनाव हराने के प्रयास में जुट गए। भितरघात की वजह से ही 1999 का चुनाव योगी सात हजार वोट से जीत सके। इसका मतलब रहा कि 1998 के चुनाव से जीत का अंतर कम हो गया। वह पांच वर्षों तक सांसद रहे। सड़क से संसद तक संघर्ष के बल पर अपना कद बड़ा कर लिए। 2004 का लोकसभा चुनाव हुआ तो वह करीब डेढ़ लाख वोटों के अंतर से जीत गए। यह सिलसिला लगातार जारी रहा। गोरखपुर शहर लोकसभा क्षेत्र से पांच बार सांसद चुने गए।

 

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